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Mahakumbh 2025 Naga Sadhu Photograph: (News Nation)
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Mahakumbh 2025 Naga Sadhu: नागा साधुओं को महाकुंभ में सबसे पहले स्नान का अधिकार दिया गया है. लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि महाकुंभ के समापन से पहले ही नागा साधु प्रयागराज से प्रस्थान कर जाएंगे.
Mahakumbh 2025 Naga Sadhu Photograph: (News Nation)
Mahakumbh 2025 Naga Sadhu: महाकुंभ 2025 अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रहा है, और जैसे-जैसे महाशिवरात्रि का पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे नागा साधुओं का महाकुंभ क्षेत्र से प्रस्थान शुरू हो जाएगा. नागा साधु, जो इस महापर्व का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं, अपनी परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि से पहले ही कुंभ क्षेत्र को छोड़ देते हैं. यह सनातन धर्म की परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें नागा साधु अपने अखाड़ों के नियमों और सनातनी परंपराओं का पालन करते हुए आगे बढ़ते हैं.
नागा साधु महाकुंभ मेले के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक होते हैं. उनकी प्रमुख भूमिका कुंभ स्नानों के दौरान देखने को मिलती है, जब वे अखाड़ों के साथ संगम में डुबकी लगाते हैं. लेकिन महाशिवरात्रि आते ही वे धीरे-धीरे कुंभ क्षेत्र को छोड़कर अन्य तीर्थ स्थलों और अपने मठों की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. यह परंपरा सदियों पुरानी है, और इसके पीछे धार्मिक कारण हैं. मकर संक्रांति का स्नान, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी का अमृत स्नान नागा साधुओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं. इस बार 2 फरवरी को बसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद अगले दिन 3 फरवरी से नागा साधुओं का प्रस्थान प्रयागराज से आरंभ हो जाएगा.
कुंभ मेले का आयोजन चार प्रमुख स्थलों पर होता है- प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक. हर 12 वर्ष में एक पूर्ण कुंभ और हर 6 वर्ष में अर्धकुंभ का आयोजन किया जाता है.
अगला कुम्भ योग जुलाई 17, 2027, शनिवार से बनेगा. इस दौरान कर्क राशि में सूर्य, सिंह राशि में गुरु विराजमान होंगे. इसे सिंहस्थ कुम्भ भी कहा जाएगा. इस दिन कर्क संक्रान्ति का क्षण - 05 बजकर 52 मिनट का होगा. एक बार फिर इस क्षण में आस्था की डुबकी लगाने नागा साधु यहां एकत्रित होंगे.
प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है. बसंत पंचमी और महाशिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण स्नानों के बाद श्रद्धालुओं और संतों का धीरे-धीरे प्रयागराज से प्रस्थान शुरू हो जाएगा. नागा साधु भी अपनी परंपरा के अनुसार कुंभ क्षेत्र से विदा लेंगे और अपने अगले प्रवास के लिए निकल जाएंगे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)