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Parshuram Jayanti 2022 Date, Shubh Muhurat and Significance: अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाएगी परशुराम जयंती, जानिए इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी (lord parshuram) का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था. तो, चलिए आपको इस दिन की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व (parshuram jayanti 2022 date, shubh muhurat and importance) के बारे में बताते हैं.

Updated on: 01 May 2022, 08:57 AM

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया (akshaya tritiya 2022) को अत्यंत ही पुण्यदाई माना गया है. इस त्योहार का अपना ही खास महत्व होता है. भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था. इस वजह से हर वर्ष परशुराम जयंती इस तिथि को मनाई जाती है. अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन भगवान विष्णु ने अपना छठा अवतार परशुराम के रुप में लिया था. भगवान विष्णु का ये अवतार आवेशावतार माना जाता है. उन्होंने माता रेणुका के गर्भ से ऋषि जमदग्नि के घर जन्म लिया था. कहा जाता है कि क्षत्रियों के घमंड को तोड़ने के लिए परशुराम ने उनका 21 बार संहार किया था. तो, चलिए आपको इस दिन की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताते हैं. 

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परशुराम जयंती 2022 तिथि 
 
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती को देश के अलग-अलग हिस्सों में खास रूप में मनाया जाता है. इस बार ये तिथि 3 मई दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 18 मिनट से शुरु हो रही है. ये तिथि अगले दिन यानी कि 4 मई, बुधवार को सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उदयातिथि के आधार पर 3 मई को परशुराम जयंती मनाई जाएगी क्योंकि इस दिन अक्षय तृतीया भी है. माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कभी समाप्त (parshuram jayanti 2022 date) नहीं होता. 

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परशुराम जयंती 2022 शुभ मुहूर्त 

अक्षय तृतीया को पूरे दिन अबूझ मुहूर्त है. जो स्वयं सिद्ध माना जाता है. इस दिन आप सुबह-सुबह स्नान के बाद परशुराम जयंती की पूजा कर सकते हैं या फिर अपनी सुविधा के अनुसार समय पर भी कर सकते हैं. परशुराम जयंती पर रवि योग 4 मई को प्रात: 3 बजकर 18 मिनट से सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक है. इस दिन का शुभ समय दिन में 11 बजकर 52 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट (parshuram jayanti 2022 puja shubh muhurat) तक है. 

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परशुराम जयंती 2022 महत्व 

सनातन धर्म में परशुराम जयंती का अपना ही एक विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. उसके बाद विधि विधान के अनुसार भगवान परशुराम की पूजा और अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और इसके साथ ही सभी कष्टों का निवारण होता है. इतना ही नहीं परशुराम जयंती को संतान प्राप्ति के लिए अहम दिन माना जाता है. इस दिन भूखों को भोजन देने का भी अलग महत्व (parshuram jayanti 2022 significance) होता है.