Aarti Significance, Meaning and Vidhi: आरती करने का जानें महत्व, अर्थ और सही विधि, परमपद की होगी प्राप्ति

भगवान की आरती (aarti of god) के संबंध में बहुत कुछ बताया गया है. अगर भगवान की आरती (real meaning of aarti in spirituality) हो रही हो और वो पूजन कार्य में श्रद्धा के साथ शामिल होता है. तो, भगवान उसकी पूजा को पूरी तरह से स्वीकार कर लेते हैं.

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Megha Jain
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Importance and meaning of Aarti

Importance and meaning of Aarti ( Photo Credit : social media)

भगवान की आरती (aarti of god) के संबंध में बहुत कुछ बताया गया है. अगर कोई इंसान मंत्र नहीं जानता, पूजा विधि भी नहीं जानता लेकिन, अगर भगवान की आरती (real meaning of aarti in spirituality) हो रही हो और वो पूजन कार्य में श्रद्धा के साथ शामिल होता है. तो, भगवान उसकी पूजा को पूरी तरह से स्वीकार कर लेते हैं. तो, चलिए आपको बताते हैं कि आरती का अर्थ, महत्व, आरती करने और लेने का तरीका (aarti method) क्या है.  

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आरती का अर्थ 
शास्‍त्रों के अनुसार आरती का अर्थ पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना होता है. आरती को नीराजन भी कहा जाता है. नीराजन का अर्थ विशेष रूप से प्रकाशित करना होता है. यानी कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित करके हमारे व्यक्तित्व को उज्जवल (meaning of aarti) कर दें. 

आरती का महत्व 
स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने कहा है कि जो व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है. वो कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में निवास करता है. जो व्यक्ति मेरे समक्ष हो रही आरती के दर्शन करता है. उसे परमपद की प्राप्ति होती है और अगर कोई व्यक्ति कपूर से आरती करता है तो उसे अनंत में प्रवेश (importance of aarti) मिलता है.

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आरती करने की विधि
आरती करने की विधि की बात करें तो, इसके लिए सबसे पहले एक थाली में स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. फिर, पुष्प और अक्षत के आसन पर एक दीपक में घी की बाती और कपूर रखकर प्रज्वलित करें. उसके बाद भगवान के सामने आरती इस प्रकार से घुमाते हुए करनी चाहिए कि ऊँ जैसी आकृति बने. आरती से पहले प्रार्थना करें कि हे गोविन्द, आपकी प्रसन्नता के लिए मैंने रत्नमय दीये में कपूर और घी में डुबोई हुई बाती जलाई है. जो मेरे जीवन के सारे अंधकार दूर कर दे. फिर, एक ही स्थान पर खड़े होकर भगवान की आरती करें. भगवान की आरती उतारते समय चार बार चरणों में, दो बार नाभि पर, एक बार मुखमण्डल पर और सात बार सभी अंगों पर करें. इसके बाद शंख में जल लेकर भगवान के चारों ओर घुमाकर अपने ऊपर तथा भक्तजनों पर जल डालें. अंत में ठाकुरजी को प्रणाम करें. मंदिरों में 5, 7, 11, 21 या 31 बातियों से आरती की जाती है जबकि घर में एक बाती की ही आरती (vidhi of aarti) करनी चाहिए.

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आरती करने का सही तरीका 
ज्यादातर लोगों को ये नहीं पता होता कि आरती उतारते हुए दीपक को घुमाने का सही तरीका क्या होता है. इसलिए, भगवान की आरती करते समय दीपक को घुमाने के तरीके और संख्या पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. इसके लिए, भगवान की आरती सबसे पहले भगवान के चरणों से शुरू करनी चाहिए. सबसे पहले आरती उतारते समय चार बार दीपक को सीधी दिशा में घुमाएं. उसके बाद भगवान की नाभि के पास दो बार आरती उतारें. उसके बाद सात बार भगवान के मुख की आरती (right way of doing aarti) उतारें.

आरती लेने का सही तरीका 
आरती लेने का सही तरीका ये होता है कि आरती की लौ को हाथ ले लेकर पहले सिर पर घुमाएं और उसके बाद उस आरती की लौ को अपने माथे की (right way of taking aarti) ओर धारण करें. 

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