Vaishakh Month Pradosh Vrat 2022: वैशाख महीने के प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें ये कथा, भोलेनाथ की बरसेगी कृपा
प्रदोष व्रत (pradosh vrat 2022) को रखने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन को सुख-शांति से भर देते हैं. तो, चलिए आपको इस दिन के रखे जाने वाले व्रत की कथा (pradosh vrat 2022 katha) और शुभ संयोग के बारे में बताते हैं.
नई दिल्ली:
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो बार त्रयोदशी (pradosh 2022) की तिथि पड़ती है. एक तिथि शुक्ल पक्ष की और वहीं दूसरी कृष्ण पक्ष में पड़ती है. हर महीने की दोनों त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को ही समर्पित होती है. इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ के लिए पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से शिव जी (2022 pradosh vrat) प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन को सुख-शांति से भर देते हैं. जो भी श्रद्धालु नियम और निष्ठा से इस प्रदोष व्रत (pradosh vrat 2022) को रखते हैं. भोलेनाथ उनके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं. तो, चलिए आपको इस दिन के रखे जाने वाले व्रत की कथा और शुभ संयोग के बारे में बताते हैं.
प्रदोष व्रत के दिन बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग
गुरु प्रदोष व्रत के दिन शाम के वक्त में ही सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. ये व्रत आपको सफलता प्रदान करने वाला और काम में सिद्धि के लिए शुभ योग है. ये योग शाम 5 बजकर 40 मिनट से अगले दिन 29 अप्रैल को सुबह 5 (Pradosh Vrat 2022 sanyog) बजकर 42 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत की कथा
स्कंद पुराण में दी गई एक कथा के अनुसार, पुराने समय की बात है. एक विधवा ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रोजाना भिक्षा मांगने जाती और संध्या के समय तक लौट आती थी. हमेशा की तरह एक दिन जब वह भिक्षा लेकर वापस लौट रही थी तो उसने नदी किनारे एक बहुत ही सुन्दर बालक को देखा लेकिन ब्राह्मणी नहीं जानती थी कि वह बालक कौन है और किसका है? दरअसल, उस बालक का नाम धर्मगुप्त था और वह विदर्भ देश का राजकुमार था. उस बालक के पिता को जो कि विदर्भ देश के राजा थे, दुश्मनों ने उन्हें युद्ध में मौत के घाट उतार दिया और राज्य को अपने अधीन कर लिया. पिता के शोक में धर्मगुप्त की माता भी चल बसी और शत्रुओं ने धर्मगुप्त को राज्य से बाहर कर दिया. बालक की हालत देख ब्राह्मणी ने उसे अपना लिया और अपने पुत्र के समान ही उसका भी पालन-पोषण (pradosh vrat 2022 significance) किया.
कुछ दिनों बाद ब्राह्मणी अपने दोनों बालकों को लेकर देवयोग से देव मंदिर गई, जहां उसकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई. ऋषि शाण्डिल्य एक विख्यात ऋषि थे, जिनकी बुद्धि और विवेक की हर जगह चर्चा थी. ऋषि ने ब्राह्मणी को उस बालक के अतीत यानि कि उसके माता-पिता की मौत के बारे में बताया, जिसे सुनकर ब्राह्मणी बहुत उदास हो गई. ऋषि ने ब्राह्मणी और उसके दोनों बेटों को प्रदोष व्रत रखने की सलाह दी और उससे जुड़े पूरे विधि-विधान के बारे में बताया. ऋषि के बताए गए नियमों के अनुसार ब्राह्मणी और बालकों ने व्रत सम्पन्न किया लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि इस व्रत का फल क्या मिल सकता है.
यह भी पढ़े : Kali Mata Aarti: काली माता की रोजाना करेंगे ये आरती, बुराइयां होंगी दूर और जीवन में प्राप्त होगी शांति
कुछ दिनों बाद दोनों बालक वन विहार कर रहे थे कि तभी उन्हें वहां कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आईं जो कि बेहद सुन्दर थीं. राजकुमार धर्मगुप्त अंशुमती नाम की एक गंधर्व कन्या की ओर आकर्षित हो गए. कुछ समय बाद राजकुमार और अंशुमती दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और कन्या ने राजकुमार को विवाह हेतु अपने पिता गंधर्वराज से मिलने के लिए बुलाया. कन्या के पिता को जब यह पता चला कि वह बालक विदर्भ देश का राजकुमार है तो उसने भगवान शिव की आज्ञा से दोनों का विवाह कराया. राजकुमार धर्मगुप्त की ज़िन्दगी वापस बदलने लगी. उसने बहुत संघर्ष किया और दोबारा अपनी गंधर्व सेना को तैयार किया. राजकुमार ने विदर्भ देश पर वापस आधिपत्य प्राप्त कर लिया.
यह भी पढ़े : Saturday Special Upay: शनिवार को करें ये उपाय सरल, शनिदेव हो जाएंगे प्रसन्न और दुखों का करेंगे अंत
कुछ समय बाद उसे ये मालूम हुआ कि बीते समय में जो कुछ भी उसे हासिल हुआ है, वो ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के द्वारा किए गए प्रदोष व्रत का ही फल था. उसकी सच्ची आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे जीवन की हर परेशानी से लड़ने की शक्ति दी. उसी समय से हिदू धर्म में यह मान्यता हो गई कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा करेगा और एकाग्र होकर प्रदोष व्रत की कथा सुनेगा और पढ़ेगा उसे सौ जन्मों तक कभी किसी परेशानी या फिर दरिद्रता का सामना नहीं करना (pradosh vrat 2022 katha) पड़ेगा.
यह भी पढ़े : Successful Life Tips: इन गुणों को अपनाकर मिलेगी जीवन में सफलता, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा
शिव जी की कृपा से दुश्मन होंगे परास्त
गुरु प्रदोष व्रत को रखने से दुश्मन हार जाते हैं और विरोधियों पर वर्चस्व स्थापित होता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा जरूर करें और गुरु प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, सफेद चंदन आदि अर्पित करना चाहिए. प्रदोष व्रत के फल से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, संतान, यश आदि (vaishakh month Pradosh Vrat 2022) की प्राप्ति होती है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Arti Singh Wedding: सुर्ख लाल जोड़े में दुल्हन बनीं आरती सिंह, दीपक चौहान संग रचाई ग्रैंड शादी
-
Arti Singh Wedding: दुल्हन आरती को लेने बारात लेकर निकले दीपक...रॉयल अवतार में दिखे कृष्णा-कश्मीरा
-
Salman Khan Firing: सलमान खान के घर फायरिंग के लिए पंजाब से सप्लाई हुए थे हथियार, पकड़ में आए लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गे
धर्म-कर्म
-
Maa Lakshmi Puja For Promotion: अटक गया है प्रमोशन? आज से ऐसे शुरू करें मां लक्ष्मी की पूजा
-
Guru Gochar 2024: 1 मई के बाद इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, पैसों से बृहस्पति देव भर देंगे इनकी झोली
-
Mulank 8 Numerology 2024: क्या आपका मूलांक 8 है? जानें मई के महीने में कैसा रहेगा आपका करियर
-
Hinduism Future: पूरी दुनिया पर लहरायगा हिंदू धर्म का पताका, क्या है सनातन धर्म की भविष्यवाणी