अजब-गजब: एम्स में दो शवों की अदला-बदली, कोविड-19 से मरी मरीज की अंत्येष्टि दूसरे परिवार ने कर दी

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते जान गंवाने वाली 35 वर्षीय अंजुम के शव को दफनाने से कुछ क्षण पहले उसके भाई शरीफ खान ने अंतिम बार अपनी बहन का चेहरा देखने का फैसला किया. लेकिन, जब उसने कब्र के बगल में रखे थैले में शव को देखा तो स्तब्ध रह गया.

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Sunil Mishra
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शवों की अदला-बदली, कोरोना से मरी मरीज की अंत्येष्टि दूसरे ने कर दी( Photo Credit : File Photo)

कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण के चलते जान गंवाने वाली 35 वर्षीय अंजुम के शव को दफनाने से कुछ क्षण पहले उसके भाई शरीफ खान ने अंतिम बार अपनी बहन का चेहरा देखने का फैसला किया. लेकिन, जब उसने कब्र के बगल में रखे थैले में शव को देखा तो स्तब्ध रह गया क्योंकि यह किसी और का था. खान को बाद में पता चला कि उसकी दिवंगत बहन की अंत्येष्टि दूसरे परिवार ने कर दी है. दूसरे परिवार की एक महिला कोविड-19 से मरी थी, जिसके शव की यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कर्मचारियों द्वारा दुर्घटनावश अदला-बदली कर कर दी गई थी. यहां ये दोनों भर्ती थी और उनकी मौत हो गई थी.

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एम्स के एक चिकित्सक ने कहा कि कर्मचारियों की आरे से चूक हुई क्योंकि उसने शवों को उनके परिजनों को सौंपे जाने से पहले समुचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. एम्स के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘‘शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर मुर्दाघर के दो कर्मचारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की गई है. एक को निलंबित किया गया है जबकि दूसरे को बर्खास्त कर दिया गया. साथ ही घटना की विस्तृत जांच के लिये एक समिति गठित की गई है.’’

खान और उनकी बहन बरेली निवासी हैं. खान की बहन पीलिया से ग्रसित थी और खान चार जुलाई को उसे एम्स लेकर आया था. उसकी बहन को अस्पताल के आपात वार्ड में भर्ती किया गया और दो घंटों के अंदर चिकित्सकों ने उसे कोविड-19 से संक्रमित घोषित कर दिया. उन्होंने उसे ट्रॉमा सेंटर में कोविड-19 वार्ड में भर्ती कराया. शरीफ के बहनोई सात साल पहले मृत्यु हो गई थी. उनके तीन बच्चे हैं.

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खान ने बताया कि चिकित्सकों के निर्देशानुसार वह शव को आईटीओ स्थित कब्रिस्तान ले गये, जहां कोविड-19 से मरने वाले लोगों को दफनाया जाता है. खान ने बताया कि शव को कब्र में रखने से पहले उन्होंने अपनी बहन का अंतिम बार चेहरा देखने के लिये शव के थैले को खोला. उन्होंने बताया, ‘‘जब मैंने चेहरा देखा तो पाया कि यह मेरी बहन नहीं है. यह गाजियाबाद की महिला का है, जिसके नाम का जिक्र शव पर किया गया था.’’ अंत्येष्टि के दौरान एम्स के कर्मचारी भी मौजूद थे. जब खान ने उनसे कहा कि यह उनकी बहन का शव नहीं है तब अस्पताल कर्मचारी महिला का शव लेकर रवाना हो गया और बोला कि वह फिर वापस आएगा. 

खान ने कहा, ‘‘हमने शाम चार बजे तक कब्रिस्तान में इंतजार किया, लेकिन वे शव लेकर नहीं आये. हमने उन्हें कई बार फोन किया लेकिन वे बहाना बनाते रहे. आखिरकार हम ट्रॉमा सेंटर पहुंचे और पुलिस से संपर्क किया. ’’ खान ने कहा, ‘‘चिकित्सकों ने हमें बताया कि उस महिला के परिवार ने पंजाबी बाग शवदाह गृह में मेरी बहन की अंत्येष्टि कर दी है.’’ खान ने बताया कि उन्होंने इस घटना के सिलसिले में सफदरजंग एनक्लेव पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने शिकायत प्राप्त की है और विषय की जांच कर रहे हैं. ’’

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एम्स के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि अस्पताल ने इस विषय की जांच का आदेश है. चिकित्सक ने कहा, ‘‘दोनों शवों को दो अन्य शवों के साथ दफनाने और अंत्येष्टि के लिये ले जाया गया था. कर्मचारी की ओर से चूक हुई क्योंकि उन्होंने शवों को सौंपे जाने से पहले समुचित प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया.’’

Source : Bhasha

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