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बच्चों को बचत का सिखाएं लेखा जोखा, हिसाब किताब आ जाएगा चोखा

आज हम आपको वो 7 तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से पेरेंट्स अपने बच्चों को फाइनेंशियल लिटरेसी दे सकते हैं. जिसके तहत वो अपने बच्चे को बचत करना, पैसों को सोच समझकर खर्च करना और बचत का मोल समझा सकते हैं. 

Updated on: 07 Oct 2021, 02:58 PM

नई दिल्ली :

अक्सर देखा जाता है कि पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए खूब बचत करते हैं, एक एक हिसाब किताब रखते हैं. लेकिन बच्चों को उस बचत की कदर नहीं होती है. वहीं, पेरेंट्स भी बच्चों को छोटा और नासमझ समझकर उन्हें पैसों की कीमत के बारे में नहीं बता पाते लेकिन जब आपका बच्चा थोड़ा सा बड़ा हो जाए तो उसे इन सबकी नॉलेज देना बेहद जरूरी है. ऐसे में आज हम आपको वो 7 तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से पेरेंट्स अपने बच्चों को फाइनेंशियल लिटरेसी दे सकते हैं. जिसके तहत वो अपने बच्चे को बचत करना, पैसों को सोच समझकर खर्च करना और बचत का मोल समझा सकते हैं. 

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1. पैसों का दें सही हिसाब
अकसर माता-पिता अपने बच्चों को यह सब नहीं बताते कि उनके पास कितने पैसे हैं या वह कितने पैसे इस महीने खर्च कर सकते हैं. ऐसे में बच्चे किसी भी वक्त कोई कीमती चीज की मांग कर सकते हैं. अगर माता-पिता अपने बच्चे को पहले से ही बताएंगे कि उनका इस महीने का बजट कितना है और इस बजट के अंदर ही हमें खर्च करना है तो बच्चे सोच समझकर अपनी इच्छा को जाहिर करेंगे. इस तरीके न केवल बच्चे को पैसों की जरूरत का एहसास होगा बल्कि चीज खरीदने के लिए सही डिसीजन भी ले पाएगा.

2. बचत के साथ पेशेंस भी जरूरी
बचत के साथ पेशेंस का होना भी जरूरी है ऐसे में अगर आप बच्चे को बचत करना सिखा रहे हैं तो उसे यह भी समझाएं कि बच्चों को थोड़ा सा सब्र रखने की जरूरत है. जैसे बूंद बूंद करके घड़ा भरता है वैसे थोड़े थोड़े पैसे करके एक दिन ज्यादा पैसे इकठ्ठे हो जाएंगे और उन पैसों को बच्चे अपनी पसंद से खर्च भी कर सकते हैं. ऐसे में अगर आप बच्चे को ₹10 दे रहे हैं तो उसे समझाएं कि ₹10, 10 दिन इकट्ठे करने से ₹100 होते हैं. वहीं ₹100, 10 दिन इकट्ठा करने से ₹1000 होते हैं. ऐसे में जो चीज 100 रुपये में नहीं आ रही उसके उस चीज को 10 दिन और इंतजार करके हजार रुपे में ली जा सकती है.

3. गुल्लक लाकर दें
आप अपने बच्चे को 2 गुल्लक लाकर दें. एक गुल्लक वह, जिसमें अपने पैसे इकठ्ठे कर सकता है और एक गुल्लक वह, जिसमें से वह अपने खर्च के लिए पैसे निकाल सकता है. ऐसे में जब आप अपने बच्चों को उनकी पॉकेट मनी दें या बच्चा उन गुल्लक में अपने पैसे जोड़े तो आप बच्चे को समझाएं की बचत वाली गुल्लक को ना छुए और खर्च वाली गुल्लक से ही अपनी जरूरी चीजें खरीदे. ऐसा करने से बच्चे के पास बचत के पैसे बचे रहेंगे और खर्च के लिए वह खास चीजों को ही चुनेगा.

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4. बचत की डायरी
आप अपने बच्चों को एक डायरी भी लाकर दें, जिसमें वे पूरे हफ्ते या पूरे महीने की बचत का लेखा जोखा लिख सकें. कि उन्होंने कितने पैसे कहाँ खर्च किये. ऐसे में आप महीने के शुरुआत में ही बच्चों को उसकी पॉकेट मनी दे दें और उसके बाद महीने के अंत में बच्चे से पूरा हिसाब मांगे. बच्चा उस डायरी पर अगर पूरा हिसाब लिखेगा और आपको समझाएगा तो इससे उसके फ्यूचर में भी यह आदत बनी रहेगी और बच्चे सोच समझकर ही पैसा खर्च करेंगे. बता दें कि बच्चों के अंदर इन आदतों का होना जरूरी है.

5. पैसों का सही लेनदेन
अगर आप अपने बच्चे को कोई सामान लेने के लिए मार्केट में भेज रहे हैं तो उस दौरान बच्चे को पैसों के सही लेनदेन के बारे में समझा कर भेजें. फॉर एग्जाम्पल, अगर आपका बच्चा कोई चीज ₹20 में लाया है लेकिन दुकानदार ने गलती से वह चीज ₹15 में दे दी है तो ऐसे में बच्चों को दोबारा उस दुकानदार को ₹5 देने के लिए भेजें. इससे ना केवल बच्चा ईमानदार बनेगा बल्कि उससे पैसे का सही लेनदेन भी समझ जाएगा.

6. फाइनेंशियल डिसिशन में इन्वोल्वमेंट 
अगर आप अपने घर में कोई कीमती सामान मंगवा रहे हैं या शॉपिंग पर जा रहे हैं तो उस दौरान आप अपने बच्चों से भी उनकी राय पूछ सकते हैं. ऐसे में ना केवल बच्चे फाइनेंशियल डिसिशन के प्रति अवेयर होंगे बल्कि वह फ्यूचर में खुद भी बेहद सोच समझकर खर्च करेंगे.

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7. मंथली बजट में हिस्सेदारी 
पेरेंट्स महीने की शुरुआत में ही पूरे महीने के घर खर्च की एक लिस्ट तैयार करते हैं. घर में किन चीजों की कमी है और उन कमी को कैसे पूरा करना है, इसके लिए वे एक डायरी में जरूरी चीजों की सूची बनाते हैं. ऐसे में उन सूची में बच्चों को शामिल करना जरूरी है. आप बीच-बीच में बच्चों को उन सूची में जो भी चीजें लिखी हैं उसके बारे में समझाएं. इसके अलावा आपको किसने पैसे दिए, कितने पैसे दिए और आपने उन पैसों में से कितना बचत किया, इसके बारे में बच्चों को समझाएं.