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WEF ने भी माना- अगले पांच साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होगा भारत

WEF अध्‍यक्ष बोले- भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. यह असीम क्षमताओं वाली एक युवा अर्थव्यवस्था है.

नई दिल्‍ली:

आर्थिक सुस्‍ती से जूझ रही मोदी सरकार के लिए एक और बड़ी खबर है. अगले 5 वर्ष में भारत को 5,000 अरब डॉलर (5 Trillion Dollar Economy)की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के संकल्‍प और सपने पर भले ही विपक्ष हंस रहा हो पर विश्व आर्थिक मंच (WEF)को इस बात का यकीन है. 

​वर्ल्ड इकॉनमी फोरम के अध्यक्ष बॉर्ज ब्रेनडे (World Economic Forum, President, Borge Brende ) के मुताबिक निर्णायक नेतृत्व क्षमता के साथ वैश्विक स्तर पर भारत का कद काफी बढ़ा है. उन्होंने कहा कि भारत आगामी पांच वर्ष में 5,000 अरब डॉलर (5 Trillion Dollar Economy) और उसके बाद अगले 15 साल में 10,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये तैयार है.

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बता दें एक दिन पहले वर्ल्ड इकॉनमी फोरम  World Economic Forum (WEF) के अध्यक्ष बॉर्ज ब्रेनडे (World Economic Forum, President, Borge Brende ) का कहना है कि दक्षिण एशिया के विकास और वैश्विक आर्थिक वृद्धि को सतत बनाए रखने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है. बता दें डब्ल्यूईएफ, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ मिलकर भारत आर्थिक सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन करता है. डब्ल्यूईएफ राजनीति, कारोबार और समाज के अन्य लोगों के साथ मिलकर वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक एजेंडा को आकार देने का काम करता है. फोरम 33वें भारत आर्थिक सम्मेलन का आयोजन तीन से चार अक्टूबर को दिल्ली में कर रहा है.

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ब्रेनडे (Borge Brende) ने कहा था,' भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. यह असीम क्षमताओं वाली एक युवा अर्थव्यवस्था है. इसने वैश्विक आर्थिक नरमी के बीच मजबूती और लचीलापन प्रदर्शित किया है. जब सूचना प्रौद्योगिक क्षेत्र की बात होती है तो भारत कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भी उन्नत है लेकिन बुनियादी ढांचा क्षेत्र में यहां विकास की काफी संभावनाएं हैं.'

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ब्रेनडे (Borge Brende) ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकी से देश के वृद्धि की रफ्तार को बनाए रखने के लक्ष्य में को पोषित किया जा सकता है. इसमें सामाजिक समावेश और क्षेत्रीय सहयोग को अच्छा बनाने के साथ आर्थिक और सामाजिक मूल्य गढ़ने की संभावना है.

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अब गुरुवार को बोर्ज ब्रेंड ने कहा कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि (World Economic Growth) अनुमान से एक प्रतिशत कम रहने की पूरी संभावना है जो साल 2000 के दशक के आरंभ में आयी वैश्विक मंदी (Global Slowdown) के काफी करीब है, इसके विपरीत दक्षिण एशिया (South Asia) की आर्थिक स्थिति निरंतर मजबूत हो रही है. उन्होंने कहा कि बीती आधी सदी में उभरती हुई और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (Developing Economies) का वैश्विक उत्पादन में योगदान 15 प्रतिशत से बढ़कर 50 प्रतिशत से भी ऊपर निकल गया है.