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Exclusive: यूपी का अगर हुआ बंटवारा तो 4 नहीं इतने टुकड़े होंगे, जानें क्‍यों

क्‍या आपको पता है कि पिछले कई सालों से बीजेपी (BJP) और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) इसे 6 भागों में बांटकर काम कर रहा है.

Updated on: 03 Oct 2019, 07:55 PM

नई दिल्‍ली:

75 जिलों वाले सबसे बड़े सूबे उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को यूं तो बांटने की कवायद वर्षों से जारी है. 2011 की तत्‍कालीन मायवती (Mayawati) सरकार ने जहां इसे 4 भागों पूर्वांचल (Purvanchal) , पश्चिम प्रदेश (Pashchim Pradesh) , अवध प्रदेश (Awadh Pradesh) और बुंदेलखण्ड (Bundelkhand) में बांटने संबंधी प्रस्‍ताव विधानसभा से पास करा दिया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद यह प्रस्‍ताव ठंडे बस्‍ते में चला गया. तब से लेकर अब तक इसे बांटने की कवायद और सोशल मीडिया (Social Media) पर खबरें वायरल (Viral) होती रही हैं. लेकिन क्‍या आपको पता है कि पिछले कई सालों से बीजेपी (BJP) और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (rashtriya swayamsevak sangh-RSS) इसे 6 भागों में बांटकर काम कर रहा है.

बीजेपी (BJP) उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को 6 प्रांतों में बांटकर अपने संगठन को चला रही है. बीजेपी (BJP) के सांगठनिक ढांचे में कुल 6 प्रांत हैं जिनमें ब्रज प्रांत में 16, काशी प्रांत में 15, अवध प्रांत में 14, पश्‍चिम में 19, गोरक्ष प्रांत में 11 और कानपुर में कुल 11 जिले और महानगर शामिल हैं. कमोवेश यही हाल उसके मातृ संगठन राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) का भी है. आइए जानें दोनों संगठन यूपी को किस तरह बांटकर काम करते हैं.

1-काशी प्रांत (Kashi Prant)
2-अवध प्रांत (Awadh Prant) 
3-ब्रज प्रांत (Braj Prant)
4-कानपुर प्रांत (Kanpur Prant)
5-गोरक्ष प्रांत (Goraksh Prant)
6-पश्‍चिम प्रांत (Pashchim Prant)

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ब्रज प्रांत (Braj Prant) 

1-आगरा महानगर (Agra Mahanagar)
2-आगरा जिला (Agra District)
3-मथुरा (Mathura)
4-फिरोजाबाद नगर (Firozabad Nagar)
5-फिरोजाबाद जिला (Firozabad District)
6-मैनपुरी (Mainpuri)
7-अलीगढ़ महानगर (Aligarh Mahanagar)
8-अलीगढ़ जिला (Aligarh District)
9-हाथरस (Hathras) 
10-एटा (Etah)
11-कासगंज (kasganj)
12-बरेली महानगर (Bareilly Mahanagar) 
13-बरेली जिला (Bareilly District)
14-बदायूं (Badaun)
15-पीलीभीत (pilibhit)
16-शाहजहांपुर (Shahjahanpur) 

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काशी प्रांत (Kashi Prant)

1-वाराणसी महानगर (Vransi Mahanagar)
2-वाराणसी जिला (Varansi District) 
3-चंदौली (Chandauli)
4-गाजीपुर (Gazipur)
5-मिर्जापुर (Mirzapur) 
6-भदोही (Bhadohi) 
7-सोनभद्र (Sonbhadra)
8-जौनपुर (Jaunpur)
9-सुल्‍तानपुर (Sultanpur)
10-अमेठी (Amethi)
11-प्रयागराज महानगर (Pryagraj Mahanagar)
12-प्रयागराज यमुनापार (Pryagraj Yamunapar)
13-प्रयागराज गंगापार (Pryagraj Gangapur) 
14-प्रतापगढ़ (Pratapgarh)
15-कौशांबी (Kaushambi)

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अवध प्रांत (Awadh Prant)

1-लखनऊ महानगर (Lucknow Mahanagar)
2-लखनऊ जिला (Lucknow District) 
3-रायबरेली (Raibareli)
4-उन्‍नाव (Unnav)
5-सीतापुर (Sitapur)
6-लखीमपुर (Lakhimpur)
7-हरदोई (Hardoi)
8-फैजाबाद (Faizabad)
9-अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar)
10-बारांबकी (Barabanki)
11-बलरामपुर (Balrampur)
12-बहराइच (Bahraich)
13-गोंडा (Gonda) 
14-श्रावस्‍ती (Shravasti)

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पश्‍चिम प्रांत (Pashchim Prant) 

1-मेरठ महानगर (Meerut Mahanagar) 
2-मेरठ जिला (Meerut District)
3-बागपत (Bagpat)
4-गाजियाबाद महानगर (Ghaziabad Mahanagar)
5-गाजियाबाद जिला (Ghaziabad District)
6-हापुड़ (Hapur)
7-नोएडा (Noida)
8-गौतमबुद्ध नगर (Gautambuddh Nagar)
9-बुलंदशहर (Bulandshahar)
10-रामपुर (Rampur)
11-मुरादाबाद महानगर (Moradabad Mahanagar)
12-मुरादाबाद जिला (Moradabad District)
13-संभल (Sambhal)
14-अमरोहा (Amroha)
15-बिजनौर (Bijnore)
16-सहारनपुर जिला (Saharanpur District) 
17-सहारनपुर महानगर (Saharanpur Mahanagar) 
18-मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar)
19-शामली (Shamli)

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गोरक्ष प्रांत (Goraksh Prant)

1-गोरखपुर जिला (Gorakhpur District)
2-गोरखपुर महानगर (Gorakhpur Mahanagar)
3-कुशीनगर (Kushinagar)
4-सिद्धार्थनगर (Siddharthanagar)
5-बलिया (Balia)
6-बस्‍ती (Basti)
7-संतकबीर नगर (Santkabir Nagar)
8-देवरिया (Deoria)
9-महराजगंज (Mahrajganj)
10-आजमगढ़ (Azamgarh)
11-मऊ (Mau)

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कानपुर प्रांत (Kanpur Prant)

1-कानपुर उत्‍तर (Kanpur North)
2-कानपुर दक्षिण (Kanpur South)
3-कानपुर ग्रामीण (Kanpur Gramin)
4-कानपुर देहात (Kanpur Rural)
5- औरैया (Oraiya)
6-इटावा (Etawah)
7-फतेहपुर (Fatehpur)
8-फर्रुखाबाद (Farrukhabad)
9-बांदा (Banda)
10-महोबा (Mahoba)
11-झांसी (Jhansi)
12-ललितपुर (Lalitpur)
13-चित्रकूट (Chitrkoot)
14-हमीरपुर (Hamirpur)
15-जालौन (Jalaun)


ये तो रही बीजेपी (BJP) की बात. इसके अलावा सपा, बसपा और कांग्रेस जैसे राजनीतिक संगठन उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को दो भागों में बांटकर काम करते हैं. यही नहीं कई बैंक और टेलीकॉम कंपनियां भीअपने प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए इस भारीभरकम सूबे को दो या दो से अधिक भागों में बांटकर काम कर रही हैं. वैसे अगर भविष्‍य में कभी इसका बंटवारा होगा तो यह 6 भागों में बंट सकता है. वैसे यूपी के बंटवारे की मांग जबतब उठती रही है. पूर्वांचल (Purvanchal) और बुंदेलखंड को अलग करने के लिए तो कई आंदोलन तक हो चुके हैं. आइए जानें कब-कब हुए आंदोलन..

बुंदेलखंड

अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग बहुत पुरानी है. 1970 में बुंदेलखंड एकीकरण समिति का गठन किया गया था, लेकिन कुछ खास हुआ नहीं. बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शंकरलाल ने पहली बार अलग राज्य की मांग को लेकर 1989 में उग्र आंदोलन शुरू किया. इसके बाद राजा बुंदेला भी अलग बुंदेलखंड की मांग को लेकर एक्टिव हुए. हालांकि बाद में वह बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए और उनकी ये मांग ठंडी पड़ गई. कांग्रेस की अगुआई वाली डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में राज्यमंत्री रहे प्रदीप जैन भी अलग बुंदेलखंड के पक्ष में रहे. बीजेपी (BJP) सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहीं उमा भारती ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अलग बुंदेलखंड राज्य बनाने का वादा किया था. केंद्र में सरकार तो बनी लेकिन उमा भारती अपना वादा नहीं निभा पाईं.

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पूर्वांचल (Purvanchal)

1962 में अलग पूर्वांचल (Purvanchal) राज्य के मांग की नींव पड़ी . गाजीपुर के सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी ने संसद में यह मुद्दा उठाया. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पटेल आयोग बनाया. जनसंख्या के घनत्व को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र के विकास के लिए पूर्वांचल (Purvanchal) को अलग राज्य बनाने की बात कही गई, लेकिन पटेल आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रही. पूर्वांचल (Purvanchal) से आने वाले कल्पनाथ राय, भरत तिवारी, अमर सिंह जैसे नेताओं ने पूर्वांचल (Purvanchal) राज्य की मांग की, लेकिन गंभीर कोशिश देखने को नहीं मिली. बीच-बीच में छोटी-मोटी मांग उठती रही, लेकिन बड़ा आंदोलन जैसा कुछ नहीं हुआ.

पश्चिम प्रदेश

दिल्ली से सटा पश्चिमी यूपी का इलाका प्रदेश के अन्य हिस्सों से आगे है. गन्ना बेल्ट कहलाता है. खेती, उद्योग धंधे और विकास में सबसे आगे नजर आने वाले इस क्षेत्र के लिए अलग राज्य की मांग होती रही है. यूपी के इस हिस्से को हरित प्रदेश बनाकर अलग राज्य का दर्जा देने की मांग करीब तीन दशक पुरानी है. आरएलडी के नेता चौधरी चरण सिंह इस मांग को लेकर मुखर रहे हैं, लेकिनकोई बड़ा आंदोलन देखने को नहीं मिला. भारतीय किसान यूनियन जैसे संगठन भी अलग राज्य की मांग करते रहे हैं.