उत्तर प्रदेश उपचुनावः यहां पीएम मोदी की सुनामी भी नहीं कर पाई असर
उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश की 11 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे. जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें रामपुर (Rampur), सहारनपुर की गंगोह (Gangoh), घोसी (Ghosi), अलीगढ़ की इगलास, लखनऊ कैंट, बाराबंकी की जैदपुर, चित्रकूट की मानिकपुर, बहराइच की बलहा, प्रतापगढ़, गोविंद नगर और अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट शामिल है. इन 11 विधानसभा सीटों में से रामपुर की सीट सपा और जलालपुर की सीट बसपा के पास थी और बाकी सीटों पर बीजेपी का कब्जा था.
अगर 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इन 11 सीटों पर मोदी का जादू चला था और लोकसभा 2019 के चुनाव में भी बरकरार रहा. अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी अपने प्रतिद्वंद्वियों से मीलों आगे रही. 2019 के चुनाव में मोदी की सुनामी का असर रामपुर में सपा-बसपा-रालोद गंठबंधन के प्रत्याशी आजम खान पर नहीं पड़ा. रामपुर विधानसभा क्षेत्र में उन्हें बंपर वोट मिले वहीं घोसी में बीएसपी के उम्मीदवार को बीजेपी से ज्यादा वोट मिले. अगर इन दो सीटों को छोड़ दें तो 5 महीने पहले लोकसभा चुनाव तक बीजेपी 9 सीटों पर बढ़त बनाने में कामयाब रही.
2017 के विधानसभा चुनाव के 2 साल बाद हो रहे इस उप चुनाव में बीजेपी को जहां अपनी साख बचाने वहीं अलग-अलग लड़ रही सपा और बसपा को भी अपनी सीट बचाने की चुनौती रहेगी. इन 11 विधानसभा सीटों में से रामपुर की सीट सपा और जलालपुर की सीट बसपा के पास थी और बाकी सीटों पर बीजेपी का कब्जा था.
वो सीटें जहां बीजेपी को मिली थी 2019 में कड़ी टक्कर
गंगोह में दिखाया था गठबंधन ने दम
2017 के विधानसभा चुनाव में सहारनपुर की गंगोह (Gangoh) सीट पर बीजेपी और सपा के बीच मुकाबला था. बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप कुमार को 38.6% वोट मिले जबकि कांग्रेस के नौमान मसूद 23.9% पाकर दूसरे और सपा के इंद्रसेन 18.4% मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. बीएसपी के उम्मीदवार महिपाल सिंह चौथे स्थान पर रहे.
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2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति थोड़ी अलग थी. 2017 का विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने वाली सपा और बसपा इस बार साथ थे. इसमें इसका फायदा भी हुआ. लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के सामने कैराना लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में सपा प्रत्याशी को 102598 वोट मिले जो बीजेपी उम्मीदवार से केवल 30256 वोट कम थे.यहां के पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी के 2019 आम चुनाव में कैराना से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद यह विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी. इस बार उपचुनाव में बीजेपी ने किरत सिंह, सपा ने चौधरी इंद्रसेन और कांग्रेस ने नौशाद मसूद को टिकट दिया है. बीएसपी ने इरशाद चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.
विधानसभा चुनाव 2017 | उम्मीदवार | वोट | दल |
2014 लोकसभा में मिले वोट
|
गंगोह | प्रदीप कुमार | 99,446 | बीजेपी | 132854 |
नौमान मसूद | 61,418 | कांग्रेस | 18607 | |
इंदर सेन | 47,219 | सपा | 102598 | |
महिपाल सिंह | 44,717 | बीएसपी |
रामपुरः आजम खान के आगे कोई नहीं टिका
2017 का विधानसभा चुनाव में आजम खान ने बीजेपी के शिव बहादुर को करीब 50 हजार वोटों से हराया था . 2019 के लोकसभा चुनाव में तमाम विवादों के बावजूद वो रामपुर लोकसभा सीट पर विजयी हुए. सपा के फायर ब्रांड नेता ने बीजेपी उम्मीदवार जयप्रदा को हराया.जहां तक लोकसभा चुनाव के दौरान इस विधानसभा क्षेत्र से मिले वोटों की बात करें तो आजम खान यहां भी बीस साबित हुए. यहां उन्हें 131853 वोट मिले तो जया प्रदा को 68094. इस उपचुनाव में यहां से उनकी पत्नी और राज्यसभा सदस्य डॉ तंजीन फातिमा सपा की कंडिडेट हैं. वहीं बीजेपी ने भारत भूषण गुप्ता और बीएसपी ने ज़ुबैर मसूद खान पर दांव लगाया है.
विधानसभा चुनाव 2017 | उम्मीदवार | वोट | दल |
2014 लोकसभा में मिले वोट
|
रामपुर | आजम खान | 102,100 | सपा | 131853 |
शिव बहादुर | 55,258 | बीजेपी | 68094 | |
डॉ तनवीर अहमद खान | 54,248 | बीएसपी |
जलालपुर में रहा हाथी का जलवा
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर मोदी का जादू नहीं चला और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उनकी सुनामी से इस क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं पड़ा. इस सीट से रितेश पांडेय विधायक चुने गए और उन्होंने बीजेपी के डॉ राजेंद्र सिंह को हराया. तीसरे स्थान पर सपा के शंखलाल माझाी रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में रितेश पांडेय ने अंबेडकरनगर संसदीय सीट से सांसद चुने जाने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके चलते जलालपुर विधानसभा सीट रिक्त हुई है.
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बीजेपी ने 2017 का जलालपुर विधानसभा चुनाव लड़ चुके और कई बार इस सीट से विधायक रहे शेरबहादुर सिंह के बेटे डॉक्टर राजेश सिंह पर दांव लगाया है. एसपी ने सुभाष राय पर दांव लगाया है. जबकि बीएसपी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री लालजी वर्मा की बेटी डॉक्टर छाया वर्मा मैदान में हैं. इस विधानसभा सीट से कांग्रेस ने सुनील मिश्र पर चुनावी दांव खेला है. बीजेपी के राजेश सिंह को छोड़ दिया जाए तो बीएसपी, एसपी और कांग्रेस के उम्मीदवार पहली बार इस सीट के लिए अपनी किस्मत आजमाएंगे.
विधानसभा चुनाव 2017 | उम्मीदवार | वोट | दल |
2014 लोकसभा में मिले वोट
|
जलालपुर | रितेश पांडेय | 90,309 | बीएसपी | 133916 |
डॉ राजेंद्र सिंह | 77,279 | बीजेपी | 92143 | |
शंखलाल माझी | 58,773 | एसपी |
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