Vegetable Prices: अब 10 रुपये का बिक रहा है एक टमाटर, सब्जियों के भाव जानकर छूट जाएंगे पसीने

सब्जियों के बढ़ते दामों ने घर का बजट बिगाड़ दिया है. बारिश के कारण सब्जियों की सप्लाई में कमी आई है, जिससे आलू, टमाटर और हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. थोक और खुदरा बाजार में महंगाई ने लोगों को परेशान कर रखा है.

सब्जियों के बढ़ते दामों ने घर का बजट बिगाड़ दिया है. बारिश के कारण सब्जियों की सप्लाई में कमी आई है, जिससे आलू, टमाटर और हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. थोक और खुदरा बाजार में महंगाई ने लोगों को परेशान कर रखा है.

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Publive Team
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Vegetables Price

Vegetables Price ( Photo Credit : Social Media)

सब्जियों के कारण घर का बजट बिगड़ गया है. आलू-टमाटर हो या फिर हरी सब्जियां सभी प्रकार की सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं. बरसात में सब्जियों के महंगे दामों से लोगों को पसीना आ रहा है. आसमान छूने वाले भाव थोक बाजार में भी है. 40-50 रुपये तक बिकने वाला टमाटर 100 रुपये हो गया है. यानि एक टमाटर 10 रुपये का. आलू 40-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. बारिश के कारण सब्जियों की सप्लाई भी नहीं हो रही है. आलू-टमाटर के साथ-साथ अन्य सब्जियों ने भी आंसू ला दिए हैं.

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आज 30-40 रुपये वाली भिंडी 100-120 रुपये के हिसाब से बिक रही है. खुदरा बाजार के आधार पर थोक बाजार में उतनी महंगाई नहीं हुई है. थोक में आलू 22-32 रुपये प्रतिकिलो है. प्याज 27-35 रुपये तो लहसुन 120-150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. रेहड़ी-पटरी पर बिकने वाली सब्जियों के भाव भी कुछ ही दिनों में तीन गुना बढ़ गए. बींस-शिमला मिर्च भी अब 100 रुपये 100 रुपये हो गए हैं. जानकारों का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों से सब्जियों की आवक को रही है. बरसात के कारण ऐसा होता है. खेतों में पानी भर जाता है, जिससे हरी सब्जियां नहीं हो पाती. बरसात के कारण फसलें खराब हो रही है. 

रेहड़ी वाले इसलिए बढ़ाते हैं दाम
रेहड़ी पर सब्जी बेचने वाले व्यापारी का कहना है कि बारिश के कारण आलू-प्याज टमाटर की बोरी से एक चौथाई सामान खराब निकलता है. बेचने से पहले उन्हें साफ करना पड़ता है. हरी सब्जियां तो गर्मी-उसम और बारिश से जल्दी खराब हो जाती हैं. फ्रिज है नहीं कि उन्हें रख सकें. इस वजह से थोक बाजार से थोड़ा सामान उठाते हैं और इसी कारण हमें ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है. 

सभी लोग परेशान
महंगाई खरीददार ही नहीं बल्कि व्यापारी भी परेशान है. उनका कहना है कि अब हमें किलो भी जगह पाव का भाव बताना पड़ता है. क्योंकि ग्राहक किलो का भाव सुनते ही भड़क जाता है और मोल-भाव शुरू कर देता है.

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Source : News Nation Bureau

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