देश के जानेमाने उद्योगपति राजीव बजाज ने गुरुवार को कहा कि कोरोना संकट से निपटने के संदर्भ में भारत ने पश्चिमी देशों की ओर देखा और कठोर लॉकडाउन लगाने का प्रयास किया जिससे संक्रमण का प्रसार भी नहीं रुका और सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) औंधे मुंह गिर गया एवं अर्थव्यवस्था तबाह हो गई. इसके बाद बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट कर पलटवार किया है उन्होंने कहा कि राजीव बजाज, जिन्हें राहुल गांधी ने कोविड विशेषज्ञ के रूप में प्रस्तुत किया, ने स्वीडन में लॉकडाउन लागू नहीं करने की रणनीति की सराहना की. मालवी ने आगे लिखा उन्होंने अकर पटेल, प्रशांत भूषण, रवीश कुमार जैसे लोंगों की ही तरह किया. लेकिन स्वीडन के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंडर्स टेगनेल खुद मानते हैं कि उन्हें यह गलत लगा!
Rajiv Bajaj, who Rahul Gandhi presented as a Covid expert, hailed Sweden’s strategy of NOT imposing a lockdown.
So did usual suspects like Aakar Patel, Prashant Bhushan, Ravish Kumar and others..
But Dr Anders Tegnell, Sweden’s chief epidemiologist, admits that they got it WRONG! pic.twitter.com/vcN54WqjnV— Amit Malviya (@amitmalviya) June 4, 2020
बतादें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से किए गए संवाद में बजाज ने यह भी कहा कि बहुत सारे अहम लोग बोलने से डरते हैं और ऐसे में हमें सहिष्णु और संवेदनशील रहने को लेकर भारत में कुछ चीजों में सुधार करने की जरूरत है. राहुल गांधी ने इस संवाद के दौरान कहा कि कोरोना संकट से निपटने के लिए शुरुआत में राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं जिला अधिकारियों को शक्ति देने की जरूरत थी और केंद्र सहयोग का काम करता. उन्होंने यह भी कहा कि इस मुश्किल समय में मजदूरों, गरीबों, श्रमिकों, एमएसएमई और बड़े उद्योगों को भी मदद की जरूरत है.
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उनके लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर ‘बजाज ऑटो' के प्रबंध निदेशक ने कहा, ‘मैं यह नहीं समझ पाता कि एशियाई देश होने के बावजूद हमने पूरब की तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया. हमने इटली, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका को देखा.' बजाज के मुताबिक हमने एक कठिन लॉकडाउन को लागू करने की कोशिश की जिसमें कमियां थीं. इसलिए मुझे लगता है कि हमें आखिर में दोनों तरफ से नुकसान हुआ. उन्होंने कहा, ‘कठोर और खामियों वाला लॉकडाउन यह सुनिश्चित करता है कि वायरस अभी भी मौजूद रहेगा. यानी आपने वायरस की समस्या को हल नहीं किया. लेकिन निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया. संक्रमण को समतल करने के बजाय जीडीपी के ग्राफ (कर्व) को समतल कर दिया.'
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संकट से उबरने से जुड़े प्रश्न पर बजाज ने कहा, ‘हमें फिर से मांग पैदा करनी होगी, हमें कुछ ऐसा करना होगा जो लोगों के मूड को बदल दे. हमें मनोबल बढ़ाने की आवश्यकता है. मुझे समझ में नहीं आता है कि कोई मजबूत पहल क्यों नहीं की गई है?' सरकार की ओर से घोषित आर्थिक पैकेज पर उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में जो सरकारों ने दिया है उसमें से दो तिहाई लोगों के हाथ में गया है. लेकिन हमारे यहां सिर्फ 10 फीसदी ही लोगों के हाथ में गया है.
बजाज ने कहा, ‘मुझे लगता है कि पहली समस्या लोगों के दिमाग से डर निकालने की है. इसे लेकर स्पष्ट विमर्श होना चाहिए.' उन्होंने कहा, ‘मझे लगता है कि लोग प्रधानमंत्री की सुनते हैं. ऐसे में अब (उन्हें) यह कहने की जरूरत है कि हम आगे बढ़ रहे हैं, सब नियंत्रण में है और संक्रमण से मत डरिए.'
राहुल गांधी की ओर से मौजूदा समय में ‘डर के माहौल' का उल्लेख किए जाने पर बजाज को उनके एक साथी ने उन्हें, उनसे (राहुल) बातचीत नहीं करने की सलाह दी. बजाज ने कहा, ‘मैंने भी किसी के साथ यह साझा किया कि मैं राहुल से बात करने जा रहा हूं और ये बातें करने जा रहा हूं. उसकी पहली प्रतिक्रिया थी, यह मत करो. मैंने कहा, लेकिन क्यों नहीं ? उसका जवाब था- मत करना, इससे आपको परेशानी हो सकती है.'
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने उन्हें विस्तार से बताया. मैंने कहा, हम व्यापार, अर्थशास्त्र, लॉकडाउन के बारे में बात करने जा रहे हैं. क्या करें, कैसे आगे बढ़ें, प्रौद्योगिकी, उत्पाद आदि. वो मोटरसाइकिल पसंद करते हैं और इसलिए हम मोटरसाइकिल आदि के बारे में बात करेंगे ? अब ये बातें भी नहीं हो सकती क्या? फिर भी वो इस बात पर टिका रहा कि क्यों जोखिम लेते हो?'
देश में निवेश के लिए उत्साह और आत्मविश्वास को जरूरी करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सहिष्णु होने के मामले में, संवेदनशील होने के संदर्भ में भारत को कुछ चीजों को सुधारने की जरूरत है.'
Source : News Nation Bureau