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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले- काशी में लगभग 8 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर चल रहा है काम

नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे बताया गया है कि जब जिला प्रशासन के पास भोजन बांटने के लिए अपनी गाड़ियां कम पड़ गईं तो डाक विभाग ने खाली पड़ी अपनी पोस्टल वैन इस काम में लगा दीं. सोचिए, सरकारों की, प्रशासन की छवि तो यही रही है कि पहले हर काम को मना किया जाता है.

Updated on: 09 Jul 2020, 12:02 PM

नई दिल्ली :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) वाराणसी के एनजीओ को संबोधित कर रहे हैं. पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक एनजीओ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी के प्रयासों से हमारी काशी भारत के एक बड़े एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित हो सकती है और हमें करना चाहिए. काशी को हम आत्मनिर्भर भारत अभियान के प्रेरक के रूप में भी विकसित करें, स्थापित करें. इस समय काशी में ही लगभग 8 हजार करोड़ रुपये के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम तेजी से चल रहा है. जब स्थितियां सामान्य होंगी तो काशी में पुरानी रौनक भी उतनी ही तेजी से लौटेगी। इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी.

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मुझे बताया गया है कि जब जिला प्रशासन के पास भोजन बांटने के लिए अपनी गाड़ियां कम पड़ गईं तो डाक विभाग ने खाली पड़ी अपनी पोस्टल वैन इस काम में लगा दीं. सोचिए, सरकारों की, प्रशासन की छवि तो यही रही है कि पहले हर काम को मना किया जाता है. सावन का महीना चल रहा है, ऐसे में बाबा के चरणों में आने का मन हर किसी का करता है, लेकिन जब बाबा की नगरी के लोगों से रूबरू होने का मौका मिला है तो ऐसा लगता है कि आज मेरे लिए एक दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.

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कोरोना के इस संकट काल में उम्मीद से भरी हुई है हमारी काशी
उन्होंने कहा कि ये भगवान शंकर का ही आशीर्वाद है कि कोरोना के इस संकट काल में भी हमारी काशी उम्मीद से भरी हुई है, उत्साह से भरी हुई है. ये सही है कि लोग बाबा विश्वनाथ धाम नहीं जा पा रहे? ये सही है कि मानस मंदिर, दुर्गाकुंड, संकटमोचन में सावन का मेला नहीं लग पा रहा है. इस अभूतपूर्व संकट के समय में और मेरी काशी, हमारी काशी ने, इस अभूतपूर्व संकट का डटकर मुकाबला किया है. आज का ये कार्यक्रम भी तो इसी की एक कड़ी ही है. उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए कौन क्या कदम उठा रहा है, अस्पतालों की स्थिति क्या है, कहां क्या व्यवस्थाएं की जा रही हैं, क्वारंटीन को लेकर क्या हो रहा है, बाहर से आए श्रमिक साथियों के लिए क्या प्रबंध हो रहे हैं. ये सारी जानकारियां मुझे मिल रही थीं.

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गरीबों की सेवा का माध्यम भगवान ने हमें बनाया
उन्होंने कहा कि हमारी काशी में बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा दोनों विराजते हैं. पुरानी मान्यता है कि एक समय महादेव ने खुद मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी. तभी से काशी पर ये विशेष आशीर्वाद रहा है कि यहां कोई भूखा नहीं सोएगा. मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ, सबके खाने का इंतजाम कर देंगे. आप सभी के लिए, तमाम संगठनों के लिए और हम सभी के लिए ये बहुत सौभाग्य की बात है कि इस बार गरीबों की सेवा का माध्यम भगवान ने हमें बनाया. एक तरह से आप सभी मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ के दूत बनकर हर ज़रूरतमंद तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि इतने कम समय में फूड हेल्पलाइन और कम्यूनिटी किचन का व्यापक नेटवर्क तैयार करना, हेल्पलाइन विकसित करना, डेटा साइंस की मदद लेना, वाराणसी स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर का भरपूर इस्तेमाल करना, यानि हर स्तर पर सभी ने गरीबों की मदद के लिए पूरी क्षमता से काम किया है.

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संकट के समय में लोगों ने एक दूसरे की मदद की
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संकट के समय हमने देखा है कि आगे बढ़कर एक दूसरे की मदद की है. इसी एकजुटता, इसी सामयिकता ने हमारी काशी को और भव्य बना दिया है. हजारों लोगों ने काशी के गौरव को बढ़ाया है. सैकड़ों संस्थाओं ने अपने आप को खपा दिया है. सबसे मैं बात नहीं कर पाया हूं, लेकिन मैं हर किसी के काम को आज नमन करता हूं. सेवाभाव से जुड़े हुए हर व्यक्ति को मैं प्रणाम करता हूं. आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तब आपसे केवल जानकारी नहीं ले रहा हूं, बल्कि आप सबसे प्रेरणा ले रहा हूं. अधिक काम करने के लिए, आप जैसे लोगों ने इस संकट में काम किया, इनके आशीर्वाद ले रहा हूं.

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उन्होंने कहा कि जब इस बार महामारी आई, तो सभी भारत को लेकर डरे हुए थे. इसमें भी 23-24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश को लेकर तो शंकाएं और भी ज्यादा थीं, लेकिन आपके सहयोग ने, उत्तर प्रदेश के लोगों के परिश्रम ने, पराक्रम ने सारी आशंकों को ध्वस्त कर दिया. आज स्थिति ये है कि उत्तर प्रदेश ने न सिर्फ संक्रमण की गति को काबू में किया है बल्कि जिन्हें कोरोना हुआ है, वो भी तेजी से ठीक हो रहे हैं. कबीरदास जी ने कहा है-'सेवक फल मांगे नहीं, सेब करे दिन रात'अर्थात - सेवा करने वाला सेवा का फल नहीं मांगता, दिन रात निःस्वार्थ भाव से सेवा करता है. दूसरों की निस्वार्थ सेवा के हमारे यही संस्कार हैं, जो इस मुश्किल समय में काम आ रहें हैं. इसी भावना के साथ केंद्र सरकार ने भी निरंतर प्रयास किया है कि कोरोना के इस समय में सामान्य जन की पीड़ा को साझा किया जाए, उसको कम किया जाए. गरीब को राशन मिले, उसके पास कुछ रुपए रहें, उसके पास रोजगार हो और वो अपने काम के लिए ऋण ले सके, इन सभी बातों पर ध्यान दिया है.