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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद( Photo Credit : फाइल )
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रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों से पास किसानों और कृषि से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी है. आपको बता दें कि विपक्षी राजनीतिक दल और किसान मोदी सरकार के इन विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद( Photo Credit : फाइल )
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने विपक्षी राजनीतिक दलों और किसानों के लगातार विरोध के बावजूद कृषि संबंधित बिलों को मॉनसून सत्र में संसद को दोनों सदनों से पास करवा लिया था. रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के दोनों सदनों से पास किसानों और कृषि से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी है. आपको बता दें कि विपक्षी राजनीतिक दल और किसान मोदी सरकार के इन विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे लेकिन दोनों में से किसी की भी अपील काम नहीं आई और रविवार को राष्ट्रपति ने इन बिलों पर हस्ताक्षर कर दिए. इन कृषि बिलों के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार में सहयोगी रही पंजाब की शिरोमणि अकाली दल भी इस बिल के विरोध में लगातार मुखर रही. शिरोमणि अकाली दल ने संसद में ही इस बिल का विरोध किया और इसी के चलते केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद भी मोदी सरकार अपने रवैये पर अड़ी रही, जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए को झटका देते हुए खुद को इस गठबंधन से अलग कर लिया. आपको बता दें कि संसद में अकाली दल के अलावा कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों ने कृषि बिल का लगातार विरोध किया और राष्ट्रपति से भी इस बात की गुजारिश भी की थी कि वो इस पर दस्तखत न करें, लेकिन रविवार को विपक्षी दलों की अपीलें धरीं की धरीं रह गई और राष्ट्रपति कोविंद ने इस बिल पर हस्ताक्षर करके भेज दिया.
गुलाम नबी आजाद ने की थी राष्ट्रपति से मुलाकात
बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी. आपको बता दें कि विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल के तौर पर गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और इस मुलाकात में उन्होंने राष्ट्रपति कोविंद से इस बात की गुजारिश की थी कि केंद्र सरकार को यह बिल सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद लाना चाहिए था. आजाद ने इस दौरान राष्ट्रपति से ये भी कहा था कि दुर्भाग्य से ये बिल न सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया और न ही स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया. किसान बिलों को लेकर विपक्ष के जरिए लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि किसान अपना खून-पसीना एक करके अनाज पैदा करते हैं ये किसान देश की रीढ़ हैं.
3 कृषि बिल संसद से हुए पास
इसके पहले संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से पास हुए 3 अहम कृषि विधेयकों के विरोध में विपक्षी राजनीतिक दलों सहित किसान संगठनों द्वारा 25 सितंबर शुक्रवार को भारत बंद बुलाया गया था, जिसका सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत, खासतौर से पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में देखा गया. हालांकि, अन्य राज्यों में भी विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया. भारतीय किसान यूनियन का दावा है कि भारत बंद के दौरान शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा पूरी तरह बंद रहे. पंजाब और हरियाणा में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल से जुड़े किसान संगठनों ने विधेयकों का विरोध किया.
Source : News Nation Bureau