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नए संसद भवन के लिए तैयारी पूरी, होंगी ये सुविधाएं, उकेरे जाएंगे वेदों के मंत्र

भारत के नए संसद भवन के निर्माण की सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है. लॉकडाउन की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया लेकिन भवन बनाने की जिम्मेदारी सीपीडब्लूडी को सौंपी जा चुकी है. नया संसद भवन कैसा होगा? क्या सुविधा होगी? सुरक्षा के क्या इंतज़ाम होंगे?

Updated on: 07 Jul 2020, 05:19 PM

नई दिल्ली:

भारत के नए संसद भवन के निर्माण की सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है. लॉकडाउन की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया लेकिन भवन बनाने की जिम्मेदारी सीपीडब्लूडी को सौंपी जा चुकी है. नया संसद भवन कैसा होगा? क्या सुविधा होगी? सुरक्षा के क्या इंतज़ाम होंगे? ये सारे प्रारूप तैयार कर अंतिम रूप दिया जा चुका है. नए संसद भवन में क्या खासियत होनी चाहिए, संसद भवन कैसा बनना चाहिए इसे जानने के किए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सामान्य प्रयोजन संबंधी समिति की बैठक बुला कर सुझाव मांगे थे.

बैठक में संसद की सभी समितियों के अध्यक्षों के साथ पार्टी अध्यक्षों को भी बुलाया गया था. बैठक में सभी सदस्यों के सामने डिजिटल प्रेजेंटेशन भी हुआ. प्रेजेंटेशन में नए संसद भवन के प्रारूप को उसकी सुविधा को उसकी बनावट को उसकी सुरक्षा व्यवस्था को दिखाया गया और बाद में बैठक में शामिल सदस्यों से राय भी मांगी गई. जिसमें कई तरह सुझाव रखे गए और उस पर सर्वसम्मति भी बन गई.

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नए बनने वाले संसद भवन में भारतीयता की छाप भरपूर रखने की वकालत बैठक में की गई साथ ही कहा गया कि भवन निर्माण में भारतीय वास्तुकला, भारतीय शिल्प कला को ही प्रमुखता दी जानी चाहिए और जिस तरह मौजूदा संसद भवन में वेदों और उपनिषदों के श्लोक लिखे हुए हैं उससे ज्यादा नए भवन में उकेरे जाने चाहिए. तर्क यह दिया गया कि जब अंग्रेजों ने संसद भवन में वेदों और उपनिषदों को इतना महत्वपूर्ण स्थान दिया तो अब आजाद भारत में भारतीयों के द्वारा नए संसद भवन का निर्माण हो रहा है तो इसे और भी बढ़ा देना चाहिए.

साथ ही बैठक में यह मांग भी रखी गई कि भारतीय संस्कृति, लोकाचार, भारतीय परंपरा को भी भरपूर स्थान संसद भवन में दिया जाना चाहिए. यही नहीं, बोर्ड बैठक में यह मांग भी रखी गई कि नए भवन में आध्यात्मिक केंद्र भी बनाया जाना चाहिए जिसमें सर्व धर्म प्रार्थना स्थल भी हो. संसद भवन में स्वदेशी कलाकृतियां को भी भरपूर स्थान दिए जाने की सदस्यों ने भरपूर वकालत की.

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बैठक में भारतीय संस्कृति और कला का हवाला देते हुए सदस्यों ने कहा कि अगर संसद भवन में घूमने कोई बाहरी मेहमान आता है तो उसे भवन देखने से ही यह मालूम हो जाए कि भारत की संस्कृति, उसकी परंपरा, उसकी कला क्या है. लिहाजा स्वदेशी कला परंपरा को तरजीह देना चाहिए.

लेकिन संसद भवन में सांसदों के गाड़ी से उतरने के बाद उनके कक्ष तक इलेक्ट्रिक कार से ले जाने की व्यवस्था सांसदों को और सदस्यों को पसंद नहीं आई. बैठक में शामिल सदस्यों ने राय दी की गाड़ी से उतरने के बाद बनने वाले सुरंग में वाक वे बनाया जाना चाहिए ताकि वह पैदल टहलते हुए सदन तक और अपने कक्ष तक पहुंच सकें.
गौर करने वाली बात यह है की प्रस्तावित नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल का प्रावधान नहीं रखा गया.

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लेकिन सदस्यों ने सुझाव दिया साथ ही मांग करते हुए कहा कि सेंट्रल हॉल अनिवार्य है. इसे बनाया जाना चाहिए ताकि राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य आपस में मिल सके और विचारों का आदान-प्रदान कर सकें. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ जनरल परपज कमिटी की हुई इस बैठक में ढेर सारे सुझाव सदस्यों ने दिए जिसमें से अधिकतर पर सहमति भी बन गई.

यानी नए बनने वाले संसद भवन में अब भरपूर भारतीयता दिखाई देगी. 2022 तक इसे बनाने का लक्ष्य तय किया गया था और यह भी निश्चित किया गया था कि 2022 का बजट सत्र नए भवन में ही हो. लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से इसकी अवधि 6 माह के लिए आगे बढ़ा दी गई है.