शहीद CO देवेंद्र मिश्रा की चिट्ठी वायरल, प्रियंका ने गृह विभाग पर उठाए सवाल
कानपुर में 8 पुलिस वालों की हत्या का आरोपी कुख्यात अपराधी विकास दुबे अभी भी पुलिस के चंगुल से बाहर है. विकास दुबे की तलाश में पूरा पुलिस महकमा लगा हुआ है.
नई दिल्ली:
कानपुर में 8 पुलिस वालों की हत्या का आरोपी कुख्यात अपराधी विकास दुबे अभी भी पुलिस के चंगुल से बाहर है. विकास दुबे की तलाश में पूरा पुलिस महकमा लगा हुआ है. गुरुवार देर रात विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम को विकास दुबे और उसके साथियों ने मौत के घाट उतार दिया. पुलिस को शक है क बात डिपार्टमेंट के भीतर से ही लीक हुई है. मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के प्रभारी विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया है. चौबेपुर थाने के 3 और पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया है.
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इसी बीच शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की एक चिट्ठी सामने आई है. जिसमें एसओ विनय तिवारी और विकास दुबे की मिलीभगत का दावा किया जा रहा है. यह चिट्ठी मार्च में ही लिखी गई थी. एनकाउंटर में शहीद क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा की ओर से तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को यह चिट्ठी लिखी गई थी. अब यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पत्र को ट्वीट करते हुए उत्तर प्रदेश के गृह विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं.
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उन्होंने लिखा ''कानपुर कांड में शहीद हुए पुलिस अधिकारी श्री देवेन्द्र मिश्र का वरिष्ठ अधिकारियों को मार्च में लिखा गया पत्र इस नृशंस वारदात का अलार्म था. आज कई खबरें आ रही हैं कि वो पत्र गायब है. ये सारे तथ्य यूपी के गृह विभाग की कार्यशैली पर एक गंभीर प्रश्न उठाते हैं.''
कानपुर कांड में शहीद हुए पुलिस अधिकारी श्री देवेन्द्र मिश्र का वरिष्ठ अधिकारियों को मार्च में लिखा गया पत्र इस नृशंस वारदात का अलार्म था।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 7, 2020
आज कई खबरें आ रही हैं कि वो पत्र गायब है। ये सारे तथ्य यूपी के गृह विभाग की कार्यशैली पर एक गंभीर प्रश्न उठाते हैं। pic.twitter.com/CXgU3rKrGW
क्या था चिट्ठी में
चिट्ठी में कहा गया कि 13 मार्च को विकास दुबे के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था. जिसमें विवेचना अधिकारी अजहर इशरत ने धारा बदल दी. 386 की धारा हटाकर आपसी रंजिश की धारा जोड़ दी गई. आगे पत्र में यह भी बताया गया कि जब विवेचना अधिकारी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि थानाध्यक्ष के कहने पर धारा हटाई गई है. उन्होंने आगे लिखा कि एक कुख्यात अपराधी के प्रति सहानभूति रखना विनय तिवारी की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध बनाता है. पत्र में यह भी बताया गया है कि विनय तिवारी का विकास दुबे से मिलना जुलना लगा था.
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