कांग्रेस में और गहराया आंतरिक संकट, मनीष तिवारी को मिला थरूर-देवड़ा का साथ

कांग्रेस (Congress) की अंदरूनी रार दिन पर दिन और गहरी होती जा रही है. कांग्रेस की बुर्जुआ पीढ़ी के नेताओं ने युवा नेताओं को संयम बरतते हुए विरासत का अपमान नहीं करने को कहा है.

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Nihar Saxena
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Manmohan Singh Sonia Gandhi

संप्रग सरकार के मुखिया बतौर मनमोहन सिंह भी आए रार की चपेट में.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

कांग्रेस (Congress) की अंदरूनी रार दिन पर दिन और गहरी होती जा रही है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) द्वारा राज्यसभा सांसदों की वर्चुअल बैठक से शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी (Manish Tewari) के तीखे तेवरों को अब शशि थरूर (Shashi Tharoor), मिलिंद देवड़ा (Milind Deora) जैसे युवा नेताओं का भी समर्थन मिल गया है. इस बीच कांग्रेस की बुर्जुआ पीढ़ी के नेताओं ने युवा नेताओं को संयम बरतते हुए विरासत का अपमान नहीं करने को कहा है.

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युवा अपनी ही विरासत का नहीं करें अपमान
कांग्रेस में अनुभवी और नए नेताओं में गतिरोध की खबरों के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को अपने नौजवान साथियों को सलाह दी है कि अपनी खुद की विरासत का अपमान नहीं करें और ऐसा करके वे केवल जनता की नजरों में पार्टी को कमजोर करने की भाजपा की सोच को ही बढ़ावा देंगे. कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने पार्टी नेताओं को आगाह करते हुए कहा कि इस तरह की प्रवृत्ति ऐसे वक्त में कांग्रेस को बांट देगी जब एकजुटता की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी को अतीत की पराजयों से सीख लेनी चाहिए और वैचारिक शत्रुओं के मनमाफिक चलने के बजाय पार्टी में नई जान डालनी चाहिए.

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आनंद शर्मा ने किया बचाव
कांग्रेस नीत संप्रग के बचाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि कोई अपनी ही विरासत का अपमान नहीं करता. इससे पहले पार्टी के युवा नेता राजीव सातव ने कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों की हाल ही में हुई एक बैठक में संप्रग के कामकाज पर सवाल उठाया था. राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने कहा, 'कांग्रेस नेताओं को संप्रग की विरासत पर गर्व होना चाहिए. कोई पार्टी अपनी ही विरासत को अपमानित नहीं करती. भाजपा से परोपकार की या हमें श्रेय देने की उम्मीद नहीं की जा सकती, लेकिन हमारे अपने लोगों को सम्मान देना चाहिए.'

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मनीष तिवारी को मिला मिलिंद देवड़ा का साथ
एक अन्य नेता ने कहा कि दुखद है कि कांग्रेस में कुछ तत्व जाने-अनजाने जनता की नजरों में पार्टी को आपसी गतिरोध में उलझा दिखाने की भाजपा की सोच को ही बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि सभी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के विरुद्ध एकजुट दिखना चाहिए. पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने ट्विटर पर लिखा, 'भाजपा 2004 से 2014 तक 10 साल सत्ता से बाहर रही, लेकिन उन्होंने उस समय की हालत के लिए कभी अटल बिहारी वाजपेयी या उनकी सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया.' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस में दुर्भाग्य से कुछ दिग्भ्रमित लोग राजग और भाजपा से लड़ने के बजाय डॉ मनमोहन सिंह नीत संप्रग सरकार पर छींटाकशी कर रहे हैं. जब एकता की जरूरत है, वे विभाजन कर रहे हैं.' बहस और आगे बढ़ गयी जब तिवारी के जवाब में कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने कहा, 'बहुत सही कहा, मनीष. 2014 में पद छोड़ते समय डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था, इतिहास मेरे प्रति उदार रहेगा.'

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मनमोहन सिंह का किया बचाव
देवड़ा ने ट्वीट में कहा, 'क्या कभी उन्होंने कल्पना भी की होगी कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोग देश के प्रति उनकी सालों की सेवा को खारिज कर देंगे और उनकी विरासत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे. वह भी उनकी मौजूदगी में?' एक अन्य पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने तिवारी और देवड़ा के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, 'संप्रग के क्रांतिकारी दस सालों को दुर्भावनापूर्ण विमर्श के साथ कलंकित कर दिया गया. हमारी हार से सीखने को बहुत सारी बातें हैं और कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिए बहुत मेहनत करनी होगी, लेकिन हमारे वैचारिक शत्रुओं के मनमाफिक चलने पर ऐसा नहीं हो सकता.'

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चरम पर पहुंच रहा विद्रोह
सातव ने इस बहस को उस समय जन्म दिया जब उन्होंने पूर्व मंत्रियों कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम से इतनी पुरानी बड़ी पार्टी के कमजोर होने पर आत्मचिंतन को कहा.' आनंद शर्मा ने कहा कि इतिहास ईमानदारी के सााथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के अपार योगदान को याद रखेगा. कांग्रेस में युवा और अनुभवी नेताओं के बीच विभाजन अक्सर सामने आता रहा है जो पिछले कुछ महीनों में पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने और राजस्थान में सचिन पायलट के विद्रोह से चरम पर पहुंच गया.

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