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पैंगोंग सो और देपसांग में पीछे हटने को तैयार नहीं चीनी सैनिक, 5वें दौर की सैन्य बातचीत टली

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव कम नहीं हो रहा है. विवादित सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की संभावनाएं कम और कठिन होती दिखाई दे रही हैं.

Updated on: 02 Aug 2020, 07:37 AM

नई दिल्ली:

भारत और चीन (India China) के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव कम नहीं हो रहा है. विवादित सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने की संभावनाएं कम और कठिन होती दिखाई दे रही हैं. दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में बनी सहमति के बाद भी चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान वापस नहीं लौटे हैं. अभी भी पैंगोंग सो और देपसांग क्षेत्र में चीनी सैनिक डेरा डाले हुए हैं, जिनके यहां से हटने के कोई संकेत नहीं हैं. तो उधर, अरुणाचल प्रदेश तक ड्रैगन अपनी सेना को बढ़ा रहा है. ऐसे में चीन और भारत के बीच होने वाली 5वें दौर की सैन्य बातचीत टल गई है. 

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अगले हफ्ते दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावना

दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों ने विवाद को हल करने के लिए फिर से बातचीत करने की योजना बनाई थी. 30 जुलाई को दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत होनी थी. मगर चीन के इरादे ठीक नहीं लग रहे हैं, जिसे देखते हुए फिलहाल बातचीत को टाल दिया गया है. हालांकि सूत्र बताते हैं कि पैंगोंग सो वाले इलाके से सेनाओं की पूर्ण वापसी का तरीका तय करने के लिए अगले हफ्ते सेना के शीर्ष कमांडरों की बैठक होने की संभावना है. घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि गलवान घाटी और कुछ अन्य स्थानों, जहां संघर्ष हुआ था, से चीन की सेना वापस जा चुकी है, लेकिन पैंगोंग सो इलाके में फिंगर पांच से फिंगर आठ तक के क्षेत्र से चीनी सैनिकों की वापसी उस तरह से नहीं हो रही है, जैसा कि भारत ने मांग की थी. 

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चीनी सैनिक तनाव वाले बिंदुओं से पीछे नहीं हटे

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, चीनी सैनिक तनाव वाले बिंदुओं से पीछे नहीं हटे हैं. गोगरा और पैंगोंग झील और देपसांग में जमीनी स्तर पर बहुत कुछ नहीं बदला है. पैंगोंग झील और हॉट स्प्रिंग्स-गोगरा क्षेत्र जो गश्ती प्वाइंट 17 ए का हिस्सा है, अभी भी अस्थिर है. पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिक फिंगर 4 से फिंगर 5 के क्षेत्र से वापस चले गए हैं, लेकिन वे अभी भी माउंटेन स्पर्स पर बने हुए हैं. यही नहीं, चीनी सैनिक फिंगर 5 और फिंगर 8 के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं. 14 जुलाई को कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि चीनी पीएलए के सैनिक पीछे हटने के रोडमैप का अनुपालन नहीं कर रहा है.

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चीन के साथ 4 बार सैन्य स्तर की हुई बातचीत 

क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के लक्ष्य से पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाली जगह से सेनाओं की वापसी को लेकर अभी तक दोनों देशों की सेनाओं के शीर्ष सैन्य कमांडरों के बीच चार चरण की वार्ता हो चुकी है. सूत्रों ने बताया कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर फिलहाल चल रही वार्ता के परिणामस्वरूप पूर्वी लद्दाख के गश्ती बिन्दु 14, 15 और 17ए से सेनाएं पूरी तरह अपनी-अपनी जगह लौट चुकी हैं. बता दें कि 5 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर करीब दो घंटे तक पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिये चर्चा की थी. दोनों पक्षों ने इस वार्ता के बाद छह जुलाई के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की थी.

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दोनों देशों की सेना कई बिंदुओं पर 10 सप्ताह से आमने-सामने

ज्ञात हो कि दोनों देशों की सेना सीमा से सटे कई बिंदुओं पर 10 सप्ताह से आमने-सामने हैं. चीन ने भारतीय क्षेत्र के अंदर घुसते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की यथास्थिति बदलने का प्रयास किया है. इस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है और चीन के साथ सभी स्तरों पर मामले को उठाया जा रहा है. दोनों देशों के सैनिकों के बीच 15 जून की रात गलवान घाटी में हिंसक झड़प होने के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण है. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीन के भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबरें हैं.