पीएम नरेंद्र मोदी की इन बातों पर हुई खूब आलोचना, आज मना रहे हैं 67वां जन्मदिन
मोदी ने पिछले तीन साल के अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले भी लिए। इनमें से कुछ फैसले ऐसे भी रहे जिनकी आधारशिला कांग्रेस की सरकार के समय रखी गई।
highlights
- पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने लिए कई बड़े फैसले, कई बार हुई आलोचना
- दादरी हत्याकांड से लेकर गौमांस और कट्टरवाद पर शुरू में मोदी की चुप्पी पर उठे थे सवाल
- नरेंद्र मोदी आज मना रहे हैं अपना 67वां जन्मदिन
नई दिल्ली:
यूपीए सरकार के 10 साल के शासन के बाद जब नरेंद्र मोदी की सरकार बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई तो लोगों के मन में कई उम्मीदें थी। मोदी ने पिछले तीन साल के अपने कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए। इनमें से कुछ फैसले ऐसे भी रहे जिनकी चर्चा कांग्रेस की सरकार के समय शुरू हो गई थी। बहरहाल, नरेंद्र मोदी आज अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं। आईए, इस मौके पर हम बात करते हैं पीएम मोदी के कुछ ऐसे फैसलों, घटनाओं और बयानों के बारे में भी जिन्हें लेकर उनकी आलोचना की गई...
1. नोटबंदी: इसे मोदी सरकार के कार्यकाल का यह सबसे बड़ा फैसला मान सकते हैं। कहा जाता है कि यह ऐसा फैसला था जिसके बारे में कैबिनेट में शामिल कई मंत्रियों तक को मालूम नहीं था। 8 नवंबर, 2016 की रात 8 बजे पीएम मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की घोषणा की।
पीएम मोदी का दावा था कि इससे जाली नोटों से निपटने, काला धन सामने लाने, आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने में मदद मिलेगी। साथ ही डिजिटल इंडिया की भी बात हुई।
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हालांकि, कई जानकारों और बाद में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन तक ने इस फैसले की आलोचना की। नोटबंदी के बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की कतार और कुछ लोगों की मौत भी पीएम मोदी के आलोचना का कारण बनी।
2. दादरी हत्याकांड: पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद सितंबर-2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या पहली ऐसी वारदात रही जहां से गौमांस और कथित गौरक्षकों पर बहस शुरू हुई। अवॉर्ड वापसी का दौर चला। देश से लेकर विदेश तक इस घटना की चर्चा हुई लेकिन नरेंद्र मोदी चुप रहे। इस चुप्पी पर लंबे समय तक उनकी आलोचना होती रही। हालांकि, पीएम ने बाद में ऐसी बढ़ती घटनाओं पर जरूर मजबूत तरीके से अपना पक्ष रखा लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
3. कश्मीर और पाकिस्तान नीति: पीएम मोदी ने शपथग्रहण के समय तमाम सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया। इसमें पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ भी शामिल थे। तब ऐसा लगा कि पाकिस्तान को लेकर मोदी की नीति हटकर है। इसके बाद वह अचानक पाकिस्तान भी गए। शॉल और आम की कूटनीति भी चली। लेकिन नतीजा अब भी जीरो है।
कश्मीर में भी अलगाववाद और आतंकवाद को संभालने में मोदी की नीति काम नहीं आई। कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन की सरकार है लेकिन इसके बावजूग बीजेपी अपनी छाप वहां छोड़ने में नाकाम रही है।
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4. किसानों का मुद्दा रह गया पीछे: मोदी ने अपने चुनावी सभा में किसानों की आत्महत्या का मुद्दा जोरशोर से उठाया था। हालांकि, महाराष्ट्र और कुछ दूसरे अन्य राज्यों में किसानों की नाराजगी सामने आती रही है। मोदी के शासनकाल में महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान, तमिलनाडु तक में में किसानों का आंदोलन दिखा।
5. विदेशों में पिछली सरकार की आलोचना: प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी के विदेश दौरे भी खूब चर्चा में रहे हैं। इस दौरान वह कई दफा अपने सरकार के काम किए जाने की प्रशंसा करते हुए पिछली सरकारों की खुलकर खिल्ली उड़ाते नजर आए हैं। इसे लेकर भी उनकी आलोचना खूब होती रही है। इससे पहले यही नीति थी कि देश के बाहर आपसी राजनीतिक मसले नहीं उठाए जाएं। लेकिन मोदी पर विदेशों में भी राजनीतिक उठाने के आरोप लगते रहे हैं।
6. बुलेट ट्रेन और रेलवे व्यवस्था: पीएम मोदी ने चुनावी भाषणों में ही भारत में हाई स्पीड रेल की बात की थी। जापान से मोटा कर्ज लेकर इसकी आधारशिला रखी जा चुकी है। हालांकि, कई आलोचक मानते हैं कि भारत की रेलवे व्यवस्था पर इतने पैसे खर्च होते तो ज्यादा बेहतर होता।
7. चुनाव के दौरान सेल्फी: पीएम मोदी का कैमरा प्रेम किसी से छिपा नहीं है। 2014 में आम चुनाव के दौरान मोदी ने अपने कुर्ते पर लगे कमल के बैज के साथ एक तस्वीर ली थी। कमल बीजेपी का चुनाव चिह्न भी है। इस सेल्फी के बाद विपक्ष ने मोदी की आलोचना की थी और चुनाव आयोग ने भी आपत्ति जताई थी।
8. मोदी का 20 लाख का सूट: तत्कालिन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के समय पीएम मोदी ने एक कोर्ट पहनी थी, जिसे लेकर खूब बातें हुई। मीडिया में ऐसी बातें आईं कि उस कोर्ट की कीमत 20 लाख है। साथ ही कोर्ट पर छोटे-छोटे अक्षरों में 'मोदी-मोदी' लिखा था। हालांकि बाद में कोर्ट की कीमत 15 लाख और फिर 10 लाख बताई गई।
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