पीएम मोदी बर्थडे: तस्वीरों के जरिए जानिए एक चायवाले के प्रधानमंत्री बनने की पूरी कहानी
पीएम मोदी का जन्म साल 1950 में गुजरात के वडनगर में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था
नई दिल्ली:
भारत लोकतंत्र शासन पद्धति पर चलने वाले विश्व के कुछ पुराने देशों में से एक है। यह हमारी लोकतंत्र की मजबूती है कि यहां एक चाय वाला भी देश का प्रधानमंत्री बन जाता है। जीं हां हम बात कर रहे हैं देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 68 वां जन्मदिन मना रहे हैं
पीएम मोदी का जन्म साल 1950 में गुजरात के वडनगर में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे। नरेंद्र मोदी भी अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद किया करते थे। नरेंद्र मोदी बचपन से काफी मेहनती थे और उन्हें रंग मंच खूब लुभाता था। वो अपने रोल के लिए काफी मेहनत किया करते थे।
नरेंद्र मोदी की शादी महज 13 साल की उम्र में जशोदा बेन से करा दी गई थी लेकिन उनका मन पारिवारिक जीवन बिताने में नहीं लगता था जिसकी वजह से उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। महज 17 साल की उम्र में वो साल 1967 में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के पूर्णाकालिक सदस्य बन गए थे। उसके बाद कई सालों तक वो देश-विदेश में आरएसएस के लिए काम करते रहे। सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई दशकों तक आरएसएस के प्रचारक भी रहे। नरेंद्र मोदी पूरी तरह शाकाहारी है और उन्हें शराब और सिगरेट को कभी हाथ तक नहीं लगाया।
पीएम मोदी ने साल 1980 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें 1988-89 में बीजेपी के गुजरात ईकाई का महासचिव बनाया गया। साल 1990 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के सोमनाथ और अयोध्या रथ यात्रा के सफल आयोजन में नरेंद्र मोदी ने अहम भूमिका निभाई। नरेंद्र मोदी के रणनीतिक और नेतृत्व कौशल को देखते हुए उन्हें बीजेपी के कई राज्यों का प्रभारी नियुक्त कर दिया गया।
नरेंद्र मोदी को साल 1995 में बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया था। वो 2001 तक इस पद पर बने रहे। साल 2001 में गुजरात के कच्छ और भुज में भयानक भूकंप आया था। इस त्रासदी में 20000 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी थी जबकि पूरा शरह मलबे में तब्दील हो गया था। राहत कार्यों में लेटलतीफी को लेकर बीजेपी ने उन्हें पद से हटा दिया और मोदी को सत्ता की कमान सौंप दी। ये पहला मौका था जब नरेंद्र मोदी पहली बार किसी संवैधानिक पद पर पहुंचे थे।
नरेंद्र मोदी के सीएम बनने के बाद गुजरात भूंकप के झटके से संभला भी नहीं था कि पांच महीने बाद गोधरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में आग लगा दिए जाने से कई कारसेवक उसमें जिंदा जल गए। इसके कुछ ही महीनों बाद गुजरात में मुस्लिमों के खिलाफ दंगा भड़क उठा। इस दंगे में 2000 से ज्यादा लोग मार गए थे। उस वक्त प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजयपेयी ने सीएम मोद से नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी थी।
मोदी पर दंगा नहीं रोक पाने का आरोप लगे जिसके बाद उनपर पद छोड़ने का दबाव बना लेकिन आडवाणी ने उसवक्त उनपर भरोसा जताया। हालांकि मोदी को इस दंगे में सुप्रीम कोर्ट के गठित एसआईटी ने निर्दोष करार दे दिया था।
साल 2002 में ही गुजरात में विधानसभा चुनाव होने थे। मोदी पर दंगा करवाने का आरोप लगता रहा लेकिन वो गुजरात में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे रहे। मोदी ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। मोदी को उस इलाक से ज्यादा वोट मिले जो दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। गुजरात दंगों की वजह से साल 2005 में अमेरिका और ब्रिटेन ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था।
साल 2007 में नरेंद्र मोदी गुजरात में राज्य के विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़े और दूसरी बार चुनाव जीतकर तीसरी बार राज्य के प्रधानमंत्री बने। गुजरात के विकास के लिए मोदी ने राज्य में देश विदेश के कारोबारियों को आकर्षित करने के लिए बिजनेस समिट कराना शुरू किया।
नरेंद्र मोदी ने साल 2012 तक पार्टी के राज्य ईकाई से लेकर दिल्ली मुख्यालय तक अपनी ताकत काफी बढ़ा ली। सरकार से लेकर संगठन तक में उनकी धमक और प्रभाव ने बीजेपी के कई नेताओं तक को हैरान कर दिया। 2012 में विधानसभा चुनाव में मोदी ने प्रचार के लिए तकनीक का शानदार उपयोग किया। अपने तकनीकी कौशल और लोप्रियता की बदौलत उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई और फिर चौथी बार सीएम बन गए।
2012 में विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने के बाद उन्हें साल 20014 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का पीएम उम्मीदवार बनाए जाने की मांग होने लगी। हालांकि पार्टी के अंदर ही एक गुट ने इसका विरोध भी किया। लेकिन नरेंद्र मोदी यहां भी बाजी मार गए और अक्टूबर 2013 में बीजेपी ने उन्हें बीजेपी का पीएम मद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। हालांक इसमें आरएसएस की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई थी।
पीएम मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बीजेपी के महत्वपूर्ण सहयोगी रहे जेडीयू ने 18 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया। नीतीश कुमार दंगे के आरोपी मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे।
पीएम मोदी ने एक तरफ बीजेपी के लोकसभा चुनाव के प्रचार की कमान संभाली तो दूसरी तरफ वो बतौर सीएम अपना काम भी करते रहे। वो प्रचार के दौरान रोज हजारों किलोमीटर की यात्रा किया करते थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने इतिहास का सबसे शानदार प्रदर्शन किया। बीजेपी को 282 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत भी मिला। भारत में पूरे 30 साल के बाद किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला था। एनडीए को इस चुनाव में 325 से ज्यादा सीटों पर जीत मिली थी।
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