जन्मदिन विशेष: स्कूल टॉपर डॉ. मनमोहन सिंह का वित्तमंत्री से प्रधानमंत्री तक का ऐसा रहा सफर
एक विद्वान, विचारक और प्रतिभाशाली अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जिन्होंने 10 साल तक बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल संभाला।
नई दिल्ली:
दुनिया में बहुत कम लोग ही ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाया है। भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह उन्हीं शख़्सों मे से एक हैं। एक विद्वान, विचारक और प्रतिभाशाली अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह जिन्होंने 10 साल तक बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल संभाला। इनसे पहले पंडित नेहरू ही थे जिन्होंने 16 साल से अधिक समय तक बतौर प्रधानमंत्री देश का कार्यकाल संभाला था।
डॉ. मनमोहन सिंह राजनीति में आने से पहले सराकारी नौकरी किया करते थे और इस दौरान भी उन्होंने कई सारे सराहनीय कार्य किए जिसके लिए उन्हें कई सम्मान से नवाज़ा भी गया। मनमोहन सिंह बचपन से ही पढ़ने में काफी तेज़ थे। वह हमेशा ही अपने क्लास में टॉपर रहे। मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932 को गाह (जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का हिस्सा है) में हुआ था। इनकी मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। आज़ादी के बाद मनमोहन भारत आ गए। शुरुआत में इन्होंने अपने परिवार के साथ रहकर अमृतसर के हिंदू कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी की। आगे चलकर मनमोहन सिंह ने चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन पूरा किया।
इतना ही नहीं उन्होंने पीएचडी के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का रुख़ किया और आगे चलकर आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी फिल पूरा किया। डॉ. मनमोहन सिंह की पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।
डॉ. मनमोहन सिंह पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। डॉ. मनमोहन सिंह 1971 में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं।
इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। पीवी नरसिंहराव जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया। जिसके बाद 1996 तक उन्होंने बतौर वित्तमंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया।
मनमोहन सिंह ने कई साल बाद एक इंटरव्यू में पीवी नरसिंहराव का ज़िक्र करते हुए बताया, 'मैंने कहा कि मैं वित्त मंत्री का पद तभी स्वीकार करूंगा जब मुझे उनका पूरा समर्थन मिलेगा. राव ने कहा आपको पूरी छूट होगी, अगर नीतियां सफल रहीं तो हम सभी उनका श्रेय लेंगे मगर असफल होने पर आपको जाना होगा.'
साल 2007 में बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए इन्होंने वित्तमंत्री पी चिदंबरम के साथ मिलकर कई ऐसे फ़ैसले लिए जिसकी बदौलत देश का जीडीपी 9 प्रतिशत तक गया। बता दें कि यह जीडीपी अभी तक का सर्वश्रेष्ठ है और साल 2007 में भारत आर्थिक दृष्टिकोण के लिहाज़ से विश्व का दूसरा सबसे अधिक ग्रोथ वाला देश रहा था।
मनमोहन सिंह किसी भी तरह के दिखावे या प्रचार-प्रसार से काफी दूर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री अपना ज़्यादातर जन्मदिन विदेश यात्रा के दौरान विमान में ही मनाया है।
हालांकि उनके प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल में कोयला आबंटन घोटाला और 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला जैसे कुछ दाग़ भी लगे लेकिन किसी ने भी डॉ. मनमोहन सिंह के ऊपर ऊंगली नहीं उठायी। वहीं दूसरी तरफ अपने पहले कार्यकाल में सूचना के अधिकार (आरटीआई) जैसे कई बड़े फैसले भी लिए।
और पढ़ें- सैन्य बलों को धार्मिक अपीलों से खुद को अछूता रखने की जरुरत है: मनमोहन सिंह
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल की समीक्षा करते हुए ख़ुद ही कहा था कि 'इतिहास मेरे प्रति विनम्र रहेगा.'
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope 29th April to 5th May 2024: सभी 12 राशियों के लिए नया सप्ताह कैसा रहेगा? पढ़ें साप्ताहिक राशिफल
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म के अनुसार ये है पूजा का सही समय, 99% लोग करते हैं गलत
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें