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तो वसुंधरा ने ही नहीं बनने दी राजस्थान में बीजेपी सरकार, गहलोत का तख्तापलट रोका!!!

वसुंधरा राजे के एक करीबी कैलाश मेघवाल (Kailash Meghwal) ने बीजेपी नेतृत्व को जो नसीहत दी है, उससे साफ हो जाता है कि अशोक गहलोत सरकार को बचाने में वसुंधरा राजे का बड़ा हाथ रहा है.

Updated on: 18 Jul 2020, 04:08 PM

highlights

  • वसुंधरा राजे के करीबी ने दी बीजेपी नेतृत्व को नसीहत.
  • पत्र लिख कहा- सरकार गिराने का षड्यंत्र रचना दुर्भाग्यपूर्ण.
  • राजस्थान बीजेपी में राजे की चुप्पी पर उठ रहे सवाल.

जयपुर/ नई दिल्ली.:

अगर सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) औऱ डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) की आपसी खींचतान से राजस्थान में सरकार गंवाने के करीब पहुंच चुकी थी, तो विरोधी खेमे में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के निहित स्वार्थों ने अशोक गहलोत का तख्तापलट रोक बीजेपी (BJP) की सरकार नहीं बनने दी. कम से कम वसुंधरा राजे के एक करीबी कैलाश मेघवाल (Kailash Meghwal) ने बीजेपी नेतृत्व को जो नसीहत दी है, उससे साफ हो जाता है कि अशोक गहलोत सरकार को बचाने में वसुंधरा राजे का बड़ा हाथ रहा है. देखा जाए तो इस तरह वसुंधरा राजे के करीबी विधायक कैलाश मेघवाल ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

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'वसुंधरा राजे से राय लेते'
एक निजी चैनल से बातचीत में कैलाश मेघवाल ने दो टूक कहा कि किसी भी फैसले में वसुंधरा राजे की राय लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान में राजे की अनदेखी नहीं की जा सकती. बीजेपी विधायक मेघवाल ने कहा कि बीजेपी चाल चरित्र और नैतिकता वाली पार्टी है. ऐसे में हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए सरकार गिराने की हो रही साजिश को मैं सही नहीं मानता हूं. उन्होंने कहा कि राजस्थान की राजनीति आज पटरी से उतरी हुई है और इसकी वजह से जनता को बहुत परेशान होना पड़ रहा है. जनसंघ से लेकर बीजेपी तक के सफर में नेताओं ने यही आदर्श रखा कि नैतिक मूल्यों की राजनीति होनी चाहिए और आज की राजनीति जैसी हो रही है वह अनैतिक है.

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'सरकार गिराने का षड्यंत्र दुर्भाग्यपूर्ण'
बताते हैं कि कैलाश मेघवाल ने पार्टी नेतृत्व को एक पत्र भी लिखा है. इसमें कहा गया है कि जिस प्रकार का माहौल सरकार गिराने को लेकर पिछले दो महीने से बना हुआ है, हॉर्स ट्रेडिंग हो रही है, आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. मेघवाल ने आगे लिखा, राजस्थान में आजादी के बाद सरकारें कई बार बदलीं और विधानसभा के अंदर भी पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर बहस भी हुईं. स्वर्गीय मोहनलाल सुखाडिया, स्व. भैरो सिंह शेखावत से लेकर अशोक गहलोत हों या वसुंधरा राजे, इन सभी के समय बहस हुई हैं. परंतु सत्ताधारी पार्टियों ने विपक्षी पार्टियों से मिलकर सरकार गिराने के षडयंत्र जो आज हो रहे हैं, ऐसा कभी नहीं हुआ.

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राजे की चुप्पी पर बीजेपी खेमे में असंतोष
गौरतलब है कि गहलोत-पायलट की खींचतान सतह पर आने के बाद जहां प्रदेश बीजेपी ने सधे कदम रखते हुए बयान जारी किए. इशारों-इशारों में सचिन पायलट को संकेत जरूर दिए कि बीजेपी में उनका स्वागत है. हालांकि वसुंधरा राजे ने इस पूरे प्रकरण पर मौन साधे रखा. वसुंधरा की चुप्पी पर बीजेपी नेतृत्व खुलकर जरूर नहीं बोला, लेकिन नागौर लोकसभा सीट से सांसद और बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साझेदार हुनमान बेनीवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर बेहद गंभीर आरोप लगाया. बेनीवाल ने कहा कि वसुंधरा ही अशोक गहलोत की कांग्रेसी सरकार की डूबती नैया की खेवैया बनी हुई हैं.