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पैलेट गन पर हुई सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- 'आखिर प्रदर्शन में बच्चे क्यों हैं शामिल'

सरकार ने कहा कि कश्मीर का प्रदर्शन जंतर- मंतर जैसा प्रदर्शन नही, पैलेट गन ही आखिरी विकल्प

Updated on: 10 Apr 2017, 10:51 PM

highlights

  • सरकार ने कहा हम स्थिति बेकाबू होने नहीं दे सकते
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा सुझाव दें क्या हल हो सकता है

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक की मांग को लेकर लगी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और याचिकाकर्ता के पक्ष सुने। इस पर जस्टिस खेहर ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अगर लोग मेरे घर पर पेट्रोल बम लेकर आ जाए तो मैं क्या करुंगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि आखिर प्रदर्शन करने वाली भीड़ में 7, 9 और 12 साल के बच्चे क्यों होते हैं।

कोर्ट ने कहा कि हम सुनते आए हैं कि पैलेट गन के इस्तेमाल से लोग अंधे हो गए या मारे गए लेकिन इसका विकल्प क्या है? जिन्हें समस्या है उन्हें प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन सरकारी संपत्ती को और सुरक्षा बलों की जान को कोई खतरा नहीं होना चाहिए यह भी सुनिश्चित करना होगा।

याचिकाकर्ता ने रखा अपना पक्ष

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सवाल के जवाब में कहा कि ये अपने आप में एक जटिल विषय है और इसका समाधान सियासी ही हो सकता है। कोई सरकार लोगों को मारने, अंधा या अपाहिज करने की इजाजत नहीं दे सकती है। कोर्ट को सुनिश्चित करना होगा कि राज्य में कानून का राज कायम हो।

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कोई सरकार स्थितियां बेकाबू होने नहीं दे सकती

सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि राज्य में उपद्रवियों पर काबू पाने के लिये पैलेट गन को अंतिम विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हैं। जम्मू कश्मीर में होने वाला प्रदर्शन कोई जंतर-मंतर पर होने वाला शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन नही है। प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड , पेट्रोल बम, कॉकटेल बम से हमला करते हैं।

भीड़ में छुप कर पीछे से सुरक्षा बलों पर  ग्रेनेड फेंकते हैं। सरकारी और निजी सम्पति को नुकसान पहुंचाया जाता है। अटॉर्नी जनरल ने कल श्रीनगर में मतदान के दौरान 100 सुरक्षाकर्मियों के घायल होने का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी सरकार स्थिति को बेकाबू होने की इजाजत नही दे सकती।

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिया सुझाव

दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर बार एसोसिएशन से कहा कि उनका रोल इस मामले में बेहद अहम हैं क्योंकि वो सरकार और प्रदर्शनकारियों दोनों के ही साथ नही हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से दो हफ़्ते के अंदर हलफनामें के जरिए वो सुझाव मांगे हैं, जिनके जरिये इस हालात पर काबू पाया जा सकता है।