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रिलायंस और JIO को HC ने दी राहत, क्विकर और OLX पर जालसाज नहीं कर पाएंगे विज्ञापन पोस्ट

रिलायंस (Reliance) और जियो (JIO) में नौकरी का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले जालसाजों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HighCourt) ने कड़ा रूख अपनाया है.

Updated on: 29 May 2020, 06:49 PM

नई दिल्ली:

रिलायंस (Reliance) और जियो (JIO) में नौकरी का झांसा देकर लोगों को ठगने वाले जालसाजों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi HighCourt) ने कड़ा रूख अपनाया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने क्विकर (Quikr) और ओएलएक्स (OLX) पर इस तरह के धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी है.

अब क्विकर और ओएलएक्स ऐसे किसी भी विज्ञापन को अपने यहां नही दिखा पाएंगे, जिन में रिलायंस या जियो का नाम शामिल हो. जालसाजों से मासूम लोगों को बचाने के लिए रिलायंस इस मामले को लेकर कोर्ट पहुंचा था.

रिलायंस का कहना था कि उसके नाम और ट्रेड-मार्क का गलत इस्तेमाल कर, लोगों को धोखा दिया जा रहा है. रिलायंस और जियो में नौकरी के नाम पर लोगों से पैसा ऐंठा जा रहा है. क्विकर और ओएलएक्स पर इस बाबत झूठे विज्ञापन दिए जा रहे हैं. जिसमें जियो एवं रिलायंस के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है. रिलायंस ने सबूत के तौर पर ऐसे चार विज्ञापनों के लिंक भी कोर्ट में प्रस्तुत किए.

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सुनवाई के बाद अपने आदेश में न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि प्रथमदृष्टया मामला बनता है और अगर विज्ञापनों पर रोक ना लगाई गई तो इससे रिलायंस को अपूरणीय क्षति हो सकती है.

कोर्ट में रिलायंस की तरफ से तर्क देते हुए वकीलों ने कहा कि नौकरी तलाशने वाले एक व्यक्ति की शिकायत पर यह मामला सामने आया. जिसमें पता चला कि कुछ जालसाज रिलायंस और जियो के नाम पर ओएलएक्स और क्विकर पर विज्ञापन पोस्ट कर रहे हैं. नौकरी के लिए भटक रहें यह लोगों इन जालसाजों का आसान शिकार बन रहे हैं.

वहीं, ओएलएक्स इंडिया (OLX India) ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने जियो एवं रिलायंस नाम के अतिरिक्त फिल्टर जोड़ दिए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह के झूठे और मनगढ़ंत विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को धोखा ना दिया जा सके. प्रतिवादियों की तरफ से कहा गया कि रिलायंस की तरफ से दिए गए 4 लिंक्स में से 3 को हटा दिया गया है. 1 लिंक को हटाया जा रहा है.

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कोर्ट ने प्रतिवादियों से पूछा है कि विज्ञापनों को प्रकाशित करने का उनका क्या तरीका है और झूठे विज्ञापन प्रकाशित ना हों इसके लिए कंपनी क्या कदम उठाती है. कोर्ट ने इसके लिए एक लिखित एफिडेविट देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को होगी.