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गंगाजल ही है कोरोना वायरस का रामबाण इलाज! गंगा किनारे के जिलों के आंकड़े दे रहे गवाही

कोरोना वायरस का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है. अभी तक इसके लिए दुनियाभर के डॉक्‍टर और शोधकर्ता कोरोना वायसर की दवाई और वैक्‍सीन बनाने के लजिए लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक सफलता मिलती हुई नहीं दिख रही है.

Updated on: 07 May 2020, 12:56 PM

New Delhi:

कोरोना वायरस (Corona Virus) का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है. अभी तक इसके लिए दुनियाभर के डॉक्‍टर और शोधकर्ता कोरोना वायरस (Covid 19) की दवाई और वैक्‍सीन बनाने के जिए लगे हुए हैं, लेकिन अभी तक सफलता मिलती हुई नहीं दिख रही है. बताया जा रहा है कि अब गंगाजल (GangaJal) से कोरोना की दवाई तैयार की जाएगी. इसके लिए वैज्ञानिकों के पास कई तर्क भी मौजूद हैं. बताया यह भी जा रहा है कि जब दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है, तब भी गंगा के किनारे पर जो शहर बसे हुए हैं, वहां पर कोरोना वायरस के इतने मरीज सामने नहीं आए हैं, जितने कि दुनियाभर में देखने के लिए मिल रहे हैं. 

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गंगाजल को अमृत माना जाता है, कहा तो यह भी जाता है कि गंगाजल ऐसा होता है कि जिसमें कोई भी वायरस जीवित नहीं रहता. गंगाजल के सम्‍पर्क में आने के बाद वायरस खत्‍म हो जाता है. इसीलिए गंगा में नहाने से सारे कष्‍ट और पाप ही नहीं, बल्‍कि सारी गंदगी भी साफ हो जाती है. भारत में गंगा उत्‍तराखंड के गोमुख से निकली है और कई राज्‍यों से होते हुए पश्‍चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाता है. इस गंगा उत्‍तराखंड से शुरू होकर उत्‍तर प्रदेश, बिहार और पश्‍चिम बंगाल राज्‍यों से होकर निकलती है. इस रास्‍ते में देशभर के करीब 46 जिले पड़ते हैं. इन 46 जिलों में से आधे से भी कम जिले ऐसे हैं, जहां कोरोना के मरीज सामने आए हैं. और बड़ी बात यह भी है कि जहां कोरोना का प्रकोप है, वहां भी गिने चुने मरीज ही सामने आए हैं.

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आपको बता दें कि भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्‍थान यानी आईआरटीआर लखनऊ, इमटेक, सीएसआईआर, सूक्ष्म जैवकीय अध्‍ययन और कई संस्‍थानों ने मिलकर शोध किया है. इसमें कहा गया है कि गंगा का पानी ऐसा होता है कि चाहे कोई भी वायरस हो गंगाजल के सम्‍पर्क में आने का उसका प्रभाव कम हो जाता है. अब बड़ी बात हुई है कि सेना के रिटायर्ड लेफ्टीनेंट कर्नल और अतुल्‍य भारत के संस्‍थापक मनोज किश्‍वर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक पत्र लिखा है, जिसमें मनोज किश्‍वर ने इसी शोध का हवाला देते हुए मनोज किश्‍वर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि गंगा के पानी पर इस बारे में भी शोध कराया जाना चाहिए. मनोज किश्‍वर का मानना है कि अगर इस पर शोध हो जाता है तो पता चल सकेगा कि क्‍या गंगाजल के सम्‍पर्क में आने से कोरोना वायरस भी नहीं होता है.

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हिमालय में उत्तराखंड से निकल कर बंगाल की खाड़ी तक गंगा करीब ढाई हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. वैसे तो गंगा और कोरोना वायरस के विषाणु को लेकर अभी तक कोई शोध नहीं हो पाया है, लेकिन गंगा की महिमा को अपरंपार कहा गया है. पता यह भी चला है कि बिहार में गंगा नदी में मौलिक गंगाजल नहीं बह रहा है. वाराणसी के बाद गंगा में उसकी सहायक नदियों का पानी ही बह रहा है. मौलिक गंगाजल की पहचान उसमें उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा से होती है. उत्तराखंड में गंगा और उसमें मिलने वाली सहायक नदियों के जल में ऑक्सीजन की मात्रा 15-16 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) तक रहती है. वहीं, बिहार में आते-आते गंगा के पानी (बीच धार) में ऑक्सीजन की औसत मात्रा सात पीपीएम तक सिमट गयी है. ऑक्सीजन की यह मात्रा गंगा के विशुद्ध जल से काफी कम और सामान्य नदियों की तरह है. प्रदेश के अधिकतर गंगा घाटों के किनारे पर ऑक्सीजन की मात्रा चार पीपीएम से भी नीचे है. आइआइटी (बीएचयू), वाराणसी के रिटायर्ड जल विज्ञानी ने बताया कि भीम गोड़ा से नीचे नरौरा (यूपी) आते-आते नेचुरल (मौलिक) गंगाजल खत्म हो जाता है. उन्होंने बताया कि इसकी वजह केवल गंगा में बहाया जा रहा जल-मल है.

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आपको बता दें कि पूरी दुनिया में अब तक कोरोना वायरस के मामलों की संख्‍या बढ़कर 3,822,951 हो गई है, वहीं 265,084 लोगों की मौत अब तक हो चुकी है. वहीं राहत की बात यह भी है कि 1,302,995 लोग इससे दुनियाभर में ठीक भी हो गए हैं. वहीं भारत की बात करें तो भारत में अब तक कुल मामले 52952 हो गए हैं. वहीं मौत का आंकड़ा 1783 हो गया है. बड़ी बात यह भी है कि मरने वालों से ज्‍यादा संख्‍या उन लोगों की है जो अब तक इस संक्रमण से मुक्‍ति पा चुके हैं. ठीक होने वालों की संख्‍या 15267 है. यह आंकड़ा बताता है कि भारत में रिकवरी रेट काफी अच्‍छा है, लेकिन अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगाजल पर शोध करने की बात को मान लेते हैं तो भारत में कोरोना को हराने के लिए ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगेगा. क्‍योंकि गंगाजल केवल भारत में ही है, बाकी किसी भी देश के पास गंगा नहीं हैं.