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फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की अपील की

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने को आगामी पांच अगस्त को एक वर्ष पूरा होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को इसका पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किये जाने का आह्वान किया.

Updated on: 26 Jul 2020, 09:55 PM

दिल्ली:

जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने को आगामी पांच अगस्त को एक वर्ष पूरा होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को इसका पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किये जाने का आह्वान करते करने के साथ ही उम्मीद जतायी कि उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किये जाने को खारिज कर न्याय दिलायेगा.

पिछले पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वा​पस लिये जाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के बाद पहले मीडिया साक्षात्कार में अब्दुल्ला (82) ने कहा कि उनकी पार्टी सभी लोकतांत्रिक माध्यमों से बदलाव के लिये संघर्ष करती रहेगी. उन्होंने कहा कि भारत संघ में शामिल होने के समय जम्मू कश्मीर की जनता ने जो भरोसा जताया था, यह बदलाव उसी भरोसे के साथ 'विश्वासघात' है.

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केंद्र ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा यह कहते हुये वापस ले लिया था कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर में विकास रूक गया है. इसने शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योगों के विकास को रोक दिया है. इसके अलावा इस अनुच्छेद के कारण आतंकवाद को रोकने में कोई मदद नहीं मिल रही है. अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाले नेशनल कांफ्रेंस ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने तथा पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों— लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर— में बांटने के केंद्र सरकार के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है.

पार्टी ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि संसद में पारित कानून और उसके बाद राष्ट्रपति की ओर से जारी आदेश असंवैधानिक था. इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई करने के लिये पांच सदस्यीय पीठ का गठन किया था. नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘एक राजनीतिक दल के रूप में यह जरूरी है कि हम इस बात से जनता को अवगत कराते रहें कि न्याय के लिये हम क्या कर रहे हैं.

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हम इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं हमें थोपा गया यह बदलाव स्वीकार्य नहीं है और हम लगातार इसका विरोध करते रहेंगे.’’ अब्दुल्ला को पिछले साल पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किये जाने से पहले गिरफ्तार कर लिया गया था. उसके बाद उन्होंने सात महीने हिरासत में बिताये है. प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम लोकतांत्रिक माध्यमों के साथ अपने अधिकारों के लिये लड़ेंगे और इसके लिये प्रचार करेंगे.

हमने कभी बंदूकों का इस्तेमाल नहीं किया, हमने कभी उन माध्यमों का इस्तेमाल नहीं किया जो संवैधानिक नहीं है. हम मुख्यधारा की लोकतांत्रिक पार्टी हैं और हम अपनी लड़ाई के लिये सभी लोकतांत्रिक माध्यमों का इस्तेमाल करेंगे.' संघ में शामिल होने के समय जम्मू कश्मीर की जनता ने जो भरोसा जताया था, इस बदलाव को उस भरोसे के साथ 'विश्वासघात' करार देते हुये नेकां प्रमुख ने कहा, ' दिल्ली (भारत संघ) में हमने जो भरोसा जताया था, वह अब शून्य हो चुका है.'

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अब्दुल्ला ने कहा, 'भरोसे की कमी है, और केंद्र को दोबारा विश्वास बहाल करना है. यह विश्वास तभी आयेगा जब राज्य का दर्जा बहाल हो और जो अन्य बदलाव किये गये हैं उन्हें वापस लिया जाये.' उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने (केंद्र) कहा कि एक बार इसे (अनुच्छेद 370) हटा दिया जाता है तो जम्मू कश्मीर में विकास होगा, आतंकवाद समाप्त हो जायेगा. मैं उन लोगों से पूछना चाहता हू कि क्या आतंवकाद का खात्मा हआ?

कम होने की अपेक्षा इसमें बढ़ोत्तरी हुयी है. क्या कोई विकास हुआ ? हमारे पास जो कुछ था, उसे भी हमने खो दिया है. ’’ उच्चतम न्यायालय जाने के उनकी पार्टी के निर्णय के बारे में बताते हुये अब्दुल्ला ने कहा, 'न्यायपालिका में हमारे विश्वास के कारण हम देश की सबसे बड़ी अदालत से न्याय की मांग कर रहे है. हमें उम्मीद है कि हमारे साथ न्याय किया जाएगा.' पूर्व मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा वापस बहाल किया जाना चाहिये और जो भी बदलाव किये गये हैं उसे वापस लिया जाना चाहिये. उन्होंने राज्य की जनता से कहा, 'हम उच्चतम न्यायालय की ओर देख रहे हैं.'

यह पूछे जाने पर कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेगी, नेकां अध्यक्ष ने कहा कि इस पर वह निर्णय नहीं करेंगे, पार्टी की कार्यकारिणी समिति इस बारे में निर्णय करेगी.उन्होंने कहा, 'जब स्थिति सामने आयेगी तो हम एक साथ बैठेंगे और देखेंगे कि क्या होता है.' अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के लिए नए अधिवास कानूनों की तीव्र आलोचना की, और कहा कि नेकां ने हमेशा आशंका जताई थी कि इसकी जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा, 'अब हमारा डर सही हो रहा है. हम इसके लिये संघर्ष करेंगे.'