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'इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग स्कीम से भारत में 20 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा'

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा कि दुनियाभर से 5 बड़ी कंपनियों को भारत में आने का मौका दिया जाएगा जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग करेंगी. इसके अलावा भारत की कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा.

Updated on: 02 Jun 2020, 12:51 PM

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने कहा है कि देश में 2014 में 1,90,000 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थी, जो कि अब बढ़कर 4.58 लाख इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तक पहुंच चुकी है. इसके अलावा 2014 में 2 मोबाइल फैक्टरी थी आज 200 से ज़्यादा मैन्युफेक्चरिंग यूनिट भारत में अपना परिचालन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि भारत से बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट भी हो रहा है और इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20 लाख नौकरियां लोगों को मिली हुई हैं, जबकि सिर्फ मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 7 लाख नौकरियां मिली हैं.

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मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल और लोकल मिलकर काम करेंगे
उन्होंने कहा कि दुनियाभर से 5 बड़ी कंपनियों को भारत में आने का मौका दिया जाएगा जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग करेंगी. इसके अलावा भारत की कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ग्लोबल और लोकल मिलकर काम करेंगे. 5 इंडियन ग्लोबल कंपनी को भी इसमें शामिल किया जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग की इस स्कीम से भारत में 20 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में नंबर 1 बनने की संभावना है.

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प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए तीन स्कीम की शुरुआत
उन्होंने कहा कि आज उत्पादन बढ़ाने के लिए तीन स्कीम की शुरुआत होने जा रही है. इसके तहत प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम, कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम और क्लस्टर स्कीम शामिल हैं. उन्होंने कहा कि यह तीनों ही स्कीम 50 हजार करोड़ की इंसेंटिव स्कीम है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी क्षमता, प्रतिभा और अपने मूल्यों की श्रृंखला और मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में इकोसिस्टम बढ़ाकर देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की अर्थव्यवस्था के एक असेट के रूप में बनाएगा. उन्होंने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण 2014 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 4.58 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में हमारा वैश्विक हिस्सा 2018 में 1.3 फीसदी से बढ़कर 3 फीसदी हो गया है.