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गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों पर चीन खामोश, बातचीत में भी नहीं कर रहा जिक्र: सूत्र

पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा चल रही आक्रामकता पर चर्चा करने के लिए भारत और चीन (India & China) वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) बैठक में हर हफ्ते बातचीत करेंगे.

Updated on: 28 Jun 2020, 07:58 PM

नई दिल्ली:

पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा चल रही आक्रामकता पर चर्चा करने के लिए भारत और चीन (India & China) वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) बैठक में हर हफ्ते बातचीत करेंगे. बातचीत में दोनों देश तनाव को कम करने के तरीके खोजेंगे.

सूत्रों के मुताबिक इस पर सहमति हुई है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रामकता के मुद्दे पर चर्चा के लिए डब्ल्यूएमसीसी (WMCC) की बैठक हर हफ्ते आयोजित की जाएगी. वार्ता में भारतीय पक्ष से कई मंत्रालयों जैसे विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, मंत्रालय के प्रतिनिधि और सुरक्षा बल इसमें शामिल होंगे.

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चीन अभी भी अपने सैनिकों की मौत पर चुप है

पिछले हफ्ते भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डब्लूएमसीसी की बैठक हुई. उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख में तनाव और उससे कैसे निपटा जाए इसे लेकर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक जब वे डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में घटना पर चर्चा कर रहे थे तब वार्ता के दौरान चीनी पक्ष 15 जून की रात को दोनों पक्षों के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प में हताहतों की संख्या को लेकर मौन था. जबकि भारतीय पक्ष ने 15-16 जून की रात को झड़प के दौरान इससे हुए नुकसान की संख्या को स्वीकार किया है लेकिन चीनी इस पर चुप रहे हैं.

चीनी पक्ष के 43 सैनिक मारे गए

सूत्रों के अनुसार, भारतीय इंटरसेप्ट से पता चला है कि लद्दाख की गलवान घाटी में आमने-सामने की लड़ाई में चीनी पक्ष के 43 लोग मारे गए और गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए एयरलिफ्ट किया गया.

1959 नक्शों का उपयोग करने की बात को भारत ने किया खारिज

सूत्रों के मुताबिक चीनियों ने गलवान में झड़प के लिए भारतीय पक्ष को दोषी ठहराने की भी कोशिश की. जैसा कि उन्होंने बीजिंग में अपनी प्रेस वार्ता में किया है. चीनी पक्ष उन समस्याओं के समाधान के लिए उस समय उनके द्वारा दिए गए 1959 नक्शों का उपयोग करने की बात भी कर रहा है, लेकिन भारतीय पक्ष ने इसे खारिज कर दिया है. 1962 के युद्ध से पहले भारत के साथ नक्शे के एक ही सेट पर चर्चा की गई थी और नई दिल्ली द्वारा खारिज कर दिया गया था. दोनों पक्षों ने 1962 में इस मुद्दे पर युद्ध लड़ा था.

चीन ने कहा कि उन्होंने भारत के साथ सीमा मुद्दे पर चर्चा करने और इसे हल करने के लिए एक प्रस्ताव लंबे समय पहले प्रस्तुत किया था. सूत्रों ने कहा कि चीनी सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव का विवरण अभी भी प्रतीक्षित है.

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 इंडिया नेपाल के बीच सीमा के मुद्दे को बातचीत में उठाया गया

बातचीत के दौरान भारत ने इंडिया नेपाल के बीच सीमा के मुद्दे को उठाकर मुद्दों के उदाहरण का हवाला देते हुए भारत के विस्तारवादी देश होने के चीनी आरोपों को भी खारिज कर दिया. नेपाल ने दावा किया है कि काली नदी के किनारे लिपुलेख के पास का इलाका उसी का है. इस मुद्दे को प्रमुखता तब मिली जब नेपाली संसद ने भारतीय क्षेत्र पर अपने दावों को मजबूत करने के लिए एक नया राजनीतिक नक्शा पारित किया.