सावधान! आपके आसपास भी हो सकते हैं कोरोना के मरीज
आपके आसपास ऐसे लोग हो सकते हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं है. और है भी तो मामूली इंफ्यूएंजा की तरह यानी सर्दी-खांसी है लेकिन वे Covid-19 के कैरियर हो सकते हैं.
नई दिल्ली:
आपके आसपास ऐसे लोग हो सकते हैं जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं है. और है भी तो मामूली इंफ्यूएंजा की तरह यानी सर्दी-खांसी है लेकिन वे Covid-19 के कैरियर हो सकते हैं. देश के विभिन्न राज्यो से जो रिपोर्ट आ रही है, वह चौकाने वाली है. पिछले दिनों ही दिल्ली में 186 लोग असिम्प्टोमैक पाए गए यानी जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नही था लेकिन वे Covid-19 पॉजीटिव थे. हिमाचल प्रदेश के आंकड़ों को देखें तो 84% केस असिप्टोमैटिक हैं, वही महाराष्ट्र में 70 और पूरे भारत में लगभग 80% है. खुद ICMR भी इस बात को स्वीकार कर रहा है.
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ICMR में एपिडेमोलॉजी और कम्युनिकेबल डिसीज़ के हेड डॉ आरआर गंगाखेड़कर का कहना है कि भारत में उन जगहों पर यह प्रतिशत ज्यादा है, जहां हॉटस्पॉट है या फिर इलाका इन्फेक्टेड है. न्यूज़ नेशन ने ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय से सवाल किया कि क्यों न असिप्टोमैक केस को साइलेंट कैरियर माना जाए और उसका प्रोटोकॉल क्या हो?
जवाब में डॉ गंगाखेड़कर और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने कहा कि यह संभव नही कि सबका Covid-19 टेस्ट किया जा सके. टेस्टिंग की गाइडलाइंस में कोई बदलाव नहीं है. टेस्ट उन्ही का होगा जिनका ट्रैवल हिस्ट्री हो, उनके कांटेक्ट में आये हो या कोई सिम्पटम दिखाई दे.
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ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना के 80 फीसदी केस असिम्प्टोमैक और माइल्ड सिम्पटम के हैं जबकि 15 फीसदी सीवियर और 5 फीसदी क्रिटिकल केस होते हैं. भारत जैसे देश मे सरकार के सामने बड़ी चुनौती यह है कि 1.38 करोड़ लोगों का टेस्ट कैसे किया जाए और यही वजह है कि सरकार टेस्ट के गाइडलाइंस नहीं बदल रही लेकिन असिप्टोमैटिक केस के आंकड़े बता रहे हैं कि जिस तरह 80% लोग असिप्टोमैटिक हैं और साइलेंट कैरियर की तरह मौजूद हैं, उससे इस वायरस के साइलेंट स्प्रेड की प्रबल संभावनाएं हैं.
हॉटस्पॉट और कंटेन्मेंट प्लान उसी इलाके में सीमित है, जहां कम से कम 3 से 5 केस पाये जा रहे हैं. उसी इलाके में मास टेस्टिंग भी हो रही जबकि बाकी इलाके अछूते हैं. सूत्रों का यह भी कहना है कि पोलियो वैक्सीनशन से जुड़े नेटवर्क का इस्तेमाल कर सरकार आने वाले दिनों में रैपिड टेस्टिंग को बढ़ावा दे सकती है लेकिन इसके लिए लार्ज स्केल पे मैन पावर ट्रेनिंग और किट भी उपलब्ध होना चाहिये. WHO ने भी जोर देकर कहा है अधिक से अधिक टेस्ट होना चाहिए.
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इन्ही सब स्थितियों और मजबूरियों के मद्देनजर लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग और हैंड हाइजीन के सहारे भारत फिलहाल इस लड़ाई में आगे बढ़ रहा है.
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