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बिहार 'बाढ़' ही नहीं 'सूखे' की भी झेल रहा है मार

एक ओर जहां बिहार के 19 जिलों के लोग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं, 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, वहीं अन्य जिलों के किसान सामान्य बारिश नहीं होने के कारण परेशान हैं।

Updated on: 03 Sep 2017, 12:06 PM

highlights

  • बिहार में 19 जिले बाढ़ की त्रासदी, कई जिलों में सूखे की स्थिति 
  •  बाढ़ से अबतक 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो
  • बिहार में प्राकृतिक आपदा कोई नई बात नहीं, सरकार इसके लिए तैयार: मंत्री दिनेश चंद्र यादव 

नई दिल्ली:

एक ओर जहां बिहार के 19 जिलों के लोग बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं, 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, वहीं अन्य जिलों के किसान सामान्य बारिश नहीं होने के कारण परेशान हैं।

यह विडंबना ही है कि एक तरफ राज्य सामान्य बारिश को तरस रहा है और कई जिलों में सूखे की स्थिति है, वहीं दूसरी ओर नेपाल में हो रही बारिश से यहां के कई जिले बाढ़ से तबाह हैं। वहां हो रही बारिश से बिहार की नदियां उफान पर हैं।

बिहार की शोक कही जाने वाली नदी कोसी के अलावा बागमती, बूढ़ी गंडक, ललबकिया, कमला बलान, भुतही बलान और नारायणी का जलग्रहण क्षेत्र नेपाल है। वहां बारिश से इन नदियों में लगभग हर साल बाढ़ आती है और भारी जानमाल का नुकसान होता है।

यही हाल जीवनदायिनी माने जाने वाली नदी गंगा की भी है। अगर मध्य प्रदेश में अधिक बारिश हुई, तो इसका प्रभाव बेतवा और चंबल नदी से होते हुए गंगा पर पड़ता है। इससे बिहार अछूता नहीं रहता।

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वैसे आंकड़ों की बात करें, तो बिहार के सीमांचल क्षेत्र के जिलों के अलावा 38 में से आधे यानी 19 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। विडंबना है कि इनमें ऐसे जिले भी शामिल हैं, जहां सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है।

गोपालगंज जिले के छह प्रखंडों की 47 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन विडंबना है कि इस जिले में अब तक सामान्य से सात प्रतिशत कम बारिश हुई है। यहां के किसान का कहना है कि इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि बाढ़ और सूखे की मार दोनों ही जिलों के लोगों को इस वर्ष झेलनी पड़ रही है।

वैसे कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पटना, अरवल, भोजपुर, मुंगेर, सीवान सहित कई ऐसे जिले हैं, जहां अभी तक सामान्य से 20 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। मुंगेर व सीवान जिले में जहां सामान्य से 33 प्रतिशत कम बारिश हुई है, वहीं भोजपुर में सामान्य से 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है। खगड़िया, लखीसराय, नालंदा, मुजफ्फरपुर, नवादा ऐसे जिले हैं, जहां बारिश का घाटा 10 प्रतिशत से अधिक है।

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मौसम विज्ञान केंद्र का कहना है कि मानसून अभी सक्रिय है। सितंबर के पहले एक सप्ताह में अच्छी बारिश की संभावना है। इससे कुल बारिश का घाटा आने वाले दिनों में पूरा हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि जिन जिलों में बहुत कम बारिश हुई वहां बारिश होगी ही।

इधर, धान का कटोरा कहे जाने वाले भोजपुर में इस वर्ष अब तक सामान्य से 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है। यहां के किसान मनोहर सिंह कहते हैं कि प्रारंभ में तो बारिश ठीक थी, परंतु बीच में मानसून ने दगा दे दिया। वैसे उनका कहना है कि कुछ धान तो हो ही जाएगा, परंतु अभी भी बारिश हो जाए, तब धान के उत्पादन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।

राज्य के आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव कहते हैं कि बिहार में प्राकृतिक आपदा कोई नई बात नहीं है। बिहार के आधे जिले बाढ़ से तो कई जिले सुखे से प्रभावित होते रहे हैं। सरकार भी इसके लिए आवश्यक तैयारी करती है।

उन्होंने कहा कि बाढ़ राहत का कार्य युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है, अगर सूखे की स्थिति भी उत्पन्न होती है, तो सरकार इसके लिए तैयार है।

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