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अयोध्या विवाद: मोदी सरकार पर सिब्बल का निशाना, पूछा- 4 साल से सो रही थी सरकार?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने राजनीतक बयानबाजी को लेकर कहा कि इस मसले पर फ़ैसला कोर्ट करेगी, राजनीतिक पार्टी नहीं.

Updated on: 06 Dec 2018, 07:32 AM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले को लेकर सुनवाई आगले साल तक टाल दी है. इस फ़ैसले के बाद से ही राजनीतिक विवाद काफी बढ़ गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने राजनीतक बयानबाजी को लेकर कहा कि इस मसले पर फ़ैसला कोर्ट करेगी, राजनीतिक पार्टी नहीं. इतना ही नहीं सिब्बल ने मोदी सरकार पर सवाल खड़े करते हुआ पूछा कि पिछले चार साल तक सरकार सो रही थी लेकिन चुनाव से ठीक पहले क्यों जाग गयी?

सिब्बल ने कहा, 'कोर्ट अयोध्या केस पर सुनवाई के बाद फ़ैसला देगी. यह बीजेपी या कांग्रेस द्वारा तय नहीं किया जाएगा. अगर सरकार अध्यादेश लाकर क़ानून बनाना चाहती है तो बनाए. कांग्रेस ने उन्हें रोक नहीं रखा है. यह मुद्दा उठाया जा रहा है क्योंकि चुनाव नज़दीक है क्या वह लोग पिछले चार साल से सो रहे थे?'

बता दें कि केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने सुनवाई से पहले सोमवार को कहा था कि अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है. मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा?

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अयोध्या भूमि विवाद मामले में SC जनवरी 2019 में तय करेगा सुनवाई की तारीख  

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी. पीठ के दो दूसरे सदस्यों में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ शामिल थे.

भूमि विवाद मामले में दीवानी अपील इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर की गई है. पीठ ने कहा, 'हम जनवरी में उचित पीठ के सामने अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई की तारीख तय करेंगे.'

इससे पहले तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के अपने फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा ना मानने संबंधी टिप्पणी पर पुनर्विचार का मुद्दा पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था. अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठा था.

तब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा था कि सबूत के आधार पर दीवानी मुकदमे पर फैसला किया जाएगा और इस मुद्दे को लेकर पूर्व का फैसला कोई मायने नहीं रखता.

पीठ ने अपीलों पर अंतिम सुनवाई के लिये 29 अक्टूबर की तारीख तय कर दी थी.

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ करीब 14 अपीलें दायर की गयी हैं. उच्च न्यायालय ने चार दीवानी मुकदमों में फैसला सुनाया था. उच्च न्यायालय ने अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था.