May 2024 Annaprashan Muhurat: अन्नप्राशन मई 2024 में कब-कब कर सकते हैं ? यहां जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

May 2024 Annaprashan Muhurat: अन्नप्राशन संस्कार का महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि यह शिशु को समाज में एक सदस्य के रूप में स्वागत करता है और उसे परिवार के साथ संबंध बनाने का अनुभव प्रदान करता है.

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Sushma Pandey
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May 2024 Annaprashan Muhurat

May 2024 Annaprashan Muhurat( Photo Credit : news nation)

May 2024 Annaprashan Muhurat: अन्नप्राशन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो बच्चे को पहली बार भोजन खिलाने का प्रतीक है. यह आमतौर पर बच्चे के 6 महीने से 1 वर्ष की उम्र के बीच किया जाता है.  अन्नप्राशन का धार्मिक और सामाजिक, दोनों ही दृष्टि से अनेक महत्व हैं. यह संस्कार बच्चे को उसके पहले अन्न का प्रदान करता है और उसके भविष्य के साथ शुभ आरंभ के लिए प्रार्थना करता है. अन्नप्राशन संस्कार को लगभग 6 महीने के उम्र में किया जाता है, जब शिशु ठोस अन्न को पाचन और स्वागत करने के लिए तैयार होता है. इस समय पर, परिवार के लोग एक साथ आते हैं और शिशु को पहला अन्न, आमतौर पर छावल या मिश्रित अन्न, खिलाते हैं. इसके साथ ही, प्रार्थनाएं की जाती हैं और शिशु को आशीर्वाद दिया जाता है. अन्नप्राशन संस्कार का महत्वपूर्ण उद्देश्य है कि यह शिशु को समाज में एक सदस्य के रूप में स्वागत करता है और उसे परिवार के साथ संबंध बनाने का अनुभव प्रदान करता है.  यह संस्कार भावनात्मक, सामाजिक, और धार्मिक महत्व का होता है और परिवार के लिए एक आदर्श उत्सव होता है. 

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अन्नप्राशन का धार्मिक महत्व

यह जीवन के चक्र का प्रतीक है, जहां बच्चा अब केवल दूध पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि ठोस भोजन ग्रहण करना शुरू कर देता है.  अन्नप्राशन में पांच प्रकार के भोजन खिलाए जाते हैं, जो पंच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का प्रतिनिधित्व करते हैं. माना जाता है कि अन्नप्राशन समारोह में देवी-देवता बच्चे को आशीर्वाद देते हैं और उसके स्वस्थ और दीर्घ जीवन की कामना करते हैं. 

अन्नप्राशन का सामाजिक महत्व

परिवार और दोस्तों के लिए एक साथ आने और खुशियां मनाने का अवसर है. बच्चे को समाज में स्वीकार करने और उसके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देने का तरीका है.  नई पीढ़ी को हिंदू संस्कृति और परंपराओं से परिचित कराने का माध्यम है।. 

मई 2024 अन्नप्राशन शुभ तिथियां और मुहूर्त

2 मई, गुरुवार: कृष्ण दशमी (सुबह 3:56 बजे से 8:00 बजे तक)

9 मई, गुरुवार: शुक्ल तृतीया (सुबह 4:11 बजे से 5:55 बजे तक)

10 मई, शुक्रवार: शुक्ल चतुर्थी (सुबह 5:19 बजे से 6:59 बजे तक)

13 मई, सोमवार: शुक्ल षष्ठी (सुबह 7:22 बजे से 8:59 बजे तक)

17 मई, शनिवार: शुक्ल नवमी (सुबह 9:34 बजे से 11:07 बजे तक)

20 मई, मंगलवार: शुक्ल एकादशी (सुबह 11:41 बजे से 1:14 बजे तक)

23 मई, गुरुवार: शुक्ल पूर्णिमा (सुबह 1:47 बजे से 3:20 बजे तक)

27 मई, सोमवार: शुक्ल अमावस्या (सुबह 5:45 बजे से 7:18 बजे तक)

30 मई, गुरुवार: ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया (सुबह 7:46 बजे से 9:19 बजे तक)

अन्नप्राशन केवल एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव भी है. यह उसके विकास और स्वतंत्रता की शुरुआत का प्रतीक है. अन्नप्राशन समारोह को सादगी और खुशी के साथ मनाना चाहिए.  अन्नप्राशन संस्कार एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन है जो नवजात शिशु के जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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