राम मंदिर आंदोलन के नायक रहे अशोक सिंघल का भतीजा भूमिपूजन का बनेगा यजमान
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान राम के मंदिर के निर्माण का बरसों से इंतजार था, जो अब खत्म हो गया है. अयोध्या में राममंदिर के लिए आज भूमि पूजन होने जा रहा है.
अयोध्या:
अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि पर भगवान राम के मंदिर के निर्माण का बरसों से इंतजार था, जो अब खत्म हो गया है. अयोध्या में राममंदिर के लिए आज भूमि पूजन होने जा रहा है. कुछ ही घंटों बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हिन्दुत्व के आंदोलन की अगुवाई करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में शिलान्यास करेंगे. राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभा चुके दिवंगत विहिप नेता अशोक सिंघल (Ashok Singhal) के भतीजे सलिल सिंघल को भूमिपूजन के ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चुनिंदा मेहमानों की सूची में शामिल किया गया है.
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वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ राम मंदिर के भूमिपूजन समारोह में मंच साझा करेंगे. सलिल, अशोक सिंघल के बड़े भाई के बेटे हैं. उन्हें सभी मेहमानों के साथ मंच पर बैठाया जाएगा. याद दिलाते चलें कि अशोक सिंघल को राम मंदिर आंदोलन का 'चीफ आर्किटेक्ट' माना जाता है. सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन में आक्रामक रूप से हिस्सा लेते हुए इसे अगले स्तर तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई थी.
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दिवंगत विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन में आक्रामक रूप से हिस्सा लेते हुए इसे अगले स्तर तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई थी. राम मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन की संकल्पना 1984 में दिवगंत अशोक सिंघल के नेतृत्व में विश्व हिन्दू परिषद ने की थी और इसके लिए देश भर में साधुओं और हिन्दू संगठनों को एकजुट करने की शुरुआत हुई थी. तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष आडवाणी के नेतृत्व में 1990 में शुरू हुई 'राम रथ यात्रा' के बाद से यह मुद्दा राजनीतिक हलकों में छाया रहा. इसके बाद भाजपा खुलकर राम मंदिर के समर्थन में आ गई. साल 1989 में पालमपुर में हुए भाजपा के अधिवेशन में पहली बार राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया था.
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अशोक सिंघल को 1984 में विहिप का कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. 15 सितंबर 1926 को अशोक सिंघल का जन्म हुआ था. वह पढ़ाई के दौरान ही आरएसएस से जुड़ गए थे और बाद में उन्हें प्रचारक बना दिया गया. सिंघल को 1981 में विश्व हिंदू परिषद में भेज दिया गया था. देश में हिंदुत्व की भावना को मजबूत करने के लिए 1984 में धर्मसंसद के आयोजन में अशोक सिंघल ने मुख्य भूमिका निभाई थी. वह दिसंबर 2011 तक इस पद पर रहे. इसके चार साल बाद 2015 में उनकी मृत्यु हो गई थी.
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