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कृषि कानून : आंदोलन को 6 महीने पूरे, महामारी के बीच आज किसान मना रहे 'काला दिवस'

केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ महामारी के दौर में भी रार थम नहीं रही है. इन कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के आंदोलन को आज 6 महीने पूरे हो गए हैं.

Updated on: 26 May 2021, 08:26 AM

highlights

  • कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के 6 महीने
  • आज देशभर में 'काला दिवस' मनाएंगे किसान
  • प्रदर्शन को 13 विपक्षी पार्टियों ने दिया समर्थन

नई दिल्ली:

केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ महामारी के दौर में भी रार थम नहीं रही है. इन कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के आंदोलन को आज 6 महीने पूरे हो गए हैं. अब इस प्रदर्शन को रफ्तार देने के लिए किसानों ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी देशवासियों से समर्थन मांगते हुए आह्वान किया है कि लोग अपने घर और वाहन पर काला झंडा लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाएं. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आज देशभर में काला दिवस मनाएंगे, जिसके लिए महामारी के बीच दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसानों के पहुंचने की संभावना है.

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आज मोदी सरकार के भी सात साल पूरे

खास बात यह है कि आज ही केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल पूरे हो रहे हैं तो दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के आज 6 महीने दिन पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार के विरोध स्वरूप काले झंडे लगाने का फैसला किया है. हालांकि आज भगवान बुद्ध के जन्म, निर्वाण और परिनिर्वाण का उत्सव 'बुद्ध पूर्णिमा' भी पड़ता है, लिहाजा संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन सभी धरनास्थलों पर अपने-अपने तरीके से बुद्ध पूर्णिमा मनाने का फैसला किया है.

राकेश टिकैत बोले- मोदी सरकार का विरोध करेंगे

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि हमने 26 मई यानी बुधवार को मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान किया गया है और लोग अपने घरों, दुकानों, वाहनों समेत सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाकर किसान विरोधी-जनता विरोधी मोदी सरकार का विरोध करेंगे. उनका कहना है कि जो व्यक्ति जहां है वो वहीं रहेगा, कोरोना नियमों का पालन करते हुए अपना विरोध दर्ज करेंगे.

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किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली पुलिस सतर्क

किसानों के इस आह्वान के मद्देनजर दिल्ली पुलिस भी सतर्क हो गई है. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल का कहना है कि हमने किसानों से अपील की है कि जिस तरह कोरोना में दुर्दशा हुई और लोगों की जान गई है, इसलिए कोई कार्यक्रम करने या भीड़ जुटने के कारण वो स्थिति फिर से पैदा न हो. प्रदर्शन करने या लोगों को इकट्ठा करने की इजाजत नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति गैरकानूनी काम करेगा या कोरोना नियमों को तोड़ने का प्रयास करेगा तो हम उस पर सख्त कार्रवाई करेंगे. सीमाओं पर, यानी धरनास्थलों पर सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है. इसके अलावा, हमने एहतियातन सुरक्षा और बढ़ाई है.

13 प्रमुख विपक्षी दलों ने समर्थन दिया

किसानों के मसले पर राजनीति भी जमकर हो रही है. मोदी विरोधी तमाम दलों ने एक साथ आकर किसानों के इस प्रदर्शन का समर्थन किया है. देश के 13 प्रमुख विपक्षी दलों ने संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है. इसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सपा, बीएसपी, जेडीएस, एनसीपी, टीएमसी, शिवसेना, डीएमके, झामुमो, जेकेपीए, आरजेडी, सीपीआई और सीपीएम भी है.

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विरोध प्रदर्शन से कोरोना को फिर से रफ्तार मिलने का डर

किसानों के इस विरोध प्रदर्शन से कोरोना को फिर से रफ्तार मिलने का भी डर सता रहा है. जहां कोरोना वायरस की दूसरी लहर पर अभी कुछ हद तक काबू पा लिया गया है, लेकिन ऐसे में किसानों के बड़ी संख्या में एकजुट होने से फिर संक्रमण को रफ्तार मिल सकती है. जिसकी वजह यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग इस आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं. आज के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनने के बाद यह लोग अपने घरों को भी लौटेंगे. इस बीच न जाने उनकी मुलाकात कितने लोगों से होगी और गलती से भी कोई एक संक्रमित व्यक्ति भी यहां पहुंच गया तो इस आंदोलन के कोरोना का सुपर स्प्रिड बनने का डर, हकीकत में तब्दील हो सकता है.