राष्ट्रगान 'जन गण मन' तो स्कूलों में प्रतिदिन होता है, लेकिन रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित इस गीत को साल में दो बार देश के समस्त लोग गाते हैं। पहला स्वतंत्रता दिवस व दूसरा गणतंत्र दिवस के अवसर पर। हर साल की तरह इस बार भी पूरा देश एकजुट होकर 15 अगस्त को देश की आजादी की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार है।
ऐसे में आज हम आपको राष्ट्रगान जन-गण-मन से जुड़े 10 महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य तथा उससे संबंधित रोचक बातें बताने जा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं।
1. 'जन-गण-मन' भारत का राष्ट्रगान है, इसे रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मूलतः बंगाली में लिखा था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कैप्टन आबिद अली से इस गीत का हिन्दी और उर्दू में अनुवाद करवाया था।
2. राष्ट्रगान 'जन गण मन' के बोल तथा संगीत दोनों को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आन्ध्रप्रदेश के मदनापल्ली में तैयार किया था। आज भी उनके बनाई गई धुन को ही प्रयोग में लाया जाता है। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के विशेष अनुरोध पर इसे ऑर्केस्ट्रा की धुनों पर अंग्रेजी संगीतकार हर्बट मुरिल्ल ने भी गाया गया।
3. संविधान सभा ने जन-गण-मन को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया था। इसे पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था।
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4. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1911 में एक कविता की रचना की थी, जो पांच पदों में थी। कविता के पहले पद को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया। राष्ट्रगान का पूरा संस्करण गाने में 52 सेकेंण्ड का समय लगता है, जबकि छोटे संस्करण के लिये (पहली और अंतिम पंक्ति) के लिये 20 सेकेंड।
5. कानूनी तौर पर किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रगान गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रगान गाने अथवा बजने के दौरान अगर कोई व्यक्ति शांतिपूर्वक खड़ा रहता है, तो इसे राष्ट्रगान या राष्ट्र के प्रति कोई अपमान नहीं माना जाता है।
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6. राष्ट्रगान के नियमों का पालन नहीं करने और इसका अपमान करने वाले के खिलाफ Prevention of Insults to National Honour Act, 1971 की धारा-3 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाती है।
7. भारत सरकार के अनुदेशों के अनुसार सिनेमाहॉल में फिल्म दिखाए जाने से पहले या फिर फिल्म के बीच में यदि राष्ट्रगान बजे तो खड़ा होना आवश्यक नहीं है।
8. यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान के समय खड़ा नहीं होता है, तो किसी को भी ये अधिकार नहीं है कि उसके साथ जोर जबरजस्ती करे या फिर दबाव में उसे खड़ा किया जाए।
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9. कई बार ये भी सुनने में आया है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस गीत की रचना अंग्रेज जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में लिखा था। जबकि उन्होंने 1939 में एक पत्र लिखकर इस बात को खारिज कर दिया है।
10. जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।।
ये राष्ट्रगान का लघु संस्करण है।
ये बताए हमने आपको राष्ट्रगान से जुड़े कुछ अहम तथ्य। इनके बारें में पढ़ने के बाद शायद अब आप जान गए होंगे कि किसी भी देश के लिए उसके राष्ट्रगान का क्या महत्व होता है।
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Source : News Nation Bureau