Delhi News: दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित कुंडली इलाके में एक बार फिर जमीन विवाद सुर्खियों में है. यहां डीडीए की सरकारी जमीन पर बनी मदीना मस्जिद को लेकर स्थानीय स्तर पर विवाद गहरा गया है. आरोप है कि साल 2003 में बिना अनुमति के डीडीए की जमीन पर मस्जिद का निर्माण किया गया, जिसे 'अवैध मस्जिद' बताया जा रहा है.
मस्जिद के साथ मदरसा संचलित
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मस्जिद के साथ एक मदरसा भी संचालित किया जा रहा है, जहां करीब 40 से 50 बच्चे अरबी, उर्दू, कुरान, इंग्लिश और गणित की तालीम ले रहे हैं. इमाम मोहम्मद शाह नजर ने बताया कि वह खुद बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं और मस्जिद कमेटी की ओर से उन्हें वेतन दिया जाता है.
शुक्रवार के दिन यहां नमाज के लिए लगभग 1500 लोग जुटते हैं. मस्जिद के बाहर की खाली जमीन को भी नमाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यदि एक बार में जगह कम पड़ती है तो दो चरणों में नमाज अदा कराई जाती है.
डीडीए कई बार कर चुका है आवेदन
इस मस्जिद के संचालन को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीडीए की जमीन पर यह कैसे बनी और 22 साल बाद भी इसे वैध क्यों नहीं किया गया. इमाम शाह नजर का कहना है कि 2003 में मस्जिद निर्माण के बाद डीडीए से कई बार जमीन के मालिकाना हक के लिए आवेदन किया गया, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि 'हमने पैसे देकर जमीन खरीदने की भी पेशकश की है, लेकिन डीडीए कहता है कि स्कीम नहीं आई है.'
स्थानीय बुजुर्गों का आरोप है कि सरकार मुस्लिम समुदाय की मांगों को नजरअंदाज कर रही है. वे पूछते हैं कि अगर यह अवैध है तो बीते 22 वर्षों से सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही?
मस्जिद कमेटी को है उम्मीद
हालांकि, प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह मामला लैंड जिहाद और धार्मिक स्थलों की वैधता जैसे संवेदनशील मुद्दों को फिर से चर्चा में ले आया है. फिलहाल, मस्जिद कमेटी का कहना है कि वे डीडीए से उम्मीद लगाए बैठे हैं और जब तक कोई आदेश नहीं आता, तब तक मस्जिद और मदरसे का संचालन ऐसे ही जारी रहेगा.
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