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एनजीटी ने तमिलनाडु में जलाशयों, आर्द्रभूमियों के अतिक्रमण पर मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने तमिलनाडु में जलाशयों, आर्द्रभूमियों के अतिक्रमण पर मांगी रिपोर्ट

Updated on: 28 Jan 2024, 12:20 PM

चेन्नई:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव से जल निकायों, आर्द्रभूमि और नदी पोरम्बोक भूमि पर जिलेवार अतिक्रमण को लेकर रिपोर्ट मांगी है।

इससे संबंधित समाचार पत्रों की रिपोर्टों के बाद, ट्रिब्यूनल की जज पुष्पा सत्यनारायण और सत्यगोपाल कोरलापति ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को उठाया।

ट्रिब्यूनल ने खेती, अस्थायी या स्थायी बस्तियों और वाणिज्यिक इमारतों के रूप में अतिक्रमणों की एक सूची और उन्हें खाली कराने की योजना भी मांगी है।

उन्होंने चेन्नई, तिरुवल्लुर, चेंगलपट्टू और कांचीपुरम में प्रभावित होने वाले जल निकायों की संख्या पर एक रिपोर्ट मांगी है।

एनजीटी ने वाणिज्यिक और आवासीय इमारतों के निर्माण के लिए सरकारी विभागों को आवंटित आर्द्रभूमि (प्राकृतिक और मानव निर्मित) और नदियों की सीमा के बारे में विवरण मांगा है।

ट्रिब्यूनल ने तमिलनाडु सरकार को टैंक रिकॉर्ड के अनुसार जल भंडारण क्षमता की सीमा और जल निकायों के सिकुड़न के कारण कितनी भंडारण क्षमता का नुकसान हुआ है, इसकी जानकारी देने का निर्देश दिया है।

ट्रिब्यूनल ने नए जलाशयों, इन-स्ट्रीम जलाशयों और जल निकायों को गहरा कर चेन्नई और आस पास जल-भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए 2015 से शुरू की गई योजनाओं पर विवरण भी मांगा है।

एनजीटी ने यह भी पाया कि जल निकायों और बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के साथ-साथ शहरी नियोजन के लिए जिम्मेदार लोग भी लापरवाही बरत रहे हैं।

इसमें यह भी कहा गया कि प्राकृतिक संसाधनों की उपेक्षा और क्षति लगातार जारी है। ट्रिब्यूनल ने कहा, जलस्रोतों का सिकुड़ना, इनलेट और आउटलेट चैनलों का गायब होना और उनमें व्यवधान तथा नदियों और बाढ़ के मैदानों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.