Manipur में पूर्ण बहुमत में BJP, फिर क्यों केंद्र ने वहां लागू किया राष्ट्रपति शासन? 5 पॉइंट्स में समझिए

President Rule in Manipur: मणिपुर में गुरुवार देर रात केंद्र की ओर से राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. ऐसे में आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि केंद्र ने यह फैसला क्यों लिया?

President Rule in Manipur: मणिपुर में गुरुवार देर रात केंद्र की ओर से राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. ऐसे में आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि केंद्र ने यह फैसला क्यों लिया?

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Ajay Bhartia
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मणिपुर में बेहद सख्त सुरक्षा Photograph: (X/@ANI)

President Rule in Manipur: मणिपुर में गुरुवार देर रात से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल के शासनकाल में यह पहली बार है, जब किसी बीजेपी शासित राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा होगा. वो भी तब जब मणिपुर में बीजेपी की पूर्ण बहुमत में है. ऐसे में सवाल है कि जब मणिपुर में बीजेपी राजनीतिक तौर से इतनी मजबूत थी, तो फिर क्यों केंद्र सरकार को वहां अनुच्छेद 356 यानी राष्ट्रपति शासन लागू किया. आइए पांच पॉइंट्स में समझने की कोशिश करते हैं.

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1. नए सीएम का नाम तय नहीं हो पाना 

बीजेपी नेता एन बीरेन सिंह ने 2022 में मणिपुर में दूसरी बार सरकार बनाई थी. 9 फरवरी को उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अभी भी सरकार का तीन साल कार्यकाल बचा हुआ है. बीरेन के इस्तीफा देने के तीन दिनों के बाद तक नए सीएम का नाम नहीं तय हो पाया, जिसके चलते आखिरकार केंद्र को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा. हालांकि, मणिपुर में अभी विधानसभा को भंग नहीं किया गया है और राज्यपाल ही कामकाज को देख रहे हैं. 

2. अपनी बात पर अड़े रहे बीरेन समर्थक 

बीरेन के इस्तीफा देने के बाद नॉर्थ ईस्ट प्रभारी सांसद संबित पात्रा ने इंफाल में कैंप किया. उन्होंने हालात को संभालने की कोशिश भी की. गोविंददास कोंथौजम, वाई.खेमचंद सिंह, थोकचोम सत्यब्रत सिंह और टी बिस्वजीत जैसे नाम नए सीएम को लेकर सामने भी आए, मगर सहमति नहीं बन पाई. एक रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि बीरेन समर्थक करीब 15 विधायक इन नामों पर राजी नहीं हुए. तमाम कोशिशों के बीच वे अपनी बात पर अड़े रहे.

3. मणिपुर बीजेपी में बढ़ता असंतोष

मणिपुर कुकी और मैतई संगठनों के बीच जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है. एन बीरेन सिंह पर मैतई गुट समर्थक होने का आरोप थे. इसकी वजह से कुकी समुदाय के लोग उनसे खफा थे. बताया जा रहा है कि कुकी लोग शांति वर्ता के लिए बीरेन सिंह के इस्तीफे की शर्त रखी थी. इस बीच, कुछ बीजेपी विधायक एन बीरेन सिंह के खिलाफ एकजुट होने लगे. एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि करीब 19 MLA बीरेन सिंह से नाराज थे. इस तरह मणिपुर बीजेपी में असंतोष बढ़ता गया. 

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4. बागियों को समर्थन मिलने का डर

मणिपुर में हिंसा को लेकर कांग्रेस लगातार बीरेन सरकार और बीजेपी को घेर रही थी. बीरेन के CM पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद यानी 10 फरवरी को कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में थी. बीजेपी का डर था कि इस प्रस्ताव को बागियों का समर्थन मिल सकता है. ऐसे में फ्लेर टेस्ट से पहले ही सीएम बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राज्यपाल अजय भल्ला ने विधानसभा सत्र को स्थगित कर दिया.

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 5. पीएम के US दौरे से कनेक्शन?

केंद्रीय नेतृत्व ने एन बीरेन सिंह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले सीएम पद से इस्तीफा लिया. 9 फरवरी से लेकर 13 फरवरी शाम तक जब मणिपुर के नए सीएम को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई तो गुरुवार देर रात मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे पर मणिपुर दौरे की उठने की संभावना थी, इसलिए उनकी यात्रा से पहले सीएम एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया.

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