Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भारत के 650 से ज्यादा प्रतिष्ठित लोगों ने एक खुला पत्र लिखा है. ये खुला पत्र बांग्लादेश के नागरिकों के नाम लिखा गया है. जिसे पूर्व न्यायाधीशों, नौकरशाहों और राजदूतों ने लिखा है. जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के लोगों से शांति और दोस्ती के रास्ते पर बने रहने का आग्रह किया गया है.
खुले पत्र में कहा गया है कि दोनों देशों के पांच दशकों से अधिक समय तक अच्छे रिश्ते रहे हैं. इस ओपन लेटर में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई क़ुरैशी के भी हस्ताक्षर शामिल हैं. ओपन लेटर में अल्पसंख्यकों, उनकी संपत्तियों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमलों और उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर करने को तत्काल रोकने का भी आह्वान किया गया है.
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'दोनों देशों की बुनियाद को कमजोर कर रही है हिंसा'
इस ओपन लेटर में कहा गया है कि घनिष्ठ और भरोसेमंद द्विपक्षीय संबंध दोनों देशों के नागरिकों के दीर्घकालिक हित में है, और बांग्लादेश के लोगों को दुर्भावनापूर्ण भारत विरोधी अभियानों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, जो पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के आधार को कमजोर करना चाहते हैं. जिसका लगातार विकास किया गया है.
'भीड़तंत्र ले रहा है निर्णय'
खुले पत्र में कहा गया है कि "भारत के लोग बांग्लादेश में बिगड़ती स्थिति को बढ़ती चिंता और चिंता के साथ देख रहे हैं. बांग्लादेश में अराजकता का माहौल है, भीड़तंत्र निर्णय लेने का पसंदीदा तरीका है. पूरे देश में सार्वजनिक और निजी तौर पर जबरन इस्तीफों का एक पैटर्न अपनाया गया है. न्यायपालिका, कार्यपालिका (पुलिस सहित), शिक्षा जगत और यहां तक कि मीडिया घरानों को कवर करने वाले क्षेत्र भी इसमें शामिल हैं.
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'अल्पसंख्यकों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा'
इसमें कहा गया है, "पुलिस बल अभी भी पूरी ताकत से ड्यूटी पर नहीं लौटा है और सेना को मजिस्ट्रेट और पुलिस शक्तियां दिए जाने के बावजूद, सामान्य स्थिति अभी भी वापस नहीं आई है." पत्र में कहा गया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों ने भारत में गहरी चिंता पैदा कर दी है, जिसकी बांग्लादेश के साथ लंबी सीमा है
इसके साथ ही इस पत्र में लिखा है, "बांग्लादेश में फैली अराजक स्थिति का सबसे बुरा खामियाजा बांग्लादेश के डेढ़ करोड़ अल्पसंख्यक समुदायों को उठाना पड़ रहा है, जिनमें हिंदू, बौद्ध, ईसाई के अलावा शिया, अहमदिया और अन्य नागरिक शामिल हैं. पत्र में आगे कहा गया है कि, "विशुद्ध रूप से मानवीय पहलुओं के अलावा, यह खतरा है कि बांग्लादेश में अस्थिर स्थिति सीमाओं के पार फैल सकती है, जो सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर सकती है और भारत में गंभीर कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा कर सकती है."
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685 लोगों ने लिखा खुला पत्र
इस खुले पत्र पर 685 हस्ताक्षरकर्ताओं में 19 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 34 पूर्व राजदूत और 300 शिक्षाविद् शामिल हैं जिनमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति और आईआईटी और आईआईएम के निदेशकों का नाम भी शामिल हैं. इसके अलावा, हस्ताक्षर करने वालों में यूपीएससी अध्यक्ष, एनसीईआरटी अध्यक्ष, मुख्य चुनाव आयुक्त, पुलिस महानिदेशक और आयकर आयुक्त के रूप में कार्य कर चुके 139 पूर्व नौकरशाह भी शामिल हैं.