अपने सोशल मीडिया को बनाएं एक पॉजिटिव और मज़ेदार प्लेस, जानें कैसे
आज कल सोशल मीडिया हर किसी के पास है. आजकल हर कोई ज़ूम मीटिंग और सोशल मीडिया स्क्रॉल करते करते जानकारी भी ले लेता है.स्क्रॉल करते करते आपको फीड में कुछ ऐसा दीखता है जैसे कोविड से जुडी कुछ बातें महामारी से जुड़े डेटा.
New Delhi:
आज कल सोशल मीडिया हर किसी के पास है. आजकल हर कोई ज़ूम मीटिंग और सोशल मीडिया स्क्रॉल करते करते जानकारी भी ले लेता है. स्क्रॉल करते हुए आपको फीड में कुछ ऐसा दीखता है जैसे कोविड से जुड़ी कुछ बातें महामारी से जुड़े डेटा , कुछ जानकारियों को देखने के बाद आपका मूड ख़राब होने लगता है लेकिन आप स्क्रॉल करना बंद नहीं करते. अगर ये बात आपके लिए भी सही है , तो आप अकेले नहीं हैं. एक स्टडी से पता चलता है कि अनिश्चित समय के दौरान लोगों में जानकारी की तलाश करने की प्रवृत्ति होती है.
लेकिन क्या सोशल मीडिया पर लगातार जानकारी मांगना, जिसे कभी-कभी डूमस्क्रॉलिंग कहा जाता है, महामारी के दौरान मददगार होता है, या किसी भी समय? अगर आपको अब भी समज नहीं आया तो उदाहरण के लिए, मार्च 2020 में किए गए एक अध्ययन में 6,000 से अधिक अमेरिकियों को शामिल किया गया था, जिसमें पाया गया कि लोगों ने एक दिन में जितना अधिक समय कोविद समाचार को सर्च करने में बिताया , उतना ही वे दुखी महसूस करते रहे. ये रिपोर्ट चौकाने वाली है.
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लेकिन अब एक प्रश्न है कि क्या डूमस्क्रॉलिंग लोगों को दुखी करता है, या क्या दुखी लोगों के डूमस्क्रॉल की संभावना अधिक होती है? डूमस्क्रॉलिंग में कितना समय खर्च करना एक समस्या है? और अगर क्या होगा की हम डूम्स्क्रॉलिंग के बजाये कुछ पॉजिटिव स्क्रॉल करें ग्लोबल क्राइसिस के बारे में या किसी भी संकट के बारे में. दिक्कत यह है की जब किसी इंसान का 5 मिनट स्क्रॉलिंग सोशल मीडिया से आपको दुखी कर सकता है, तो उस वक़्त इंसान कुछ अच्छा भी सर्च करके अपना मूड सही कर सकता है. लेकिन हमने यह नहीं पाया कि सोशल मीडिया का सभी उपयोग लोगों को दुखी करता है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो महामारी के बीच ट्विटर या यूट्यूब के माध्यम से कोविड के बारे में नेगेटिव चीज़ीं लोगों ने ज्यादा सर्च करी हैं.
तो अब हम कैसे अपने समय को सोशल मीडिया में कैसे पॉजिटिव और मज़ेदार बनाएं
सोशल मीडिया पर आप क्या देखते हैं इसका ध्यान रखें. यदि आप अन्य लोगों से जुड़ने के लिए लॉग ऑन करते हैं, तो नई सुर्खियों के बजाय पर्सनल समाचारों और दी गई तस्वीरों पर ध्यान ज्यादा दें. ऐसे कंटेंट की तलाश करें जिससे आपको अपने न्यूज़फ़ीड को पढ़ने में भी ख़ुशी मिले. आप पॉजिटिव न्यूज़, विचार, देने वाले पेजेस को फॉलो करें. जो आपको दुःख के स्तिथि में भी मोटिवेटेड रहना सिखाये. पाजिटिविटी और दया को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया का यूज़ करें.
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आपके जीवन में हो रही अच्छी चीजों को साझा करने से आपका मूड बेहतर हो सकता है, और आपका अच्छा पॉजिटिव मूड दूसरों तक फैल सकता है. आप सोशल मीडिया पर दूसरों की तारीफ करना भी पसंद कर सकते हैं. हालांकि यह अजीब लग सकता है, लोग आपकी सोच से ज्यादा इसकी सराहना करेंगे. हालांकि हम ये नई कहते की साड़ी खबर और ताज़ी खबर को छोड़कर आप सर्फ विचार और पॉजिटिव पर ध्यान रखिये बल्कि सब कुछ देखकर अपने मेन्टल हेल्थ को को भी सही रखना चाहिए. हमें सोशल मीडिया में दिखने वाला हर कंटेंट अपने मेन्टल हेल्थ को ध्यान में रखते हुए पज़िटिवे और नेगेटिव सोचना चाहिए.
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