नेपोटिज्म पर आया ध्रुव वर्मा का रिएक्शन, बोले- मेरा भाग्य अच्छा था कि...
धुव्र का मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म आज के समय में बड़ा और जरूरी प्लेटफॉर्म बन गया है. यह पूरी दुनिया में छा चुका है
highlights
- ध्रुव वर्मा ने कहा बॉलीवुड में है नेपोटिज्म
- ध्रुव वर्मा अब फिल्म 'द गुड महाराजा' में नजर आएंगे
- यह फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध पर आधारित है
नई दिल्ली:
फिल्म निर्देशक विकास वर्मा की फिल्म 'नो मीन्स नो' में लीड रोल कर रहे अभिनेता धुव्र वर्मा उनकी एक और फिल्म 'द गुड महाराजा' में भी काम कर रहे हैं. यह फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध पर आधारित है. बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत करने वाले धुव्र वर्मा कहते हैं, "यहां नेपोटिज्म है. मेरा भाग्य अच्छा था कि मुझे यह देखना नहीं पड़ा. लेकिन चाहे जो कुछ भी हो जाए अगर आपके अंदर टैलेंट और कड़ी मेहनत करने की क्षमता है तो आपके लिए इस शब्द का कोई मतलब नहीं है. बॉलीवुड में टैलेंट और कड़ी मेहनत मायने रखती है किसी की सिफारिश नहीं."
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वर्मा ने कहा, "दर्शकों उन्हीं को समर्थन करते हैं जिनका काम अच्छा होता है. अगर आपको दर्शकों का प्यार नहीं मिलेगा और वे आपको पर्दे पर पसंद ही नहीं करेंगे तो कोई इसका कोई मतलब नहीं रह जाता. गुड महाराजा में वह संजय दत्त के साथ काम कर रहे हैं. संजय इसमें महाराजा का रोल कर रहे हैं. ध्रुव कहते हैं कि संजय दत्त मेरे बचपन के पसंदीदा कलाकार रहे हैं. उनके साथ काम करना अच्छा रहा."
उन्होंने कहा कि उनको विश्व युद्ध द्वितीय फिल्म 'नो मीन्स नो' की शूटिंग के दौरान ही मिली थी. उस समय वो ऑडिशन देने गए थे. उनको अपनी फिल्म में एक योद्धा दिखाना था. उसके लिए ऑडिशन दिया और चयन हुआ. ध्रुव कहते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध पर बन रही फिल्म में उनका रोल एक रशियन स्नाइपर का है. स्नाइपर को अलग से तैयारी करनी होती है. इनका सारा काम सामने से नहीं बल्कि छिपकर और लेटकर होता है. यह खतरनाक लड़ाके होते हैं. यही एक रोल है मेरा फिल्म में.
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उन्होंने कहा, "विकास वर्मा के साथ काम करने का अलग ही अनुभव है. नो मीन्स नो फिल्म करते समय काफी कुछ सीखने को मिला. विकास वर्मा एक-एक छोटी चीजों को ध्यान में रखते हैं और दर्शकों को दिखाना चाहते हैं. हर एक कैरेक्टर के बारे में सीन से पहले उसको अच्छे से बताते हैं. यहां तक की कैरेक्टर को सांस कब लेना और आंख की पुतली कब घुमानी है इसे भी विकास वर्मा फिल्म की सीन की मांग के अनुसार ही करवाते हैं. उनके साथ काम करने में बड़ा मजा आता है. एक एक्टर को कभी परेशानी नहीं उठानी पड़ती."
उनका कहना है कि अगर उन्हें लोग भारतीय जेम्स बॉन्ड कहते हैं तो उसके लिए मैं बहुत शुक्रिया अदा करता हूं. वैसे मैंने एक्शन को बेहतर करने के लिए एक्शन का कोर्स किया है. कैमरा एक्शन का अलग कोर्स किया है. साथ ही 17 अलग-अलग हथियार के साथ ट्रेनिंग ली है. हथियार लेकर भागना और उसके साथ समय बिताना. मार्शल आर्ट, स्कूबा डायविंग कोर्स सभी चीजों को अच्छे से सीखा है. इन सभी से फिल्मों में काफी परफेक्शन आता है. यह मेरे लिए वाकई खुशी की बात है.
धुव्र का मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म आज के समय में बड़ा और जरूरी प्लेटफॉर्म बन गया है. यह पूरी दुनिया में छा चुका है. मेरे पास अभी फिलहाल कोई प्रोजेक्ट नहीं है लेकिन चाहता हूं कि कोई रोल मिले करने को. अगर मिला तो जरूर चाहूंगा कि ओटीटी पर भी आऊं. अगर भविष्य में आफर मिला तो जरूर करूंगा. क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों खासकर भोजपुरी सिनेमा को लेकर वर्मा का कहना है कि यह लोगों के द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है. भविष्य भी क्षेत्रीय फिल्मों का काफी बदल रहा है. इसमें कंटेंट अच्छा है और कामर्शियल सिनेमा के साथ वह भी काफी बढ़ रहा.
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