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भोजपुरी सिनेमा में डबल मीनिंग संवाद पर जानिए क्या बोले निरहुआ

एक विशेष वार्ता में निरहुआ (Nirahua) ने यहां कहा कि आने वाले दिनों में भोजपुरी सिनेमा के दो-अर्थी संवाद स्वत: बंद हो जाएंगे

Updated on: 09 Mar 2021, 12:12 PM

नई दिल्ली:

भोजपुरी सिनेमा के दो-अर्थी संवाद अब शायद भविष्य में नहीं सुनाई देंगे. कलाकार खुद इसको लेकर सजग हो गए हैं. भोजपुरी फिल्मों के सुप्रसिद्ध अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ (Nirahua) ने भी इस संबंध में अपनी राय स्पष्ट की है. मीडिया से एक विशेष वार्ता में निरहुआ (Nirahua) ने यहां कहा कि आने वाले दिनों में भोजपुरी सिनेमा के दो-अर्थी संवाद स्वत: बंद हो जाएंगे. पहले फिल्में थियेटर के ऑडियन्स के लिए बनती थीं, जिनमें रसीले गाने डालकर उसे हिट कराने का प्रयास किया जाता था. लेकिन, अब फिल्में ओटीटी और सैटेलाइट के लिए बन रही हैं. सैटेलाइट में जब तक यूए सर्टिफिकेट नहीं होगा, तब तक फिल्म नहीं चलेगी. इस कारण अब अच्छी फिल्में बनानी पड़ेगी और दो-अर्थी संवादों से परहेज करना पड़ेगा.

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भोजपुरी फिल्मों को फैमली सिनेमा बनाने के सवाल पर निरहुआ ने कहा कि इसकी शुरूआत हो चुकी है, क्योंकि टेलीविजन पर जो फिल्में आती हैं, उसे परिवार के लोग एक साथ बैठकर देखते हैं. इसलिए अब इसे ध्यान में रखकर नई फिल्में बन रही हैं. अब ट्रेंड अपने आप बदल जाएगा.

सेंसरशिप के सवाल पर दिनेश लाल ने कहा कि यह तो होना ही चाहिए और है भी. लेकिन एलबम पर अभी नहीं है, उस पर भी सेंसर लगाना चाहिए. कुछ गानों को सुनकर लोगों को लगता है कि यह तो भोजपुरी सिनेमा है, लेकिन वास्तव में वह एलबम होता है. इसमें लोग कुछ भी गाते हैं, कुछ भी बनाते हैं..इस पर सेंसर होना अनिवार्य है.

बॉलीवुड की तर्ज पर भोजपुरी के कलाकरों के लिए ट्रेनिंग संस्थान को लेकर निरहुआ ने कहा कि उप्र की योगी सरकार ने अभी भोजपुरी और अवधी के लिए एकेडमी बनाने का प्रस्ताव पारित किया है. लखनऊ या बनारस में यह बनने जा रहा है. लखनऊ में भारतेन्दु नाट्य आकादमी के बच्चे भी भोजपुरी सिनेमा में आ रहे हैं.

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यह पूछने पर कि भोजपुरी को दिशा देने वाले गायक, जो भाषा और गायन को समृद्ध करते थे, वे धीरे-धीरे अब गायब हो रहे हैं, क्या इसके लिए कोई दबाव है - इस पर निरहुआ ने कहा कि जब अच्छी फिल्में बनेगीं तो अच्छे गाने अपने आप आएंगे. यूपी, बिहार और झारखंड की राज्य सरकारों से उन्होंने अपील की है कि यहां पर जो भी एलबम बनें, उनके कोई भी गाने बगैर सेंसर के पास न हों, ताकि अर्नगल चीजें न आएं. इससे अच्छे गाने सामने आएंगे.

उत्तर प्रदेश में बन रही फिल्म सिटी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि इसके बनने से भोजपुरी सिनेमा को बहुत मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्में बहुत कम बजट की होती थीं, थियेटर बंद होंने से यहां पर उनकी शूटिंग बंद हो गयी थी. लेकिन, मुख्यमंत्री ने सब्सिडी का प्रावधान दिया. इससे यहां पर अब लगभग सभी भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग हो रही है. उन्होंने कहा कि यूपी में फिल्म की शूटिंग करने के कई फायदे हैं. यहां के कलाकारों को अवसर देने से सब्सिडी तो मिलती ही है, साथ ही लोकल कलाकरों को रोजगार भी मिलता है.

यह पूछने पर कि भोजपुरी में सिर्फ एक ही ट्रेन्ड की फिल्में बन रही हैं, इसके जवाब में निरहुआ ने कहा कि भोजपुरी सिनेमा का ट्रेंड अब बदल रहा है. यहां भी अब रियल अप्रोच की फिल्में बन रही हैं. पहले जो फिल्में बन रही थीं, वे ज्यादातर कल्पनिक होती थीं. लेकिन अब समाज में जो घटित हो रहा है, उसकी मांग है और फिल्में भी उसी के आधार पर बन रही हैं.

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भोजपुरी में वेब सीरीज का कितना स्कोप है? इस सवाल के जवाब में निरहुआ ने बताया कि भोजपुरी में वेब सीरीज बन रही है. आल्टबालाजी एकता कपूर के साथ हमने 'हीरो वर्दीवाला' बनाया था. इसके अलावा महेश पांडेय के साथ एक सीरीज बन रही है. वेब सीरीज का स्कोप ठीक-ठाक है.

राम मंदिर के लिए समर्पण राशि को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव के चंदाजीवी बयान पर कहा कि मंदिर हमारी पहचान है. भावी पीढ़ी को सत्यपथ दिखाता है. हम घर पर पढ़ाई के साथ बच्चों को रामायण पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. इसमें परिवार का सार और चरित्र निर्माण की जानकारी मिलती है. देश निर्माण के लिए मंदिर निर्माण जरूरी है. इस पर उन्होंने गाने के बोल के माध्यम से कहा कि 'सनातन धर्म है जिनका प्राण, है उसका मंदिर. जिन्हें सनातन का मर्म नहीं पता, उन्हीं मूर्खों के सीने में बाण है मंदिर'. यह मेरा गाना आ रहा है, जो सबका जबाव दे रहा है.

पूर्वांचल के विकास में अभी तक कौन बाधक रहा, इस पर निरहुआ ने "समय" को बाधक बताया और कहा कि अब वहां सड़क पानी, बिजली का काम जोरों पर है. पूर्वांचल अब विकास की राह पकड़ रहा है. किसान आंदोलन के बाबत पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है. यह भी कहा कि इस आंदोलन में खालिस्तानी घुस गये हंै. वे उपद्रव मचा रहे हैं. क्या किसान का बेटा तिरंगा फेंकेगा? तिरंगे के लिए खुदीराम बोस फांसी पर चढ़ गये थे. वह भी किसान के बेटे थे. क्या कोई किसान का बेटा तिरंगे का अपमान करेगा?