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लोकसभा चुनाव

बजट में तेलंगाना के लिए कोई बड़ी घोषणा न होने से बीआरएस को बीजेपी पर हमला करने का मिला नया हथियार

बजट में तेलंगाना के लिए कोई बड़ी घोषणा न होने से बीआरएस को बीजेपी पर हमला करने का मिला नया हथियार

Updated on: 05 Feb 2023, 12:25 PM

हैदराबाद:

चुनावी वर्ष में सोचा गया था कि केंद्र सरकार केंद्रीय बजट 2023-24 में तेलंगाना के लिए राज्य में मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ बड़ी घोषणा करेगी। भाजपा नेता भी उम्मीद कर रहे थे कि बजट में तेलंगाना के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं उन्हें चुनाव में भुनाने का मौका देंगी। लेकिन उन्हें निराश होना पड़ा।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इससे सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को भाजपा पर हमला करने का मौका मिल गया है।

ऐसा लगता है कि बजट में कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं करके भाजपा ने बीआरएस को तेलंगाना की उपेक्षा करने के लिए उस पर हमला करने के लिए और अधिक गोला-बारूद दे दिया है।

बीआरएस ने मौके को भुनाने में तेजी भी दिखाई। सार्वजनिक स्थानों पर पार्टी द्वारा लगाए गए होडिर्ंग्स में लिखा है तेलंगाना को केंद्रीय बजट में जीरो मिला है।

पार्टी नेताओं ने बजट में एक बार फिर तेलंगाना को नजरअंदाज करने के लिए मोदी सरकार पर तीखा हमला किया।

राज्य में केंद्रीय संस्थानों और स्वायत्त निकायों को राजस्व व्यय के तहत नियमित आवंटन को छोड़कर केंद्र ने तेलंगाना की किसी भी मांग पर विचार नहीं किया।

केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी वर्तमान में 18,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो सकती है। इसके अलावा इसमें उसको खुश होने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है।

राज्य के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने कहा, केंद्रीय बजट प्रगतिशील राज्यों और देश के किसानों के लिए एक बड़ी निराशा है। इसने एक बार फिर तेलंगाना के साथ घोर अन्याय किया है।

रेलवे कोच फैक्ट्री या स्टील फैक्ट्री सहित आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत किए गए किसी भी वादे को नौ साल बाद भी बजट में जगह नहीं मिली। उन्होंने कहा कि जनजातीय विश्वविद्यालय के लिए नाममात्र की धनराशि आवंटित की गई, जो शुरू नहीं हो सका।

राव ने कहा, हमारे बार-बार अनुरोध के बावजूद तेलंगाना की किसी भी सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं दिया गया। इसी तरह बुनकरों को कोई जीएसटी सब्सिडी या प्रोत्साहन नहीं दिया गया। हमने तेलंगाना जैसे नए राज्यों को प्रोत्साहन देने के लिए बार-बार अनुरोध किया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।

उन्होंने यह भी बताया कि तेलंगाना को कोई नया विशेष आर्थिक क्षेत्र या औद्योगिक गलियारा आवंटित नहीं किया गया और पिछली सरकारों द्वारा स्वीकृत विकास के लिए कोई बड़ी धनराशि की घोषणा नहीं की गई।

तेलंगाना के प्रति केंद्र के पक्षपात को उजागर करते हुए बीआरएस नेताओं ने कहा कि केंद्र ने कर्नाटक के लिए, जहां भाजपा सत्ता में है और कुछ ही महीनों में चुनाव होने हैं, 5,300 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की गई, लेकिन तेलंगाना को निराश किया गया।

हरीश राव ने कहा, केंद्र ने कर्नाटक की ऊपरी भद्रा सिंचाई परियोजना के लिए एक बड़ी राशि आवंटित की और गुजरात के लिए उपहार शहर की घोषणा की।

राज्य सरकार ने हैदराबाद फार्मा सिटी, काकतीय टेक्सटाइल पार्क, एनआईएमजेड, डिफेंस कॉरिडोर और शहरी स्थानीय निकायों में प्रस्तावित कई विकास कार्यों के लिए धन की मांग की थी।

बीआरएस नेताओं ने यह भी बताया कि तेलंगाना को बजट में स्वीकृत 157 में से एक भी नसिर्ंग कॉलेज नहीं दिया गया। इससे पहले केंद्र ने राज्य के लिए एक भी मेडिकल कॉलेज को मंजूरी नहीं दी थी।

तेलंगाना सरकार राज्यों को जीएसडीपी के 3.5 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे की अनुमति देने से भी असंतुष्ट है, जिसमें से 0.5 प्रतिशत बिजली क्षेत्र के सुधारों से जुड़ा होगा।

तेलंगाना सरकार बिजली क्षेत्र के सुधारों का विरोध कर रही है, क्योंकि इससे कृषि के लिए बिजली कनेक्शनों में मीटर लगाने की आवश्यकता होगी। राज्य को 0.5 फीसदी की अतिरिक्त उधारी नहीं मिलेगी।

इस गणना पर तेलंगाना के लिए प्रति वर्ष उधारी का नुकसान लगभग 6,000 करोड़ रुपये होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि बीआरएस इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश करेगी। बीआरएस सरकार, जो किसानों को चौबीसो घंटे मुफ्त बिजली की आपूर्ति कर रही है और ऐसा करने वाली देश की एकमात्र राज्य सरकार होने का दावा करती है, किसानों को बताएगी कि कैसे वह फंड का बलिदान कर रही है, लेकिन बिजली सुधारों को लागू करने से इनकार कर रही है ताकि उन पर बोझ न पड़े।

बजट में तेलंगाना के लिए कोई विशेष घोषणा न होने से बीआरएस नेताओं के बीजेपी पर हमला तेज करने और लोगों को आश्वस्त करने की संभावना है कि राज्य सरकार खुद के संसाधनों से कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखेगी।

चुनावी वर्ष में तेलंगाना के लिए किसी भी बड़े प्रस्ताव की घोषणा न होने से निराश भाजपा नेताओं ने इसका दोष बीआरएस पर मढ़ने की कोशिश की है।

राज्य भाजपा प्रमुख बंदी संजय ने कहा कि राज्य सरकार को अपने प्रस्तावों को केंद्र के पास बहुत पहले भेजना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रस्तावों को पहले न भेजकर यह स्पष्ट कर दिया कि उन्हें राज्य की जनता के हितों से कुछ लेनादेना नहीं है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.