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अब Petrol-Diesel की टेंशन खत्म, गाड़ियां चलेंगी Hydrogen Fuel cell से

हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी को सीएसआईआर-एनसीएल और सीएसआईआर-सीईसीआरआई के सहयोग से इस सपने को भी पूरा किया गया.

Updated on: 16 Dec 2021, 10:00 AM

New Delhi:

इलेक्ट्रिक वाहनों की दौड़ में अब एक नया फीचर आ चुका है. दुनिया की बड़ी से बड़ी कार कंपनी ग्राहकों के लिए एक से बढ़ कर एक फीचर्स निकाल रही है. लोगों की सुविधा के लिए इलेक्ट्रिक वेहिकल जिसे आप केबल से चार्ज कर सकते हैं. यानी की अब पेट्रोल और डीज़ल की टेंशन भी खत्म. पेट्रोल और डीज़ल आने वाले समय में खत्म होगा या नही ये कहा नहीं जा सकता. लेक्नि ग्राहकों के कम्फर्ट के लिए अब नए और फीचर्स आ चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिसर्च एंड डेवल्पमेंट इनोवेशन करने वाली सेंटियंट लैब्स ने भारत की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च की है. हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी को सीएसआईआर-एनसीएल और सीएसआईआर-सीईसीआरआई के सहयोग से इस सपने को भी पूरा किया गया. 

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हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी के अलावा,  बैलेंस ऑफ प्लांट, पावरट्रेन और बैटरी पैक को भी डेवल्प किया है. इन सभी कॉम्पोनेंट्स को 9 मीटर लंबी, 32-सीटर वाली, एक एसी बस में फिट किया गया है. यह 450 किमी चलेगी वो भी 30 किलोग्राम हाइड्रोजन के इस्तेमाल से. इसकी रेंज को बढ़ाया भी जा सकता है. आप चाहे तो इसकी डिज़ाइन में बदलाव भी कर सकते हैं. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेंटियंट लैब्स के चेयरमैन रवि पंडित ने कहा, “हमें स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर बस लॉन्च करते हुए गर्व हो रहा है. सीएसआईआर-एनसीएल के साथ एक मजबूत टेक्नोलॉजी टीम ने काम किया. यह हाइड्रोजन मिशन, आत्मनिर्भर भारत के रूप से सस्टेनेबल मोबिलिटी को मजबूत बनाने में एक लंबा सफर तय करेगा.

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फ्यूल सेल बस को पावर देने के लिए हाइड्रोजन और हवा का इस्तेमाल करते है. बस से सिर्फ पानी निकलता है इसलिए यह पर्यावरण के लिहाज से ट्रांस्पोर्ट का सबसे अच्छा ऑप्शन कहा जा सकता है. वहीं लंबी दूरी के सड़कों पर चलने वाली एक डीजल बस आमतौर पर सालाना 100 टन CO2 का उत्सर्जन करती है. बता दें कि भारत में ऐसी दस लाख से ज्यादा बसें हैं. यह बस नेचर के लिए भी एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है. इसकी ख़ास बात यह है कि ये टेक्नोलॉजी किसानों के लिए पैसे कमाने का एक अच्छा जरिया बन सकती है. कह सकते हैं कि इससे आयल सपोर्ट कॉस्ट भी कम होगा. 

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