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बेटे पर हमला हुआ तो बचाने के लिए बाघ से लड़ गया पिता, फिर...

बहराइच जनपद के कतर्नियाघाट संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र में जंगली जानवरों और मानव के बीच संघर्ष की खबरें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला आज सुबह का है. जहां पिता पुत्र पर हमला हुआ.

11 Sep 2019, 04:54:57 PM (IST)

highlights

  • पिता से ज्यादा बेटे को आई चोट
  • वन विभाग को नहीं पता हमला किस जानवर ने किया
  • करीब 15 मिनट तक हुआ संघर्ष

बहराइच:

बहराइच जनपद के कतर्नियाघाट संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र में जंगली जानवरों और मानव के बीच संघर्ष की खबरें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला आज सुबह का है. जहां पिता पुत्र जेट्रोफा (डीज़ल बनाने वाला पौधा) काटने जा रहे थे. तभी टाइगर ने बेटे पर हमला कर दिया. यह देख कर पिता आक्रोश में आ गया और वह एक छोटे डण्डे से टाइगर को भगाने लगा. लगभग 15 मिनट के संघर्ष के बाद पिता ने बेटे को ज़िन्दा तो बचा लिया लेकिन बेटा कई जगह घायल हो गया और सिर बुरी तरह ज़ख्मी हो गया. 15 मिनट के इस संघर्ष में पिता को भी हल्की चोटें आई लेकिन वह खतरे से बाहर है.

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फॉरेस्ट विभाग का इस मामले में कहना है कि सुबह हिंसक जंगली जानवर के हमले से एक व्यक्ति के घायल होने की सूचना तो आई है लेकिन बिना जांच के अभी यह कह पाना मुश्किल है कि वह कौन सा जानवर था. कतर्नियाघाट के सुजौली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत चहलवा के वनग्राम कैलाशनगर के सदर बीट के निकट पूर्व सेन्ट्रल स्टेट फार्म में लगे बायो डीजल के पौधे काटने गए गांव निवासी कृपाराम पर टाइगर ने हमला कर उसे गंभीर रूप से जख्मी कर दिया.

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साइकिल सवार पिता और पुत्र एक दूसरे से सौ मीटर की दूरी पर थे. पिता के पीछे साइकिल सवार युवक कृपाराम पर जब टाइगर ने हमला कर दिया तो पिता त्रियोगी नारायण डंडा लेकर दौड़ पड़े और डंडे के सहारे अपने बेटे के बचाव के प्रयास में जुट गए. टाइगर ने उनपर पर भी हमले का प्रयास किया पर त्रियोगी बालबाल बच गए. करीब पन्द्रह मिनट तक चले इस संघर्ष के बाद तेंदुआ झाड़ियों में भाग गया.

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पिता त्रियोगी अपने जख्मी पुत्र कृपाराम को सहारा देते हुए घर वापस आ गए. तभी कुछ दूरी पर पंहुचते ही टाइगर ने उनपर फिर से हमला कर दिया. दूसरी बार तकरीबन दस मिनट तक संघर्ष चला, लेकिन बाप-बेटे हिम्मत नहीं हारे और काफी जद्दोजहद के बाद तेंदुए को भगाने में कामयाब रहे.

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पिता अपने जख्मी बेटे को लेकर बड़ी मशक्कत के बाद गांव के पास पहुंचा और मदद की गुहार लगाने लगा. वहां ग्रामीणों ने उन्हें आनन-फानन में स्थानीय चिकित्सक के पास ले गए. सूचना वनकर्मियों को दी गई. मौके पर पंहुचे वन दरोगा मयंक पांडे ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे एम्बुलेंस द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मोतीपुर इलाज के लिए भेज दिया.