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बिहार में 100 करोड़ तक के काम के लिए ग्लोबल टेंडर खत्म करने की मांग

बिहार में हर रोज देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में मजदूर घर लौट रहे हैं. ऐसे में लौट रहे लाखों श्रमिकों को राज्य में काम दिलवाना एक चुनौती से कम नहीं है.

News Nation Bureau
| Edited By :
16 May 2020, 11:44:39 AM (IST)

पटना:

बिहार (Bihar) में हर रोज देश के विभिन्न भागों से हजारों की संख्या में मजदूर घर लौट रहे हैं. ऐसे में लौट रहे लाखों श्रमिकों को राज्य में काम दिलवाना एक चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में केंद्र सरकार की तरह, बिहार में भी सरकारी कामों के लिए टेंडरिंग प्रक्रिया के नियम को शिथिल किये जाने की मांग उठने लगी है. रालोसपा नेता माधव आनंद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से कहा है कि बिहार में भी 100 करोड़ तक के काम के लिए ग्लोबल टेंडर नहीं किया जाय. रोजगार सृजन के लिये तुरंत प्रभावी कदम उठाये जायें, ताकि बिहार लौट रहे श्रमिकों को तुंरत काम मिल सके.

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उन्होंने नीतीश सरकार से मांग की है कि केन्द्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी 100 करोड़ तक के सरकारी कामकाज के लिये टेंडर न निकाले, बल्कि नॉमिनेशन के आधार पर कंपनियों को काम सौपें. उन्होंने इसके पीछे सीधा सा कारण यह बताया कि निविदा आमंत्रित करने में और काम शुरू करने में काफी समय लगता है. नॉमिनेशन प्रकिया से काम तेजी से हो सकता है, अगर इस प्रकिया को पारदर्शी बनाया जाय तो इस तरह इस से लोगों को तुंरत काम मिल पायेगा.

बिहार के लिए 'स्पेशल पैकेज' के रूप में 1.5 लाख करोड़ केन्द्र से दिये जाने की, अपनी पुरानी मांग दोहराते हुए रालोसपा के प्रधान महासचिव ने केन्द्रीय वित्त मंत्री की घोषणाओं की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अच्छा काम किया है. मनरेगा के तहत और अधिक लोगों को काम देने की बात हो या फिर 8 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों को मुक्त में भोजन मुहैया कराना, स्ट्रीट वैंडर्स को लोन उपलब्ध कराना, एमएसई को उबारने के लिये पैकेज देना, किसान और खेती के लिए बहुत कुछ किया गया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ जरूरत है कि प्रामाणिक तौर पर इन कामों को किया जाए.

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गौरतलब है गुरुवार को केन्द्र सरकार ने सरकारी खरीद में 200 करोड़ रुपये तक के टेंडर के लिए ग्लोबल टेंडर की बाध्यता को समाप्त कर दी थी. इधर एक आंकड़े के मुताबिक 15 से 20 लाख मजदूर बिहार से बाहर विभिन्न राज्यों में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं. बिहार सरकार के 11 मई के आंकड़े के मुताबिक इनमें से 1 लाख 37 हजार मजदूर अब तक ट्रेनों के जरिये बिहार पहुंच चुके हैं, जबकि 4 लाख 27 हजार और लोग ट्रेनों से लाये जाने हैं. ऐसे में सबको रोजगार मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती सरकार के सामने है.

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