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Corona Crisis: 1 लीटर खून की कीमत 10 लाख रुपए, COVID-19 संक्रमण से ठीक हुए मरीजों की चांदी

कोरोना संकट के बीच उन लोगों का 'व्यापार' भी फल-फूल रहा है, जो 'कोरोना की दवा' बेच रहे हैं. इस कड़ी में नाम आता है कोरोना संक्रमण से ग्रस्त और फिर ठीक हो चुके लोगों के खून का, जो लाखों में बिक रहा है.

News State | Edited By :
03 May 2020, 01:18:24 PM (IST)

highlights

  • साइबर अपराधियों ने कोरोना संकट के बीच खोजा कमाई का अनूठा रास्ता.
  • कोविड-19 संक्रमण से ठीक मरीजों के खून को बेच रहे औने-पौने दामों पर.
  • डार्क वेब पर पैसिव वैक्सीन के नाम से बिक रहा 10 लाख में एक लीटर खून.

नई दिल्ली:

वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमितों (Corona Infection) का आंकड़ा 34 लाख 84 हजार पार कर चुका है. अब तक इससे 2 लाख 44 हजार से ज्यादा मौतें भी हो चुकी हैं. सभी को इंतजार कोरोना वैक्सीन (Vaccine) का है, जिसके लिए भारत समेत दुनिया भर के वैज्ञानिक दिन-रात एक किए हुए हैं. सफल उपचार की आस में करीब-करीब एक-तिहाई आबादी अपने-अपने घरों में बंद कोरोना संकट निकल जाने का इंतजार कर रही है. इस बीच उन लोगों का 'व्यापार' भी फल-फूल रहा है, जो 'कोरोना की दवा' बेच रहे हैं. इस कड़ी में नाम आता है कोरोना संक्रमण से ग्रस्त और फिर ठीक हो चुके लोगों के खून का. इंटरनेट पर कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के खून की खरीद-फरोख्त जारी है. एक अंग्रेजी टेलीविजन चैनल ने डार्क वेब पर खून की इस अवैध बिक्री का खुलासा किया है.

एंटीबॉडी के असर से बढ़ी मांग
जब कोई भी वायरस शरीर पर हमला करता है तो उससे लड़ाई के दौरान शरीर का इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है. एंटीबॉडी एक तरह की प्रोटीन होती है. वायरस के खत्म होने के बाद भी शरीर में उस खास वायरस के लिए एंटीबॉडी रहती है. इससे उसके दोबारा हमले का खतरा खत्म या लगभग नहीं के बराबर रह जाता है. कोरोना के मामले में भी वैज्ञानिक ये सोच रहे हैं कि एक बार कोरोना पॉजिटिव होने के बाद, वह मरीज इससे दोबारा ग्रसित नहीं होगा. हालांकि वैज्ञानिकों का बड़ा खेमा इससे इंकार करता है. कोरोना वायरस काफी नया है और इसके बारे में अब तक कोई पक्की जानकारी नहीं मिल सकी है कि क्या इसके मामले में भी ऐसा होता है.

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येन-केन-प्रकारेण खून चाहिए
ऐसे में अभी तक इस बीमारी से बचे लोग कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना पॉजिटिव लोगों का खून किसी भी तरह से मिल सके ताकि वे भी बिना बीमार हुए सुरक्षित हो जाएं. लोगों के इसी डर का फायदा ले रहे हैं साइबर क्रिमिनल. वे अवैध तरीके के खून खरीदकर इसे बड़ी कीमत पर लोगों को इंटरनेट पर ही बेच रहे हैं. नेट पर इसे 'पैसिव वैक्सीन' की तरह पेश किया जा रहा है. ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी की खोज के आधार पर ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी ने इस पर रिसर्च किया. इस बारे में मुख्य शोधकर्ता रॉट ब्रॉडहर्स्ट बताती हैं कि पैसिव वैक्सीन का मतलब है स्वस्थ हो चुके कोरोना संक्रमित के शरीर से ब्लड प्लाज्मा लेकर किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर में डालना, जो अब तक बीमारी से बचा हुआ है. हालांकि इससे भी कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म हो ही जाएगा, फिलहाल ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिखा है.

लोगों के डर का फायदा उठा रहे साइबर अपराधी
लोगों के भीतर आए इसी कोरोना डर का फायदा साइबर जगत के अपराधी उठा रहे हैं. बता दें कि इंटरनेट पर कोरोना से जुड़ी कई चीजों की बिक्री जोरों पर है. इसमें पीपीई भी हैं, जैसे एन-95 मास्क, ग्लव्स और बॉडी सूट. माना जा रहा है कि ये फैक्ट्रियों से चुराए गए हैं या फिर गोदाम से चुराए गए हैं. चोरी के बाद ये भारी कीमत पर नेट पर बेचे जा रहे हैं. इसके अलावा एंटी-मलेरिया दवा की भी बिक्री हो रही है. बीच में माना गया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन नामक ये दवा कोरोना का इलाज कर सकती है, लेकिन बाद में ऐसा साबित नहीं हो सका. इन चीजों को ऑर्डर करने पर ये सीधे नहीं पहुंचती हैं, बल्कि कथित तौर पर कई सोर्सेज से गुजरने के बाद आती हैं और इसपर भी इसके वैध या अच्छी क्वालिटी के होने का कोई सबूत नहीं है.

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बेचा जा रहा मरीजों का खून
कोरोना से ठीक हो चुके लोगों का खून भी नेट पर एक उत्पाद की तरह बेचा जा रहा है. डार्क नेट पर इसकी खरीदी-बिक्री चालू है. बता दें कि डार्क नेट इंटरनेट दुनिया का ऐसा सीक्रेट संसार है, जहां कुछ ही ब्राउजर के जरिए पहुंचा जा सकता है और ये सर्च इंजन में भी नहीं आता है. डार्क नेट का इस्तेमाल अक्सर अपराधी गलत कामों के लिए करते हैं. खासकर ये किसी चीज की अवैध बिक्री के लिए उपयोग होता है, जैसे नशा. अब जबकि कोरोना के कारण पूरी दुनिया परेशान है, तब डार्क नेट की दुनिया में कोरोना से बचने के लिए खून भी बेचा जा रहा है. ये 25 मिलीलीटर से लेकर एक लीटर तक भी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसकी कीमत लगभग 10 लाख है.

पैसिव वैक्सीन का दावा
ग्लोबल इंटेलिजेंस फर्म का भी मानना है कि महामारी के दौर में डार्क नेट पर लोगों के डर का फायदा उठाया जा रहा है. यहां पर खून से लेकर थर्मामीटर तक बिक रहा है. ये बिल्कुल पक्का नहीं है कि ब्लैक मार्केट से चुराए या उठाए गए सामान सही क्वालिटी के होंगे या फिर पैसिव वैक्सीन बताकर बेचा जा रहा खून असल में किसी कोरोना मरीज का होगा जो ठीक हो चुका हो. इस फर्म के अनुसार 2019 के आखिर में डार्क नेट पर 190 डोमेन रजिस्टर हुए थे, जिनमें कोरोना कोविड का जिक्र था. अब इनकी संख्या 4 ही महीनों के भीतर 38,000 हो चुकी है. इनमें से कुछ ही हैं जो वैध हैं, बाकी सारे डोमेन पर लोगों के डर का फायदा उठाया जा रहा है.

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इम्युनिटी सर्टिफिकेट यानी आने-जाने की छूट
वैसे कई देशों में इम्युनिटी सर्टिफिकेट जारी करने की चर्चा के कारण भी लोग कोरोना पॉजिटिव मरीज का खून खरीदने को तैयार दिख रहे हैं. बता दें कि ये एक ऐसा पासपोर्ट या सर्टिफिकेट होगा, जो ये बता सके कि फलां शख्स को अब कोरोना वायरस का कोई खतरा नहीं क्योंकि उन्हें ये पहले ही हो चुका है. इस पासपोर्ट के मालिक को बाहर निकलने और काम करने की अनुमति मिल सकती है. अब लॉकडाउन के कारण उकताए या मंदी में जा रहे लोग जल्दी से जल्दी इस बीमारी से इम्यून होने के रास्ते तलाश रहे हैं जिसका फायदा डार्क नेट पर उठाया जा रहा है.