जन्मदिन विशेषः PM मोदी के जीवन की झलक, देखें तस्वीरों में
उनका परिवार बहुत गरीब था और एक कच्चे मकान में रहता था। दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती थी। नरेंद्र मोदी की माँ आस पड़ोस में बर्तन साफ करती थी ताकि अपने बच्चों का पालन पोषण कर सके। उनके पिता रेलवे स्टेशन पर चाय की एक छोटी सी दुकान चलाते थे। मोदी बचपन में अपने पिता की चाय की दुकान में उनका हाथ बटाते थे और रेल के डिब्बों में चाय बेचते थे। इन संघर्ष भरे दिनों का मोदी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
बचपन से ही मोदी में देश भक्ति कूट-कूट कर भरी थी। इसके चलते उन्होने युवावस्था में ही राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में शामिल हो गये। 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान मोदी रेलवे स्टेशन पर जवानों से भरी ट्रेन में उनके लिए खाना और चाय लेकर जाते थे । 1965 में भारत पाक युद्ध के दौरान भी मोदी ने जवानों की खूब सेवा की ।
17 साल की उम्र में मोदी ने घर छोड़ दिया और अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की। उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों का भ्रमण किया। उन्होंने हिमालय में ऋषीकेश, बंगाल में रामकृष्ण आश्रम और पूर्वोत्तर भारत की यात्रा की और फिर दो वर्ष बाद वे घर लौट आए। वे केवल दो सप्ताह ही घर पर रुके और फिर अहमदाबाद के लिए निकल पड़े । वहाँ जाकर वे आर.एस.एस. के सदस्य बन गए ।
1972 में मोदी आर.एस.एस. के प्रचारक बन गए और अपना सारा समय आर.एस.एस. को देने लगे। वे सुबह पाँच बजे उठ जाते और देर रात तक काम करते। इस व्यस्त दिनचर्या के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की।
आर.एस.एस. में बेहतरीन काम की बदौलत उन्हें भाजपा में नियुक्त किया गया। नरेंद्र मोदी ने 1990 में आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जिससे भाजपा के वरिष्ठ नेता काफी प्रभावित हुए। उनके अद्भुत कार्य की बदौलत भाजपा में उनका कद बढ़ता रहा।
2001 में गुजरात में भयानक भूकंप आया और भारी विनाश हुआ। गुजरात सरकार के राहत कार्य से ना खुश होकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया। मोदी के कार्यकाल में गुजरात में बेरोज़गारी काफी कम हुई और महिला सुरक्षा में काफी मज़बूती आई। इन्ही कारणों की वजह से गुजरात की जनता ने मोदी को चार बार लगातार अपना मुख्यमंत्री नियुक्त किया।
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