Lok Sabha Election: क्या गुजरात में तीसरी बार क्लीन स्वीप करेगी भाजपा? जानें इंडी एलायंस की रणनीति 

Lok Sabha Election: आम आदमी पार्टी गुजरात में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस 24 सीटों पर मैदान में है. गुजरात में सात मई को मतदान होना है. 

Lok Sabha Election: आम आदमी पार्टी गुजरात में 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस 24 सीटों पर मैदान में है. गुजरात में सात मई को मतदान होना है. 

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Mohit Saxena
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Lok Sabha Elections( Photo Credit : file photo)

Lok Sabha Election: गुजरात में लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण सात मई को होना है. भाजपा को बीते दो लोकसभा चुनाव में गुजरात से आपार सफलता हासिल हुई है. पार्टी 2014 और 2019 में सभी 26 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस बार भाजपा ने चुनाव से पहले ही एक सीट (सूरत) निर्विरोध जीत ली है. भाजपा पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के दम पर इस बार भी आपार सफलता की कामना कर रही है. पार्टी शानदार हैट्रिक बनाने की उम्मीद कर रही है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन भी सफलता की उम्मीद कर रहा है.

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गुजरात की राजनीति को जानने के लिए आइए आपको पीछे ले चलते हैं. 1984 में यहां पर कांग्रेस का वर्चस्व था. कांग्रेस ने तब गुजरात से 24 सीटें जीतीं थीं. वहीं भाजपा सिर्फ एक सीट पर जीतने में कामयाब रही थी. ये समर्थन तब के पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति के रूप में मिला था. 1984 के चुनाव के बाद हर चुनाव में भाजपा की सीटों में इजाफा देखा गया. 

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पांच साल बाद यानि 1989 में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 12, जनता दल ने 11 और कांग्रेस ने मात्र तीन सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं 1991 के चुनाव में भाजपा ने 26 में से 20 सीटें अपने नाम की थीं. 2004 और 2009 में जब यूपीए ने चुनाव जीता तो कांग्रेस ने 12 और 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं भाजपा 2004 में 14 सीटें ही जीत पाई. वहीं 2009 में उसे 15 सीटें मिली थीं. मगर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली, यहां पर भाजपा को क्लीन स्वीप जीत मिली. 

भाजपा ने इस बार हर सीट को 5 लाख वोटों से जीतने का लक्ष्य रखा है. बीते दो चुनाव में भाजपा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर को हासिल करके जीता था. कांग्रेस ने 1984 में 53 प्रतिशत वोट हासिल किया था. ये 2004 में घटकर 43 हो गया. वहीं 2009 में 44 प्रतिशत तक रह गया. उस समय यानि 1984 में भाजपा को मात्र 19 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ था. ये 2004 और 2009 के चुनाव में 47 प्रतिशत तक पहुंच गया. 

इस खेमे से छिटकेंगे वोट 

बीते दिनों केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राजकोट लोकसभा उम्मीदवार पुरुषोत्तम रूपाला के ​एक विवादित बयान के बाद राज्य में विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया. ऐसा कहा जा रहा है कि इस बयान के बाद से क्षत्रिय भाजपा में असंतोष व्याप्त है. वे राजकोट से रूपाला की उम्मीदवारी को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. ऐसा कहा जा रही है कि इस बयान के बाद KHAM या​नी (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) छिटक सकते हैं. ये कांग्रेस के खेमे में वोट कर सकते हैं.

क्या हो सकते हैं समीकरण 

गुजरात से क्या कांग्रेस-AAP गठबंधन कुछ कमाल दिखा सकता है? गुजरात में भाजपा ने जो बढ़त बनाई है उसे पार पाना मुश्किल है. ऐसे में यहां पर बड़े बदलाव की जरूरत है. अगर भाजपा 5 प्रतिशत का वोटशेयर खोती है तो उसका लाभ कांग्रेस-AAP गठबंधन को मिलेगा. मगर इसके बाद भी भाजपा सभी 26 सीटों पर जीत हासिल कर लेगी. अगर भाजपा 7.5 प्रतिशत वोट शेयर को हासिल करती है तो कांग्रेस-AAP गठबंधन को दो सीटों का लाभ मिल सकता है. वहीं भाजपा अगर 10 प्रतिशत वोट शेयर को खोती है तो कांग्रेस-AAP गठबंधन के खाते में 5 सीटें जाने की संभावना होगी. 

Source : News Nation Bureau

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