NRC को लेकर सोनिया गांधी की चुप्पी पर प्रशांत किशोर ने उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए कांग्रेस ने इस कानून में बदलाव क्यों नहीं किया, जब उसके पास अवसर था.
नई दिल्ली:
जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए कांग्रेस ने इस कानून में बदलाव क्यों नहीं किया, जब उसके पास अवसर था. किशोर ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के एक बयान से ही एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस का स्टेंड साफ होगा.
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न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष के एक बयान से एनआरसी मुद्दे पर कांग्रेस का स्टेंड साफ होगा. धरने-प्रदर्शनों में शामिल होना ठीक है, लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से एक भी आधिकारिक बयान क्यों नहीं आया है, यह मेरी समझ से परे है. किशोर का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष या कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) को कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों को यह घोषित करने के लिए कहना चाहिए कि वे अपने राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं देंगे.
चुनावी रणनीतिकार किशोर ने कहा, 'कांग्रेस समेत 10 से अधिक मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे अपने राज्यों में एनआरसी लागू नहीं करेंगे. अन्य क्षेत्रीय दलों जैसे नीतीश कुमार, नवीन बाबू, ममता दीदी या जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में, मुख्यमंत्री पार्टियों के प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे हैं. कांग्रेस के मामले में मुख्यमंत्री अंतिम निर्णय लेने वाले नहीं हैं, सीडब्ल्यूसी आखिरी फैसला लेती है.'
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किशोर ने कहा, 'मेरा सवाल और चिंता का विषय यह है कि सोनिया गांधी आधिकारिक रूप से क्यों नहीं कह रही हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों में एनआरसी की अनुमति नहीं दी जाएगी?' उन्होंने पूछा कि सरकार में रहते हुए कांग्रेस ने इस अधिनियम में संशोधन क्यों नहीं किया, जब उसे ऐसा करने का अवसर मिला. किशोर ने कहा, 'सीएए को 2003 में बनाया गया. 2004 से 2014 तक कांग्रेस देश की सत्ता में रही. यदि अधिनियम इतना असंवैधानिक था (जो एक तथ्य है) तो कांग्रेस के पास इसे संशोधित करने का मौका था.'
किशोर ने कहा कि वह गृह मंत्री अमित शाह के स्पष्टीकरण से असहमत हैं कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं था. उन्होंने कहा, 'किसी को भी एनपीए और एनआरसी के बीच की कड़ी साबित करने की जरूरत नहीं. दस्तावेज खुद बोलते हैं और वे कहते हैं कि एनपीए एनआरसी का पहला कदम है. यह एक व्यक्ति का मामला नहीं है. यह राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा था. यह पूरी NRC और NPA बहस 2003 के नागरिकता संशोधन विधेयक से जुड़ी है, जिसके दौरान पहली बार परिभाषित किया गया था कि NPR के बाद यदि सरकार चाहे तो वे NRC कर सकते हैं.' इस मुद्दे पर प्रशांत किशोर ने अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए प्रधानमंत्री और बीजेपी के कई नेताओं के भाषणों का भी हवाला दिया.