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यूपी विधानसभा चुनाव: कांग्रेस-सपा के उम्मीदवार इन सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ ठोक रहे हैं ताल

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि कुछ सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार और उसकी साझीदार कांग्रेस के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

News Nation Bureau
| Edited By :
10 Feb 2017, 01:17:28 PM (IST)

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच भले ही गठबंधन हो गया हो लेकिन कई सीटें ऐसी हैं जिनपर दोनों पार्टी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

इस चुनाव में करीब 12 सीटें ऐसी हैं, जहां से दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे में दोनों पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस बारे में बताया कि कुछ सीटों पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार और उसकी साझीदार कांग्रेस के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

दूसरी ओर, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद का इस बारे में कहना है कि शुरू में गठबंधन को लेकर उहापोह की स्थिति थी।

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दोनों पार्टियों के नेताओं के दावे कुछ भी हों, लेकिन कई महत्वपूर्ण सीटों पर स्थिति बेहद गम्भीर बनी हुई है। खासकर नेहरू-गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और रायबरेली में ऐसा देखने को मिल रहा है।

रायबरेली की सरेनी सीट पर कांग्रेस के अशोक सिंह और सपा के देवेन्द्र प्रताप सिंह सपा के टिकट पर एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। जबकि गौरीगंज सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद नईम सपा के राकेश प्रताप सिंह को चुनौती दे रहे हैं।

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साल 2012 में इसी सीट से हारे नईम नामांकन वापस ना लेने के फैसले पर अडिग हैं। राजधानी की लखनऊ (मध्य) सीट पर भी ऐसे ही हालात हैं। यहां कांग्रेस प्रत्याशी मारूफ खान और मौजूदा विधायक सपा उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा आमने-सामने हैं।

बाराबंकी जिले की जैदपुर सीट पर कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्य पी. एल. पुनिया के बेटे तनुज को टिकट दिया है। वहीं इसी सीट पर सपा के राम गोपाल रावत ने भी नामांकन किया है।

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हालांकि कानपुर में पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के भाई प्रमोद जायसवाल ने आर्यनगर सीट पर सपा प्रत्याशी अमिताभ बाजपेयी के समर्थन का फैसला तो किया है, लेकिन वह तकनीकी कारणों से अपना नामांकन वापस नहीं ले सके।

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मुजफ्फरनगर की पुरकाजी सीट पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस और सपा दोनों ही प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित किये हैं, लेकिन गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस को दी गयी है।